ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

मेरा" कल आज और कल की सम्पूर्ण कथा सुनें -ज्योतिषी झा -मेरठ-भाग-6



 -""मेरा" कल आज और कल की सम्पूर्ण कथा सुनें -ज्योतिषी झा -मेरठ-भाग-6
--दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें ---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग 6-ज्योतिषी झा मेरठ


 


"-ध्यान दें !-हम अपनी जीवनी की बात से ज्योतिष की सत्यता को समझाना चाहते हैं न कि अपने दुःख और सुखों को दर्शाना चाहते हैं | -श्री जगदीश नारायण ब्रह्मचर्याश्रम लगमा जिला दरभंगा {बिहार }-अस्तु --इस आश्रम में अनाजों की कमी नहीं थी पांच साल तक सभी व्यक्तियों का भरण पोषण ठीक से हो सकता था पर -सरकार कहते थे --भोजन का नियम यह है आप चार रोटी खाते हो तो दो रोटी खाओ क्यों !क्योंकि एक भाग जल और एक भाग हवा के लिए पेट को खाली रखना चाहिए | आश्रम के नियम थे आरती के बाद भोग लगता था तब भोजन मिलता था | मेरी उम्र -13 वर्ष की थी| माता पिता के सान्निध्य में रहने के कारण गांव में 9 बजे सोने की आदत थी और आश्रम का भोजन रात्रि 9 के बाद मिलता था | भोजन पाने के लिए 30 मिनट खड़ा होना पड़ता था साथ ही ठंढ के मौसम होने के कारण आलस्य आता था तो सोचते थे आरती के अंतिम समय में उपस्थित हो जायेंगें किन्तु नींद में पत्ता नहीं चलता था जब आँख भूख के कारण खुलती थी तब तक भोजनालाय बंद हो जाता था तो भूखे पेट सोना होता था फिर अगले दिन 1 बजे भोजन मिलता था | सभी छात्रों के माता पिता नास्ता के लिए धन और नास्ता की चीजें देते थे और सभी अपनी -अपनी पेटी में ताला मारकर रखते थे साथ ही समयानुसार खाते थे | पर मेरा भाग्य न तो पेटी थी न ही परिनजों का कोई सहयोग | जब सभी छात्रों को मैं कुछ खाता हुआ देखता था तो मुझसे रहा नहीं जाता था सोचता था मैं मर क्यों नहीं जाता हूँ फिर वहां पर गेहूं और मक्का के कई कट्टे भरे होते थे उन्हीं को खोद कर कुछ ग्रहण करता था | जब पेट में दाना नहीं होता था तो पढ़ाई में मन कैसे लगता | भोजन में मोटी कच्ची -पक्की दो रोटी और सादी दाल मिलती थी | रात को रोटी सादी दाल ,कभी -कभी दिन में चावल और दाल मिलती थी | -घी ,सलाद ,दही ,दूध फल की कभी सूरत नहीं देखी | --कुछ समय बीतने के बाद एक बैदिक गुरूजी थे उनका मुझ पर स्नेह था और हमने उनको खुश करने की कोशिश की | उनके सान्निध्य में रोजगार का साधन था उनके पास यज्ञ कराने हेतु बहुत दूर -दूर के यजमान आते थे और वो कम से कम 50 छात्रों को अपने साथ यज्ञ में ले जाते थे | हमने उनका दिल जीता मन्त्रों सुना -सुनाकर तो मुझे भी अपने साथ ले जाने लगे | उस यज्ञ में हमें भी वस्त्र ,भोजन और दक्षिणा मिलने लगी | अब हम खुश थे फिर उस धन को अपनी माँ को दे आता था क्योंकि उस धन की जरुरत मेरी माँ को अत्यधिक थी | धन कमाने के बाद हम सीधे घर चले जाते थे और माँ मुझको तरह -तरह के व्यंजनों का स्वाद चखाती थी पर जब आश्रम आते थे तो सरकार को टेक्स देना होता था ,मांगते नहीं थे पर नहीं देने पर अनादर होता था इसलिए आधा धन सरकार को देना होता था इस बात का मुझको बहुत कष्ट रहता था | --आगे कथा कल लिखेंगें | ॐ-दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

