ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुधवार, 25 अक्टूबर 2023

कर्मकाण्ड +ज्योतिष के अनुभव पर प्रकाश डालना चाहता हूँ -पढ़ें - भाग -57-ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -57-ज्योतिषी झा मेरठ

आज अपनी जीवनी में कुछ कर्मकाण्ड +ज्योतिष के अनुभव पर प्रकाश डालना चाहता हूँ | --सनातन संस्कृति में -हमारेऋषि -महर्षियों ,आचार्यों ,गुरुजनों ,माता पिता के अथक योगदान हैं | आज कर्मकाण्ड जगत या ज्योतिष जगत के भूदेवों का सम्मान उन्हीं की वजह से होता है | यद्पि ऐसा नहीं है कि आज अच्छे आचार्य नहीं हैं -आज भी हैं पर सौ में एक हैं --इसलिए सभी एक जैसा ही दिखते हैं | मेरा सतत प्रयास रहता है --उन बातों को कहें जो हमने अनुभव किये हैं --क्योंकि केवल उनको ही प्रमाणिकता दी जा सकती है | ---अस्तु --हमने बहुत से यज्ञ किये एवं करायें हैं | किसी भी यज्ञ में दक्षिणा बाद में ली है | बहुत से बालक के विवाह एवं उनके बालक के विवाह कराये हैं | 1982 से 2023 तक करीब तीन पीढ़ियों से जुड़े हैं | मुझे अपने जीवन में एक भी यजमान ऐसे नहीं मिले जिन्हौनें श्रद्धा से कुछ उपहार दिया हो | अगर दिया है तो भोजन उत्तम ,सम्मान उत्तम ,व्यवहार उत्तम ,वस्त्र वो जो उन्हें अच्छे लगे -जो हमें अच्छे लगे कदापि नहीं | जीवन भर जी हजूरी करते रहे --बदले में चरण स्पर्श मिलता रहा | जब हम आधुनिक बनें ,आधुनिक यन्त्र से कार्य करने लगे तो --हमने भी नियम बदल दिए | आज काम को सलाम भी लोग करते हैं ,पैसे भी देते हैं --पर एक चीज है प्राचीनता में -सम्मान बहुत था ,आज आधुनिकता में धन तो मिलता है ,पैसे भी मिलते हैं पर गाली देने में भी देर नहीं करते हैं | मेरे बहुत से यजमान रहे जिन्हौनें दक्षिण दी नहीं ,बहुत से यजमान रहे सपने दिखाते रहे ,पुत्र की शादी हो जाएगी तो ये दूंगा ,पौत्र होगा तो वो दूंगा --पर देना तो दूर दक्षिणा भी खा गए | --इन तमाम बातों को देखते हुए नेट की दुनिया में 2010 में आया | हमने देखा आधुनिक यंत्र पर भूदेव कम थे ,जैन ,गोयल ,और भी बहुत लोग जो संस्कृत तो नहीं जानते थे पर अंग्रेजी, हिन्दी वाले बहुत थे --एक कहावत है --वचने किं दरिद्रता -'-पण्डित होहि जो गाल बजाबा " जो ज्ञानी पुरुष होते हैं वो फालतू की बातों से बेहतर हरी के सहारे चलते हैं ,जो अज्ञानी होते हैं -वो वर्तमान के सुख और सुविधा में जीते हैं | इस बात की समझ जब आती है तबतक व्यक्ति जीवन की अन्तिम धड़ी में पहुँच जाता है | --वैसे हमने वही प्रयास करने की अथक कोशिश की जो कर्मकाण्ड जगत में जो शास्त्र सम्मत थे ,नियम थे ,जो लोगों को आज भी लाभ दे और भविष्य में भी लाभ दे | बदले में धर्मसम्मत कुछ नहीं मिला | जब ज्योतिष जगत में आये तो फिर से वही कोशिश की जो धर्म सम्मत था --पर जो समय के साथ नहीं चलता है ---वो पीछे रह जाता है --अतः फ्री जैसा शब्द फ्री ही रहता है उसका वजूद क्षणिक होता है एवं अपना समय व्यर्थ करना होता है | यदि जन्मपत्री सही होती है ,ईस्वर का अस्तित्व है सृष्टि में ,सबके पालन कर्ता हैं श्रीहरि ,सभी राम नाम का सहारा लेकर ही भवसागर से पार होते हैं --और मन्त्रों में शक्ति हैं उन मन्त्रों से यजमान का भला हो सकता है -तो मेरा क्यों नहीं हो सकता है | इसके लिए वही राह चलनी चाहिए -जो शास्त्र कहते हैं ,गुरुजन कहते हैं ,माता पिता कहते हैं --देर हो सकती है विजय भी धर्म की ही होगी | कोई चले न चले हम चलें --जब हम चलेंगें तो पीछे के लोग अवश्य अनुशरण करेंगें | --अब मैं जीवनी की ज्वलंत घटनाओं को दर्शाऊँगा जो ग्रहों के खेल भी हैं ,व्यक्ति का अनुभव भी है | ---ॐ आपका - -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुध ग्रह का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ



