किस ग्रह का स्वभाव और प्रभाव कैसा है और इसके द्वारा किन -किन बातों का विचार किया जाता है --इसे निम्न रूप से समझना चाहिए --
--सूर्य -विश्व का सम्राट है ,तेजस्विता और ओज का द्योतक है | यह सर्व जीवन पर अधिपत्य करता है | यह रक्त और रक्त -प्रवाह पर अनुशासन रखता है | सूर्य की राजसी प्रकृति है | यह द्रुत और मांसल है | यह अपमान सहन नहीं करता ,उदासीनता पसंद नहीं करता | प्रतिष्ठा में यह अपना पूर्ण अंश चाहता है | यह तड़क -भड़क का प्रेमी है और चाहता है कि छोटी -छोटी बातें बड़े शिष्टाचार से ,व्यवस्थित रूप से सम्पन्न हों | धन -दौलत एवं आदर -सत्कार में अपनी सर्वाधिक प्रतिष्ठा चाहते हैं | वो राजसी भोजन तथा भव्य परिवेश को अधिक पसंद करते हैं | अपने साथ अनुयायी वर्ग रखना उन्हें अच्छा लगता है | वो चापलूसी पसंद करते हैं और अपने अधिपत्य चाटुकारों को बड़े -बड़े उपहार देने में भी संकोच नहीं करते |
--सूर्य ग्रह वाले शीघ्र कुपित हो जाते हैं और उतनी ही शीघ्रता से उनका सम्मान अथवा उनकी चापलूसी भी की जा सकती है | किन्तु आसानी से वो किसी को भी माफ नहीं करते ! यह ग्रह पुरुष जाति ,रक्त वर्ण ,पित्त -प्रकृति तथा पूर्व दिशा का स्वामी है | यह आत्मा ,आरोग्य ,स्वभाव ,राज्य ,देवालय का सूचक एवं पितृकारक है | इसके द्वारा शारीरिक रोग ,मंदाग्नि ,अतिसार ,सिरदर्द ,क्षय ,मानसिक रोग ,नेत्र -विकार ,उदासी ,शक ,कलह ,अपमान आदि का विचार किया जाता है | मेरुदंड ,स्नायु ,कलेजा ,नेत्रादि अवयवों पर इसका विशेष प्रभाव होता है | इससे पिता के सम्बन्ध में भी विचार किया जाता है | सूर्य लग्न से सप्तम स्थान में बली तथा मकर राशि से छह राशियों तक चेष्टाबली होता है | --इसे पापग्रह माना गया है |
नोट --जातक की कुण्डली में जैसी स्थिति में सूर्य ग्रह होगा --उसी अनुपात जातक को लाभ या हानि होगी | अगले भाग में चंद्र ग्रह पर विवेचन करेंगें ---------भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com





