2018 में यह - श्रीमती सोनिया गांधीजी के लिए लिखा था -पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ '



 2018 में यह   श्रीमती सोनिया गांधीजी के लिए लिखा था --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ '



-----------------------------------------------------------"ध्यान दें --आज कल किसी व्यक्ति की दक्षता धन से आंकी जाती है वैसे ही ज्योतिष और ज्योतिषीकी बातें प्रमाणिकता से प्रत्यक्ष प्रमाण से मानी जाती है ----अस्तु ----श्रीमती सोनिया गांधीजी का जन्म 9 /12 /1946 को रात्रि 9 /15 पर स्थान - तुरीन देश इटली में हुआ ---तदनुसार --जन्मकुण्डली स्थित लग्नेश -चन्द्र व्ययस्थान में है ,सप्तमेश एवं अष्टमेश शनि लग्न में ,सप्तमभाव एवं कर्मस्थान को देख रहा है । --अस्तु --17 /08 /2017 के बाद राहु के कर्क राशि में आने पर आपको मानसिक तनाव तथा शारीरिक -परेशानी या अंतर्द्वंद {कलह }का सामना करना पड़ा । --आधुनिक समय में -पार्टी में विरोधी स्वर भी परेशानी का कारण बना -हुआ है ----अतः स्पष्ट था कि यह आगे आने वाला समय आपको अपने पद के अधिकारों का त्याग करायेगा और आपने पद त्याग भी दिया ,साथ ही स्वास्थ के लिए भी अनुकूल नहीं रहा और नहीं रहेगा ----आगे - राजनैतिक दृष्टि से देखें तो गोचर में वृश्चिक -राशि में शनि -मंगल वक्रगति से एकसाथ थे । संवत -२०७४+७५ +७६ {यानि 2017 +18 ,१९+20 के पूर्व भाग तक }में शनि +मंगल +राहु की स्थिति एवं आपकी पार्टी को तथा आपके परिवार को आगे सन 2019 +२० तक सिंहासन पर विराजमान नहीं होने नहीं दिया और न ही आसीन होने देंगें | तत्काल --15 /11 /2018 से 12 /11 /2019 तक केतु में बुध का अंतर चलेगा -यह समय आपके स्वास्थ ,संतान ,और आय की दृष्टि से उत्तम नहीं रहेगा | इसके बाद शुक्र की महादशा आने वाली है --जो स्वास्थ को छोड़कर सिंहासन के लिए अनुकूल दशा चलेगी ,जिसका लाभ आपकी संतानों को मिलेगा | ----आपका स्वास्थ उत्तम रहे यही आशीर्वाद है | -----------------प्रत्येक राशियों के 2022+23 का राशिफल फ्री जानने हेतु इस लिंक- https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut पर पधारें -----भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा "मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई

क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5126 }अर्थात 2012 तक ही -पढ़ें-झा मेरठ



रविवार, 12 मई 2013

कभी यह आलेख लिखा था -पढ़े खगोलशास्त्री झा मेरठ

"क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5126 }अर्थात 2012 तक ही ?

 "क्या माया कैलेण्डर में उल्लिखित पृथ्वी की उम्र {5126 }अर्थात 2012 तक ही ?--प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें कुछ भारतीय -ज्योतिर गणित {कालगणना }के सन्दर्भ में जानना होगा |

-----सूर्योपनिषद में तो सूर्य को समस्त विश्व की उत्पत्ति तथा लय का कारण कहा है |

        ---"सूर्यात भवन्ति भूतानि सूर्येण पलितानी तू |

               सूर्ये लयं प्राप्नुवन्ति यः सूर्यः सोहम्मेव च ||-----भाव -सूर्य चन्द्र अन्यान्य ग्रह नक्षत्र काल के करता अकर्ता कहे गए हैं |सूर्य सिद्धांत -१/१० के अनुसार काल दो प्रकार का होता है ---एक अव्यय अनंत रूप रहने वाला महाकाल है ,दूसरा सावयव गणना करने योग्य है | मूर्तरूप काल घटी पल ,विपल ,तिथि ,मास ,संवत्सर ,कल्प कल्पान्तर के रूप में गिना जाता है |

