शंखपाल "नामक कालसर्पयोग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
फलित ज्योतिष जगत के आचार्यों ने -अगर जन्मकुण्डली के चतुर्थभाव में राहु एवं दशम भाव में केतु हो साथ ही सातों ग्रह इनके मध्य तो -"शंखपाल नामक कालसर्पयोग का दोष माना है । ----अस्तु ----वैसे तो कुण्डली का सही आकलन से ही सही बात कही जा सकती है किन्तु मोटे तौर पर -इस शंखपाल नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक माता पिता से दुःखी रहते हैं या ऐसे जातकों से माता पिता को कष्ट मिलता है । ऐसे जातक के मित्र स्वार्थी होते हैं । चचेरे परिवार से जान का खतरा का भय रहता है । ऐसे जातक अनेक प्रकार के रोगों की शंका से घिरे रहते हैं । ऐसे जातक स्वतंत्रता एवं स्वाधीन जीवन जीना चाहते रहते हैं । ऐसे जातक प्रेम रस के महारथी होते हैं । ऐसे जातक परोपकारी तो होते हैं किन्तु यश नहीं मिल पाता है । --निदान -शास्त्र सम्मत पितरों की विधिवत पूजा से ही संभव है किन्तु -अपने -अपने पुरोहितजी राय अवश्य लें । धनाभाव हो तो -अमावश्या के दिन दूध +मिठान्न ब्राह्मणों को देने से राहत मिल सकती है -अमावस्या को गंगास्नान से भी लाभ मिल सकता है । दोस्तों -वैसे कालसर्पदोष 320 प्रकार के होते हैं किन्तु प्रत्येक जातक की जन्मकुण्डली में जो कालसर्पदोष देखने को मिलते है उनके नाम और प्रभाव हमने क्रम से जैसे -शंखपाल ,शेषनाग ,विषाक्त ,पातक ,शंखनाद ,कर्कोटक ,तक्षक ,महापदम ,पदम् नामक कालसर्प दोषों को बताने की कोशिश की अब हम आगे आपको कालसर्पदोष क्या सच है ,सबसे पहले किसने पहचान की और साथ ही कालसर्प दोष की प्रमाणिकता की भी बातों समझाने का प्रयास करेंगें । ------
--------ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