 बुध ग्रह का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ

-ज्योतिष जगत में बुध ग्रह को वाणी जगत का स्वामी माना गया है | ज्योतिष ग्रह बुध ग्रह का स्वभाव कैसा होता है | प्रभाव कहाँ -कहाँ पड़ता है और उपचार क्या -क्या करना चाहिए ---सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई से | ----दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

नागपंचमी में कालसर्पदोष का निदान क्यों -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ


 




नागपंचमी में कालसर्पदोष का निदान क्यों -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ
----प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लोग नागपंचमी {नाग +शिव }की पूजा करते हैं ।अस्तु --पौराणिक मतों के अनुसार सृष्टि रचना की शुरुआत में विधाता ब्रह्माजी को विशेष क्रोध आया । परिणाम स्वरुप उनके आंसुओं की कुछ बूंदें पृथ्वी के कुछ भागों में गिरीं ---जो नाग रूप में उत्पन्न हुए ,इन नागों में मुख्य रूप से अनंत ,कुलिक ,वासुकि ,तक्षक ,कर्कोटक ,पदम ,महापदम और शंखपाल आदि नामों से विख्यात हैं । जब हम जन्म कुण्डली का आकलन करते हैं तो ये कालसर्पयोग के रूप में देखने को आज भी मिलते हैं -और जिसका सूक्ष्म निदान इस तिथि में करते हैं । ---विधाता ने इन नागों को अपनी संतान के साथ -साथ ग्रहों के समतुल्य शक्ति से युक्त भी कये --ग्रहों में -अनंतनाग =सूर्य ,वासुकि =चन्द्रमा ,तक्षक =मंगल ,कर्कोटक =बुध ,पदम =गुरु ,महापदम =शुक्र और कुलिक +शंखपाल =शनि ग्रह के जैसे हैं । --------गणेशजी एवं रूद्र जनेऊ के रूप में भोलेनाथ श्रृंगार के रूप में ,श्री हरि शैय्या {बिस्तर }के रूप में तो पृथ्वी को अपने फन के ऊपर शेषनाग ने धारण किया है । ---------ज्योतिष शास्त्र {वैदिक }में राहु को काल और केतु को सर्प माना जाता है । ---अतः नागदेवता की पूजा से प्राणी कुंडली में विदित दोष के आलावा शांति प्राप्त करता है । साथ विषधर जीवों के भय से भी मुक्त रहता है । घर में सुख -शान्ति बनी रहती है । घर निर्माण में भी नागदेवता की प्रतिमा रखी जाती है -क्योंकि हम इनके ऋणी भी हैं । -------जहाँ संसाधन युक्त लोग नहीं होते हैं या फिर परम्परा होती है वहां नागदेवता को मुख्य द्वार पर गाय +मिट्टी युक्त गाय गोबर से ही चित्र अंकित कर देते हैं । --घर में लक्ष्मी का वास बना रहे इसलिए भी पूजा करते हैं । -नोट ----वास्तविक बात यह है -कम धन ,कम समय और मेहनत से विशेष प्राप्ति हेतु कुछ मुख्य पर्व होते हैं - हमें विशेष लाभ प्राप्ति हेतु पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए ।----ॐ शिव -
-प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सनातन संस्तृति कितनी विस्तृत है --पढ़ें -- भाग -56-ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -56-ज्योतिषी झा मेरठ