---सृष्टि कर्ता ब्रह्माजी हैं | चार युग {कृत ,त्रेता ,द्वापर और कलयुग} का एक महायुग होता है | जिसकी सौर वर्ष संख्या -४३२०००० होती है | इकहत्तर महायुग का एक मन्वंतर होता है | प्रत्येक कल्प में १४मन्वन्तर और १४ इन्द्र बीत जाते हैं |एक कल्प की सौ वर्ष संख्या -4318272000 कही गयी है |--- -------कल्पान्त में ब्रह्मा जी का दिन समाप्त होते ही प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है | वर्तमान में सृष्टि की रचना हुए -१९५५८८५१०९ वर्ष बीते हैं |इससे स्पष्ट है कि अभी महा प्रलय होने में -२३६२३८६८९१ इतने वर्ष और लगेंगें |

------ऐसा भी नहीं है कि इतनी लम्बी अवधि में प्राकृत में कोई उत्पात न होता हो |अन्तरिक्ष में जब -जब ग्रह अंशसाम्य होते हैं-अथवा ग्रहयुद्ध के संयोग बनते हैं |तब -तब वसुंधरा पर नाना प्रकार के महोत्पत हुआ करते हैं |प्रकृति साम्यावस्था है |जब -जब इसके संतुलन को प्राणी बिगाड़ते हैं ,तब -तब प्रकृति प्रकुपित होकर बड़ी मात्रा में संहार करती है अथवा किसी को माध्यम बनाकर उसके द्वारा विनाशलीला कराया करती है | धर्म की हनी होती है |क्षमाशीलता घटती जाती है |रजोगुण और तमोगुण अपनी चरम सीमा पर होते हैं | तब भयंकर  युद्ध  हुआ करते हैं अधर्मी  दुराचारियों का विनाश  होता है |   ---------यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |

          अभ्युथान धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम ||

----नोट -कुदरत के खिलाफ जब -जब क्रूर कारनामे होते हैं ,तब -तब विश्व में उत्पात तो होते ही हैं |भविष्य  के गर्त में यथार्थ क्या है ,इसे तो केवल ईस्वर ही जनता है-परन्तु इतना अवश्य है कि विश्व विनाश की ओर नपे तुले क़दमों से बढ़ता चला जा रहा है |

--भवदीय पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री" {मेरठ उत्तर प्रदेश }--ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

भारतीय "सत्ता" अभी नहीं तो कभी नहीं पढ़ें -यह लेख 2018 में लिखा था -झा मेरठ


 यह लेख 2018 में लिखा था --- भारतीय "सत्ता" अभी नहीं तो कभी नहीं -पढ़ें -- ज्योतिषी



झा 'मेरठ" 

