पंचांग के बिना वैदिक ,स्मार्त तथा गृहस्थी के कोई कार्य सिद्ध नहीं होते | काल रूपी ईस्वर के पंच अंग को पंचांग कहते हैं | वो पाँच अंग हैं --1 -तिथि , -2 -वार ,--3 -नक्षत्र ,--4 --करण ,--5 -योग ---यहाँ हम केवल नक्षत्र के बारे में बता रहे हैं | तिथियों के बारे में पहले बता चुके हैं शेष के विषय में आगे बताएंगें |
----जैसा कि हमने अभी बताया था कि समस्त भचक्र को 27 भागों में बांटा गया है | इस कारण 1 राशि =2 "सवा दो नक्षत्र " उपरोक्त तालिका के द्वारा पाठकगण प्रत्येक नक्षत्र के अंश और कला को ज्ञात कर सकते हैं |
-----चन्द्रमा जिस राशि ,अंश ,कला और विकला में होता है ,उस भाग का स्वामी जो नक्षत्र माना गया है "वह नक्षत्र हैं " ऐसा व्यवहारिक भाषा में कहा जाता है | कोई पाठक प्रश्न करे कि आज अश्विनी नक्षत्र 28 घटी 25 पल है --इसका क्या अर्थ है ? ---इसका उत्तर यह है कि अश्विनी नक्षत्र तो सदैव था ,सदैव रहेगा --किन्तु अश्विनी नक्षत्र आज 28 घटी 25 पल है ,--इसका अर्थ है जिस स्थान के हिसाब से पंचांग बनाया गया है ,उस स्थान पर सूर्योदय के 28 घटी 25 पल तक चन्द्रमा प्रथम राशि के 13 अंश 20 कला वाले भाग में "जो अश्विनी के नाम से विख्यात है " रहेगा |
----ठीक 28 घटी 25 पल व्यतीत हो जाने पर चन्द्रमा प्रथम राशि के 13 अंश 20 कला वाले भाग को पार का आगे वाले भाग "भरणी " में चला जायेगा | इसलिए नक्षत्र है --इसका अर्थ हुआ नक्षत्र वाले भाग में चन्द्रमा इस समय तक रहेगा | अक्सर पूछा जाता है कि आपका जन्म नक्षत्र क्या है ? इसका अर्थ है --जब आपका जन्म हुआ था तब चन्द्रमा किस नक्षत्र वाले आकाशीय विभाग में था | इसी प्रकार इस बात को भी जान लिया जाता है कि जन्म के समय चन्द्रमा किस राशि में था |
---प्रत्येक नक्षत्र का भाग 13 अंश 20 विकला है | इसको 4 से भाग देने पर प्रत्येक भाग 3 अंश 20 कला का हुआ ,इस प्रत्येक भाग को पाद "पैर " या चरण कहते हैं | नक्षत्र के जिस चरण में जन्म हो ,उसके अनुसार नाम का प्रथम अक्षर चुनने की प्रथा है |
---अगले भाग में --पंचांग का एक अंग योग है --जिस पर परिचर्चा करेंगें ----- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

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