'आज मैं सनातन संस्तृति कितनी विस्तृत है -पर हमलोग करते क्या हैं ,जानते क्या हैं -प्रकाश डालना चाहता हूँ '--------- सबसे पहली बात जो सदियों से आजतक और आज से अनादिकाल तक चलने वाली पद्धत्ति -संस्तृति को ही वास्तव में सनातन कहते हैं | इसकी नींव इतनी मजबूत है लाख चाहने से भी कमजोर नहीं हो सकती है | धर्म का भावार्थ है जिसे हम आत्मा की बातों को सुनकर अमल करते हैं उसे धर्म कहते है | जिसे हम बुद्धि के द्वारा कार्य करते हैं या मानते है -उसे तर्क और कुतर्क कहते हैं --वास्तव में जिससे अपना भी हित हो एवं सभी का हित हो उसे ही धर्म कहते हैं | सनातन के नियमों के विरुद्ध जाना ही व्यक्ति के उपनाम जाति शब्द है --जैसे मुझे कईबार गुरूजी -कुपात्र ,मलेच्छ ,भ्रष्ट ,संस्कारहीन ,गदहा जैसे शब्दों से सम्बोधन करते थे --जब मैं कोई व्यवहार शास्त्र सम्मत न करके ,दिल से न करके, मन के अनुरूप करता था --इसे ही वास्तव में काम के अनुसार व्यक्ति की जाति समझी जाती है | जब मैं कोई सुन्दर कार्य गुरु या माता पिता के अनुरूप करता था तो --सुन्दर ,काबिल ,अच्छा, उत्तम ,मन प्रसन्न हुआ --जैसे शब्दों से आशीष मिलता था --वस्तुतः --उत्तम कार्य करने पर ही माता पिता गुरुजन आशीष प्रदान करते हैं --जिसे -यह बालक उच्च कूल का है ,खानदानी है ,संस्कारी है ,आदि -आदि --वास्तव में व्यक्ति के गुणों को दर्शाने वाले कर्मों को ही जाति जैसे शब्दों में पिरोया गया --किन्तु -ज्ञानी और अज्ञानी व्यक्ति --किसी भी बात को अपनी -अपनी क्षमतानुसार उसकी व्याख्या करते हैं --जिसे सनातन नहीं कहते हैं बल्कि इसे व्यक्ति की कपोलकल्पना कहते हैं | मैं जन्मजात ब्राहण परिवार से हूँ किन्तु मेरे पिता या मेरे खानदान में कोई भी पुरोहित के कार्य नहीं करते थे | मेरे पिता व्यापारी थे --पर कालचक्र के कारण मैं अति दरिद्र हो गया | मेरी शिक्षा एक आश्रम में हुई -वहां के आचार्य दक्ष और निपुण थे उनके संस्कार मुझ में आये --अतः मैं व्यापार नहीं कर्मकाण्ड और ज्योतिष की दुनिया में आया | धर्म का आचरण करने वाले लोग भले ही कुछ देर के लिए भटक जाय पर बहुत जल्दी उसी परिबेश में आ जाते हैं | मैं एक शिक्षक बनना चाहता था ,कर्मकाण्ड या ज्योतिष से एक पीढ़ी खुशहाल हो सकती है किन्तु दूसरी पीढ़ी नष्ट या निकम्मा हो जाती है --क्योंकि जीवन जीने के लिए एक आचार्य दक्ष होते हुए भी गलत कार्य करे या झूठ से जीए -तो दण्ड भी मिलता है | संतान संस्कृति में -ज्यादातर जो दक्ष आचार्य रहे अपनी संतानों को ज्ञानी और धार्मिक बनाये | -------पर वर्तमान समय में ज्यादातर दक्ष आचार्य इसलिए नहीं है --क्योंकि विशेषतर जजमान ही अल्प ज्ञानी और अभिमानी हैं | धन है पर धर्म नहीं है ,धन है पर दया नहीं है ,धन और बल हैं इसलिए --इसलिए -जजमान आचार्यों के अनुसार नहीं होते हैं बल्कि आचार्य इनके अनुसार होते हैं | ऐसा होने पर किताब भी इनके अनुसार बनती है ,पंचांग कोई आचार्य नहीं जजमान बनाते हैं ,मन्दिर का सञ्चालन कोई आचार्य नहीं करते बल्कि वही जजमान के अनुसार होता है | परिणाम -भ्रष्टता बढ़ती जा रही है | सभी आचार्यों की संतान उसी पथ पर चलती है --जिस पथ पर केवल धन तो आये धर्म की कोई जगह नहीं होती है | सभी मठों पर ,आश्रमों पर ,आचार्यों पर ,संस्कृत के विद्यालयों पर जजमानों का ही अधिकार रहता है --धन के बिना कुछ चलता नहीं है | --अतः धन का आगमन ज्यादा हो धर्म केवल मुहर के लिए होता है | ऐसा नहीं है मैं कोई दूध का धुला हूँ --पर हमने गरीबी की वजह से ज्योतिष +कर्मकाण्ड को अपनाया | इतना तो धन प्रभु ने दिया है जिससे अपने बालक को सही दिशा दे सकते हैं --यह सोच सबकी हो जाय तो सनातन होगा --अन्यथा धन तो आता रहेगा --चाहे जजमान हों या पुरोहित --सिद्धांतों के विपरीत कोई चलेंगें तो न तो अपना भला कर पायेंगें न ही जग का भला करेंगें | -----आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...