--- "भारत " की धनु राशि है -जब -जब इस सत्ता पर मित्र राशि के लोग आसीन हुए तब -तब भारत माता का ह्रदय प्रफुलित हुआ है ,साथ ही कोष बढ़ा ,मान बढ़ा ,सम्मान मिला और निर्विवाद समय व्यतीत हुआ है | एकबार पुनः चुनाव आने वाले हैं ,इस सत्ता पर कौन पुनः विराजमान होगा, यह तो भूगर्भ में छुपा रहस्य है- जिसे केवल विधाता ही जानते हैं | महर्षि भृगु को माँ लक्ष्मी ने शाप दिया तुम दरिद्र हो जाओ और श्री हरि ने कहा भगवन आपके पैरों में चोट तो नहीं आयी ,महर्षि भृगु ने कहा माँ मैं ऐसे शास्त्र की रचना करूँगा जिससे मैं तो क्या इस सृष्टि में कोई भी भूदेव दरिद्र नहीं होंगें -उस शास्त्र का नाम था -भृगु संहिता यह आज सम्पूर्ण उपलब्ध नहीं है | पर इस संहिता में लिखी हुई बातें 120 वर्ष के बाद पुनः मिलने लगती हैं -क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की आयु 120 वर्ष निर्धारित हैं -जिसका नाम है" विंशोत्तरीमहादशा " ज्योतिष शास्त की ख्याति इस वजह से है --अतः वतमान ,भूत ,भविष्य की तमाम बातों को हमलोग ज्योतिष के माध्यम जान सकते हैं | --अस्तु --आने वाले चुनाव के परिपेक्ष में मुझको दो सितारे ऐसे दीखते हैं जो सत्ता का संचालन करेंगें या इनके बिना सत्ता की कल्पना असंभव होगा ---पहला राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी -जिनके अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी है इनकी जन्मकुण्डली की विवेचना करना उचित समझता हूँ --प्राप्त विवरण के अनुसार 19 /06 /1970 को नव दिल्ली में प्रातः 5 /5 पर अवतरित हुए | वर्तमान समय में 18 /06 /2019 तक शुक्र में बुध का अन्तर चलेगा यह दशा का प्रभाव मानों यह कह रहा है सत्ता अभी नहीं तो कभी नहीं |-----हमने पहले के आलेख में यह लिखने की कोशिश की थी कि श्री राहुल गांधीजी अध्यक्ष बनेंगें और बन भी गए | तत्काल श्री गांधीजी भी जानते हैं सितारे अभी हमारे अनुकूल हैं इस समय प्रयास किया जाय तो सत्तासीन हो सकते हैं पर हमने श्री गांधीजी की कुण्डली में यह जाना सर्वत्र विजय मिल सकती है पर भारत का सिंहासन पर किसी न किसी कारण से आरूढ़ तो नहीं हो पायेंगें भले ही दूसरे को विराजमान कर दें | ---दूसरा जो विकल्प है -जिनका नाम श्री नरेन्द्रे दामोदर दास मोदी हैं ---श्री मोदीजी महाभाग के बारे मे कुण्डली की बात करें तो -17 /09 /1950 में गुजरात प्रान्त के महेसाणा में प्रातः 11 /00 पर प्रकट हुए थे | आपकी कुण्डली के अनुसार 11 /2018 तक राहु +मंगल का समसप्तक योग चलेगा -इस योग के कारण श्रीमोदीजी को राजनैतिक कठिनाइयों और विपक्षी विवादों को झेलना होगा | यही नहीं श्री मोदीजी को इस योग की वजह से सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ रखना अनिवार्य है अन्यथा कुछ दुःखद घटना भी देखने को मिल सकती है | इसके बाद पुनः श्रीमोदीजी के सितारे एकबार पुनः साथ देंगें | श्रीमोदीजी की कुण्डली में हमने पाया आगे जो मंगल की महादशा 7 वर्षों के लिए आ रही है वो सबसे उत्तम और अंतिम लाभकारी दशा होगी -जब यह दशा आएगी तो शत्रु भी मित्र बन जायेंगें | अभी जो स्थिति विरोधाभास की दिख रही है वो 2019 में नहीं दिखेगी --आगे श्री हरी कृपा "--- - ॐ आपका -ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

ज्योतिष की दृष्टि में श्री राहुल गांधी जी -कभी यह लेख लिखा था -2014 पढ़ें -झा मेरठ


 ज्योतिष की दृष्टि में श्री राहुल गांधी जी -कभी यह लेख लिखा था -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ  

