"मोती रत्न"क्यों कब और कैसे पहनें ?"
चंद्रमा का रत्न "मोती " है आंग्ल भाषा [अंग्रेजी में -पर्ल -कहते हैं |
ऐसा ज्योतिष में विदित है कि-प्रत्येक जीव मन के वशीभूत होते हैं
,जब मन स्थीर हो जाता है -तो शांति मिल जाती है एवं शांति के बिना -जीवन
नीरस सा प्रतीत होता है ||
अस्तु "मोती " यह एक
शुभ रत्न है |क्रोध कम करने ,बल्ड प्रेशर ,ह्रदय रोग ,चिंता ,तनाव
,पारिवारिक झगडे कम करने या शांति के लिए इसे धारण किया जाता है ||
"मोती "धारण करने से पूर्व "मोती "रत्न को आप स्वयं परख सकते हैं अपनी कसोटी पर ?
[१]-किसी मिटटी के वर्तन में गोमूत्र लेकर उसमें मोती को रत भर पड़ा रहने दें |सुबह तक नकली मोती टूट जायेगा ||
[२]-जमे घी में "मोती "डालने पर यदि वह पिघलने लगे तो वह मोती असली होगा ||
[३]-पानी से भरे कांच के गिलास में मोती डालने पर उसमें से किरणें
निकलती दिखे तो वह असली "मोती "होगा || ------धारण सोमवार शाम के समय
शुक्ल पक्ष में उचित रहता है ।
भाव -हम दिखावा के लिए रत्न न पहनें, सही परखें और सही समय से "मोती
"कर्क " राशी या वृष राशी में यदि चंदामा हो तो धारण करना चाहिए || --भवदीय निवेदक ---
खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
