ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

रविवार, 29 अक्टूबर 2023

कर्मक्षेत्र में मेरा योगदान कैसा रहा पर विवेचन करना चाहता हूँ-पढ़ें- भाग-60-ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -60-ज्योतिषी झा मेरठ

आज मैं अपनी जीवनी में कर्मक्षेत्र में मेरा योगदान कैसा रहा पर विवेचन करना चाहता हूँ "-----यद्यपि एक साधारण सा व्यक्ति का कोई भी कर्मक्षेत्र प्रभावशाली नहीं होता है | जब मैं कर्मक्षेत्र के योग्य हुआ तब राहु की दशा चल रही थी | अतः बाल्यकाल में अनन्त सपने थे -सचाई कुछ नहीं थी | शिक्षा का आधार संस्कृत भाषा थी -तो नौकरी नहीं मिली -पण्डित बन गए | जिस कर्मकाण्ड के प्रति मेरी श्रद्धा नहीं थी --वही जीवन जीने का आधार बना | जब 30 वर्ष के हुए तो संगीतमय कथा की लालसा हुई --जब इस विद्या में निपुण हुए -तब नेट की दुनिया आ चुकी थी --तब मैं -40 वर्ष का हो चूका था --अतः नेट की दुनिया में आ गए --आजतक इसी दुनिया से भरण पोषण होता है | भले ही मुझे अनन्त कर्मक्षेत्र के लिए संघर्ष करना पड़ा हो पर जबतक हम पराधीन रहे --तो लोग हमसे कमीशन लेते रहे | किन्तु जब हम सक्षम हुए -1999 से तब मैं 29 वर्ष का था --तो हमने किसी से कोई कमीशन नहीं लिया | सबको बराबर दक्षिणा देने का प्रयास किया | कमर्काण्ड की दुनिया में एक सक्षम आचार्य को वही धन लेना चाहिए -जो यज्ञ से सम्बन्धित हो अन्यथा धन लाभ नहीं देता है इसका शतसः पालना करने की कोशिश की | दान में मिली हुई वस्तुओं को जिनकी हमें आवश्यकता नहीं थी हमने बेचा नहीं ,संचित नहीं किया बल्कि जरूरत मन्द लोगों को गांव में लेजाकर भोजन के साथ दक्षिणा देकर --वो भी माता पिता के हाथों से कराने की यथाशक्ति कोशिश की --इसकी वजह से ही हम आगे बढ़ते गए | मेरे कोई ऐसे यजमान नहीं रहे --जिनकी मुरादें पूरी न हुई हों | पर अपने जीवनकाल में ब्राहण ,क्षत्रिय ,वैश्य --ये प्रमुख यजमान रहे --इन्हौनें कभी कोई पुरस्कार नहीं दिया -बदले में शोषण ही किया | मेरे जीवन में पुरस्कार देने वाले प्रमुख यजमान ,कोई छारी ,तो कोई गूजर तो कोई जाटव तो कोई यादव तो कोई जाट तो कोई धानक तो कोई पासवान तो कोई नाई --ऐसे लोग सहयोग विशेष करने वाले रहे | आज के समय में नेट की दुनिया में ज्यादातर नवयुवक हैं जो धन भी देते हैं और सम्मान भी करते हैं --क्योंकि वो जब मेरे आलेखों को पढ़ते हैं तो उन बातों को नहीं मानते हैं --जो सुनी -सुनाई हैं --जो प्रत्यक्ष देखते हैं --उनको मानते है | ज्योतिष और कर्मकाण्ड जगत महंगा होने के कारण लोग तन्त्र और यन्त्रों का सहारा लेते हैं | हमने ज्योतिष और कर्मकाण्ड को व्यवसाय नहीं बनाया --बल्कि --जो पण्डित ,शास्त्री को करना चाहिए वही किया | हमने रतनों को नहीं बेचा -जबकि पूर्ण जानकारी है | हमने वही यज्ञ किये जिनको मेरा करने का अधिकार था | --हमने अपने जीवन में कोई याचना लोगों से नहीं की सिर्फ भगवान से की --यह विस्वास है परमात्मा की कृपा होगी तभी कोई कुछ दे सकता है | मुझे धर्म का पालन करने में कई यजमानों से लड़ाई हुई --पर नतमस्तक सिर्फ भगवान के समीप ही हुए | आज भी मन्दिर में रहता हूँ पर आजतक सेवकाई नहीं ली है --23 वर्ष हो चुके हैं | सभी प्रकार की पूजा को जनता हूँ पर केवल मैं यज्ञों को ही कराता हूँ --ताकि जो कम पढ़े लिखे हैं उनको भी रोजगार मिले | ज्योतिष सेवा महंगी है --जो कम खर्च करने वाले हैं वो वहां जाये जो कम पढ़े लिखे हैं ताकि सभी को रोजगार मिले | हमने शिक्षा दान करने की बहुत कोशिश की पर सुपात्र शिष्य नहीं मिले | मुझे लगता है --सबको जीने का हक़ है अतः कर्मक्षेत्र का अर्थ है कर्तव्यपथ और इसका पूर्ण रूपेण पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए --आपके भाग्य में कुछ है तो अभी मिलेगा --नहीं है तो कर्म के द्वारा आगे मिलेगा | -----अब मैं जीवनी की ज्वलंत घटनाओं को दर्शाऊँगा जो ग्रहों के खेल भी हैं ,व्यक्ति का अनुभव भी है | ---ॐ आपका - -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