---कांग्रेस महासचिव श्री राहुलगांधी जी का जन्म 19 /06 /1970 समय प्रातः 5 /50 स्थान दिल्ली भारत । उक्त विवरण के अनुसार चन्द्रमा की महादशा में 31 /अगस्त 2013 से 30 /01 /2015 तक बुध का अंतर चलेगा । यदयपि चन्द्रमा नीच का है ,साथ ही शनिदेव भी नीच के हैं द्वादश भाव में ,किन्तु सन 2014 में शनि उच्च राशि में गमन करेगा । इससे यह तो निश्चित है कि युवराज श्री राहुलजी को तहे दिल से साथ कम लोग ही देंगें किन्तु समय की मांग श्री राहुल जी को उच्चता के शिखर विराजमान अवश्य करेगी । आने वाले समय में पार्टी को मजबूती के साथ -साथ शिखर पर भी बिठायेंगे । 
 -----भले ही कुण्डली में राजयोग नहीं है किन्तु राजा के घर जन्म लेने वाले राजा ही प्रायः होते हैं हाँ कर्म के अनुसार उन्नति और अवनति बाद में मिलती है । केन्द्र के स्वामी -शुक्र ,सूर्य ,मंगल और शनि चारो ग्रह केन्द्र में नहीं होने से दिल्ली आलावा सम्पूर्ण भारत में सफलता दिलाते हैं --इसका अभिप्राय यह भी होता है तमाम विपरीत स्थिति में भी निर्णय आपका ही होगा अर्थात आपके विना या औरों को साथ देकर या लेकर भी सर्वे सर्वा आपही होंगें । आनेवाला लोकसभा के चुनाव में त्रिशंकु होने के कारण आपके विना या आपके साथ ही सिंहासन कोई भी प्राप्त करेगा । 
   --------श्री मोदी जी की कुण्डली में चन्द्रमा नीच का है और आपकी कुण्डली में भी चन्द्रमा नीच का है इसका अर्थ होता है राजयोग में सहायता या संवाद में मीठापन चन्द्रमा के विना नहीं मिलता है या मिलेगा तो सरसता नहीं आयेगी । जिस व्यक्ति की पत्नी उत्तम हो वह व्यक्ति संसार की सभी बाधाओं को पत्नी के द्वारा पार कर सकता है । ---- निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत } कार्यालय सूत्र -09897701636-----आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


मेरा" कल आज और कल की सम्पूर्ण कथा सुनें -ज्योतिषी झा -मेरठ-भाग-5



 ""मेरा" कल आज और कल की सम्पूर्ण कथा सुनें -ज्योतिषी झा -मेरठ-भाग-5
--दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें ---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

ज्योतिष की दृष्टि में मुख्यमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी -कभी यह लेख लिखा था -पढ़ें 2014-ज्योतिषी झा मेरठ


 शनिवार, 4 जनवरी 2014ज्योतिष की दृष्टि में मुख्यमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ---कभी यह लेख लिखा था -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ  --




--मुख्यमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी गुजरात {भारत }जन्म तारीख -17 /09 /1950 समय दोपहर -11 बजे । स्थान -मेहसाणा गुजराज भारत --तदनुसार आपकी जन्म कुण्डली वृश्चिक लग्न की है । एक योद्धा की तरह शक्ति जन्मजात आप में विदयमान है । उदहारण के लिए मंगल लग्न में स्वगृही मजबूत है । साथ में मन के देवता चन्द्रमा नीच का है जो मंगल के साथ है समस्या जटिल हो सकती है किन्तु  असम्भव नहीं यही सोच आपको मंज़िल दिलाती है । कर्मक्षेत्र में राजकीय राशि सिंह है एवं शनि +शुक्र केन्द्रेश होकर विराजमान हैं ---स्थान वृद्धि करो शनि "के अनुसार कर्मक्षेत्र में उत्तरोत्तर उन्नति होगी ।शनिदेव 2 /11 /14 तक तुला राशि में गमन करेंगें साथ आपका साथ देंगें । 19 /06 /14 को गुरुदेव कर्क राशि में उच्च में आते ही आपको अपार मदद करेंगें । विशेष बात यह है 12 /07 /14 को राहु ,शनि से अलग हो जायेगा तब आपको शनिदेव की भी अपार सहायता मिलेगी । साथ ही आपकी कुण्डली के अनुसार 4 /11 /14 तक चन्द्रमा में राहु का अंतर अभी चलेगा -राहु आपकी कुण्डली में शिक्षा क्षेत्र में है और यह सोच विचार की विशेष क्षमता भी देगा । आप का निर्णय समयानुसार होगा जो पद की गरिमा बढ़ायेगा ।----ॐ--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ (झा मेरठ झंझारपुरऔर मुम्बई)----- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग 5-ज्योतिषी झा मेरठ


