ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

मेरे पिता महान थे फिर भी कभी बनी नहीं क्यों- सुनें-भाग -38-ज्योतिषी झा मेरठ


 मेरे पिता महान थे फिर भी कभी बनी  नहीं क्यों- सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ 


"मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें - -ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -38
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

जगत की रचना क्यों हुई एवं नियमावली क्या थी -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 
जगत की रचना क्यों हुई एवं नियमावली क्या थी -पढ़ें-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ



 --वत्स --तुमने उत्तम प्रश्न किया- क्योंकि प्रत्येक निर्माणकर्ता की उत्सुकता रहती है -कि हमारी बातें या चीजें जन -जन तक पंहुचे तभी कार्य की सार्थकता मानी जाती है | ----अस्तु --जैसे प्रत्येक माता पिता संतानों के बिना अधूरे रहते हैं ,या प्रत्येक गुरु उत्तम शिष्य के बिना अधूरे रहते हैं ठीक इसी प्रकार से -जगतपिता भी जगत रचना के बिना अधूरे थे | क्योंकि परमतत्व और परमात्मा की पहचान तो केवल मानव से ही संभव था | संसार में तीन प्रकार के जीव हैं --अण्डज --जो अण्डों से उत्पन्न होते हैं | स्वेदज -जो पसीनों से उत्पन्न होते हैं | उद्भिज --जो उदर से जन्म लेते हैं | इनमें सभी जीव कहलाते हैं सबकी जीने की प्रक्रिया एक जैसी होती हैं किन्तु उदर में भी जो मनुष्य योनि है -उससे अवतरित होने वाले ही परमतत्व को जानने वाले होते हैं | यहाँ यह समझने वाली बात है कि प्रत्येक माता पिता या गुरु अपने से उत्तम पुत्र या शिष्य पाकर ही गदगद होते हैं अन्यथा ये असंतुष्ट रहते हैं | ऐसे ही जगत रचयिता ब्रह्मा ,पालनकर्ता श्रीहरि या संहारकर्ता शिव भी जगत के बिना अधूरे थे साथ ही उन देवों की भी मनसा थी हमें चुनौती देने वाले या हमारी प्रसन्नता को देने वाले केवल मानव ही है | अतः जगत में चौरासी लाख हजार योनियों में नियंत्रण करने की शक्ति केवल मनुष्य को मिली | आज भी प्रत्येक व्यक्ति अपनी अंगुली से चौरासी

अँगुलियों का होता है | साढ़े तीन हाथ का प्रत्येक व्यक्ति होता है | ---इस जगत का नियंत्रण एक छोटा कद का व्यक्ति कैसे करें --इसके लिए मन्त्रों के निर्माण हुए जो अदृश्य शक्ति के रूप में मानवों की सहायता करते हैं | बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना करने में मदद करते हैं | यह मन्त्र भी तीन प्रकार के हैं -तंत्र -अर्थात असंभव को संभव बनाने में काम आते हैं | यंत्र --जो कम श्रम से शीघ्र कार्य करें | मन्त्र -ये भी तीन प्रकार के हैं --वैदिक मन्त्र जो केवल सत्य पर आधारित हैं --इनको पाने के लिए अत्यधिक कठिनाइयां झेलनी होती हैं | इसे पाने के लिए सत्पात्र बनना होता | इसका प्रभाव अचूक होता है यह निष्फल नहीं होते हैं | पौराणिक मन्त्र का प्रयोग यंत्रों में होते हैं इसे कोई भी साध सकते हैं | तांत्रिक मन्त्र -ये केवल कुमार्गगामी ही इन मन्त्रों को अपनाते हैं ये तत्काल तो कार्य सिद्ध करते हैं किन्तु अंतिम परिणाम हानि भी पंहुचाते हैं | ---यथा राजा तथा प्रजा ---जैसा राजा होगा प्रजा भी वैसी ही होगी | जगत में उपभोग की अत्यधिक चीजें पतन की ओर ले जाती हैं | बिना उपभोग किये जीव रह भी नहीं सकते -इसलिए दिनों दिन नियमावली बदलती गई |--
जो परमात्मा की ओर बढ़ता है उसे परमात्मा गोद में बिठाते हैं जो अधम की ओर बढ़ता है उसे पुनः इसी संसार में भटकते रहना पड़ता है | ध्यान दें --हम प्रत्येक चीजों का अविष्कार कर सकते हैं किन्तु -विधाता के मन्त्रों का पुनः अविष्कार नहीं कोई कर सकता वो अभेद्य हैं अडिग हैं वो अचल हैं यही नियमावली में जगत के जन -जन को अपने में समेटे हुए हैं तभी तो संसार में जब हम आये तभी परमात्मा थे जब चले जायेंगें तब भी रहेंगें | जब हम आये तो तमाम सगे सम्बन्धी मिलते गए और छूटते गये पर वो परमात्मा सदा हमारे साथ थे हैं और रहेंगें यही जगत की नियमावली है | ---आगे की चर्चा आगे करेंगें "ॐ "--दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -38 -ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -38 -ज्योतिषी झा मेरठ