छलनी से क्यों देखते हैं करवा चौथ का चांद-पढ़कर अनुभव करें -ज्योतिषी झा मेरठ


 छलनी से क्यों देखते हैं करवा चौथ का चांद-पढ़कर अनुभव करें -ज्योतिषी झा मेरठ

 



कार्तिक मास में जब कृष्ण पक्ष आता है उसकी चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है। यह व्रत सुख, सौभाग्य, दांपत्य जीवन में प्रेम बरकरार रखने के लिए होता है। इसके साथ ही परिवार में रोग, शोक और संकट को दूर करने के लिए भी होता है। सुबह से रखा जाने वाला व्रत शाम को चांद देखने के बाद ही खोला जाता है। चांद देखने की भी एक खास परंपरा है, इसे छलनी में से ही देखा जाता है। ऐसा क्यों है. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी..।--भाइयों ने किया था बहन से छल करवा चौथ व्रत कथा के मुताबिक प्राचीन काल में एक बहन को भाइयों ने स्नेहवश भोजन कराने के लिए छल से चांद की बजाय छलनी की ओट में दीपक जला दिया और भोजन कराकर व्रत भंग करा दिया। इसके बाद उसने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और जब दोबारा करवा चौथ आया तो उसने विधि पूर्वक व्रत किया और उसे सौभाग्य की प्राप्ति हो गई। उस करवा चौथ पर उसने हाथ में छलनी लेकर चांद के दीदार किए थे।--यह भी है एक कहानीइस दिन चांद को छलनी के जरिए देखने की यह कथा भी प्रचलित है। इसका यह महत्व है कि कोई भी छल से उनका व्रत भंग न कर सके, इसलिए छलनी के जरिए बहुत बारीकी से चंद्रमा को देखने के बाद ही व्रत खोलने की परंपरा विकसित हो गई। इस दिन व्रत करने के लिए इस व्रत की कथा सुनने का भी विशेष महत्व है।---सांस का आशीर्वाद लेकर देती हैं गिफ्ट करवा चौथ के व्रत वाले दिन एक चौकी पर जल का लौटा, करवे में गेहूं और उसके ढक्कन में शक्कर और रुपए रखे जाते हैं। पूजन में रोली, चावल, और गुड़ भी रखा जाता है। फिर लौटे और करवे पर स्वस्तिक का निशान बनाया जाता है। दोनों को 13 बिंदियों से सजाया जाता है। गेहूं के तेरह दाने हाथ में लिए जाते हैं और कथा सुनी जाती है। बाद में सासू मां के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें भेंट दी जाती है। चंद्रमा के दर्शन होने के बाद उसी चावल को गुड़ के साथ चढ़ाना होता है। सभी रस्मों को पूरी शिद्दत के साथ करने के बाद ही भोजन ग्रहण करने की परंपरा है।---1. यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।--2. यह व्रत 12 से 16 साल तक लगातार हर साल करने की परंपरा है।--3. सुहागिन महिलाएं व्रत से एक दिन पहले सिर धोकर स्नान करने के बाद हाथों में मेहंदी और पैरों में माहुर लगाती हैं।---4. चतुर्थी को सुबह चार बजे महिलाएं सूर्योदय से पूर्व भोजन करती हैं। इसमें दूध, फल और मिठाइयां आदि व्यंजन शामिल किए जाते हैं। सूर्योदय के पहले किया गया यह भोजन सरगही या सरगी कहलाता है।--5. व्रत करने के बाद रात को 16 श्रंगार कर चंद्रोदय पर छलनी से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। फिर पति का चेहरा देखने की रस्म होती है। इसके बाद पति अपनी पत्नी को जल पिलाकर व्रत खुलवाता है।------ ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



राहु ग्रह का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ



 राहु ग्रह का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ

-ज्योतिष जगत में राहु ग्रह को दानव जगत में मन्त्री का पद दिया गया है | ज्योतिष जगत में राहु ग्रह का स्वभाव कैसा होता है | प्रभाव कहाँ -कहाँ पड़ता है और उपचार क्या -क्या करना चाहिए ---सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई से | ----दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...