 



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{5}-ज्योतिषी झा मेरठ
-1983 में पिताजी गुरुकुल आश्रम में छोड़ आये | एक थैला ,दो धोती ,एक बनियान ,एक कुर्ता ,थाली और लोटा के साथ | अपने परिजनों से दूर होना ,नवीन जगह पर अपना कोई न हो तो समय काटना कठिन होता है | खैर -अब हमारे माता- पिता गुरूजी थे जिन्हें लोग सरकार कहकर पुकारते थे | वहां के सभी छात्र हृष्ट -पुष्ट थे किन्तु मैं दुवला -पतला | सभी मित्रों के माता पिता कुछ न कुछ अपने बच्चों के लिए लाते थे किन्तु मेरा होते हुए भी कोई देखने भी नहीं आते थे | हम अपने आप को असहाय समझते थे | वहां दो समय भोजन मिलता था | दूध ,नास्ता ,दवाई ,फल ,सोने का कोई इंतजाम नहीं ,यहाँ तक कि घंटी बजी और भोजन में नहीं पंहुचे तो भूखे रहना पड़ता था | सर्वप्रथम इस आश्रम में मुझको दीक्षा दी गयी हम शाकाहार तो बनना चाहते थे पर तुलसी की माला नहीं पहनना चाहते थे क्योंकि हम बालक थे 13 वर्ष के नियमावली का पालन नहीं कर सकते थे | फिर भी तुलसी की माला तिलक धारण किया | अब पहला कार्य मिला भिक्षा मांगने का | एक छात्र ने पहले दिन गांव -लगमा, जिला दरभंगा- में भिक्षा कैसे मांगी जाती है सिखाया संयोग देखें -शुरुआत का पहला भवन मेरी मौसी का था जिनको हम तो नहीं जानते थे पर वो मुझको जानती थीं | उन्होंने अपना समझकर नास्ता कराया और भिक्षा दी | यह स्थिति मृत्यु तुल्य थी क्योंकि पराये से मांगना अपनों से बेहतर होता है | उस दिन से हम और निर्लज हो गए | ऐसा नहीं की हम ही मांगते थे सभी छात्र म,मांगते थे और जो हमलोग मांगकर लाते थे वही भोजन बनता था | अतः इस प्रकार की आदत पड़ गयी | यह प्रक्रिया तीन महीने तक चली | अब गुरूजी ने हमारा काम बदला -बोले तुम दोनों समय का भोजन बनाओगे क्यों -क्योंकि तुम्हारे पिता ने गुरुकुल की फीस नहीं जमा की इसलिए | अब भोजन बनाने की शिक्षा दी गई | रात को भोजन पाने के बाद सरकार को दूध पिलाना होता था और दूध पिलाना बहुत कठिन कार्य होता था क्योंकि जो दूध लेकर जाता था वो पहले सरकार के चरणों को दबाएगा चलो सेवा तो करनी चाहिए पर चरणों को दबाते -दबाते दूध ठंढा हो जाता था और फिर गर्म करके लाना पड़ता था पर सरकार कभी ये नहीं कहते थे कि जाओ सो जाओ देर रात हो गई है | इसके साथ एक और समस्या थी दिन रात का समय खाना बनाने में कट जायेगा तो पढ़ेगा कब इस बात से सरकार को कोई लेनी देनी नहीं थी |फिर भी हम जो समय मिलता था पढ़ने की कोशिश करते रहे | क्योंकि अपनी बात किससे कहते इसी तरह 1984 में मध्यमा यानि दसवीं कक्षा पास की | आगे कथा कल लिखेंगें | ----दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...