2015 --नेट की दुनिया में अब नया क्या करें जिससे लोगों के दिल में मेरे प्रति और श्रद्धा बढे | क्योंकि जो आलेख ज्योतिष और कर्मकाण्ड के थे जिनको हम ठीक से जानते थे सभी लिख चुके थे | कई दिन सोचता रहा एक दिन फिर मेरे मन में विचार आया --क्यों न अपनी जीवनी को झांककर देखूं --कहाँ से चला था और कहाँ आ गया | पिता से मैं स्नेह बहुत करता थाऔर पिता भी मुझसे बहुत स्नेह करते थे | जब भी पिता का और मेरा आमना -सामना होता था तो युद्ध बहुत होता था | पिता के अपने तर्क थे जो अनपढ़ता की होती थी --मेरे अपने तर्क थे --जो केवल शिक्षा पर आधारित थे ---ये उसी तरह था जैसा सूर्यदेव +शनिदेव हैं | पिता पुत्र हैं --सभी पूजते दोनों को हैं किन्तु दोनों के जीवन में मतान्तर बहुत हैं | मैंने अपने पिता की जनमपत्री देखी तो पता चला मेरे भाग्य क्षेत्र में और पिता के संतान क्षेत्र में नीच का शनि है ---साथ ही शनि की महादशा मेरी चालू हुई ही थी | रोग और शत्रुता अति बढ़नी थी | --मेरी जन्मपत्री में लिखा हुआ था --44 से 47 मृत्यु योग ----इस बात को मैं 1990 से जनता था पर कभी इस ओर ध्यान इसलिए नहीं दिया --गुरूजी ने अपनी जन्म पत्री देखने के लिए मना कर दिया था | अतः ईस्वर अधीन ही हम रहने लगे | जब शनि दशा चालू हुई तो मेरे मन में मरने का विचार आया कि आत्महत्या कर लूँ --पिता के स्वभाव के कारण --सबकुछ था पर जिस घर को बनाने में जीवन लगा दिया --उस घर में सबसे विशेष तिरस्कार मेरा ही हो रहा था | तो मेरे मन विचार आया अपनी जीवनी लिखूं तो शायद कोई मार्ग मिल जायेगा | मुझे सबसे बड़ा दुःख होता था --धन है ,मकान ,पुत्र है सभी परिजन हैं ,--जिस घर में कभी रोटी नहीं थी --आज सभी लखपति हैं ---सभी परिपूर्ण हैं --परन्तु मुझे ही सबने अलग कर दिया --अतः --2017 में हमने जीवनी लिखनी शुरू की | और मैं देखना चाहता था --कमी कहाँ रह गयी ---इसी बीच --2018 --फरबरी माह में सुखद समाचार आया --बड़ी पुत्री को पुत्र {धेबता } हुआ | नेट की दुनिया में अपनी कला दिखाने के लिए हारमोनियम से कई भजन गाये हैं जो बिडियो युटुब पर उपलब्ध हैं | मेरे आलेखों को जब पाठकगण पढ़ते -पढ़ते थक जाते थे तो बीच -बीच में मनोरंजन भी हो जाय जिससे मन में रोमांच होने लगे --तो कभी मैथिली गीत या भजन तो कभी हिन्दी भजन तो कभी उपदेश बिडियो भी मैं प्रसारित करता रहा | जिससे पाठक गण जुड़े रहें ---अतः --2018 जनवरी में सबसे सुन्दर और अन्तिम हारमोनियम खरीदा --पर होनी को किसने देखी है ----आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ-----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...