काल और महाकाल में महान अन्तर है | काल शब्द समयवाची है | सूर्य और पृथ्वी के पारस्परिक दिन संबंध का बोध जिससे होता है --उसे समय या काल कहते हैं | किन्तु महाकाल की सत्ता इससे भिन्न है | उसमें उत्पत्ति ,स्थिति और लय ,---इन तीनों क्रमिक अवस्थाओं का आकलन होता है |
----महर्षियों ने काल को मुख्यतः पांच भागों में विभाजित किया है ,जो निम्न हैं --{1 }-वर्ष ,--{2 }-मास ,--{3 }-दिन ,--{4 }--लग्न ,--{5 }--मुहूर्त --| --मेरे प्रिय ज्योतिष पाठकगण --अब हम क्रम से इन पांच बातों को क्रम से समझाने का प्रयास करेंगें | ज्योतिष की दुनिया बहुत ही विस्तृत और विशाल है --किन्तु आज के समय में केवल --राशि ,महादशा -योगायोग ,नक्षत्रों पर ही सीमित रह गयी है --इसलिए आज के समय में सभी ज्योतिषी कहलाते हैं ---हम चाहते हैं --आप ज्योतिषी नहीं खगोलशास्त्री बनें -जिसमें समस्त जीव -जन्तु विद्यमान हैं | ---अब अगले भाग में वर्ष किसे कहते हैं पर परिचर्चा करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

