ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

गुरुवार, 14 सितंबर 2023

ज्योतिष का कला दाता " बुध"पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ

  ज्योतिष का कला दाता " बुध"पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ 

 



सूर्य के अति समीप रहने वाला ग्रह बुध ही है । सूर्य के सान्निध्य के कारण बुध का प्रकाश प्रखर और प्रवल है किन्तु अपना अस्तित्व छिपाए रखता है । बुध सबसे छोटा ग्रह है ,सूर्य की परिक्रमा करने में बुध को केवल 88 दिन लगते हैं । बुध ग्रह वायु रहित ,सूर्योदय से पहले उदित होने वाला और सूर्यास्त के बाद अस्त होता है । ---बुध -उत्तर दिशा का स्वामी ,नपुंसक एवं त्रिदोषकारी है ,श्याम एवं हरे रंग वाला ,बहुभाषी ,कृष शरीर ,रजोगुणी ,पृथ्वीतत्व वाला ,पित्त व कफ प्रकृति वाला ,शूद्र जाति और स्पष्टवादी है --ये तमाम गुण इस राशि के जातक में विद्यमान होता है । जातक की जिह्वा ,कंठ ,तालु ,बुद्घि ,शिल्प ,विद्या ,और कला का विचार बुध से ही किया जाता है । यदि कुण्डली के प्रथम भाव को बुध पूर्ण रूप से देखता हो तो -जातक को व्यापर से अपार धन का लाभ होता है । किन्तु जातक को कुटुम्ब विरोधी स्वतंत्र विचारक ,हठी और अभिमानी भी बनाता है । यही प्रभाव दूसरे भाव कुण्डली में भी होता है । तीसरे भाव को देखने पर जातक को अत्यंत भाग्यवान ,प्रवासी ,सत्संगी फल से ओत प्रोत करता है ।  चतुर्थ भाव में जातक को राज्य से लाभ ,भूमि ,वाहन -सुख ,प्रकांड पंडित और पांचवे भाव में गुणवान ,शिल्पकार ,छठे भाव में वात रोगी ,कुकर्मी ,शत्रु पीड़ित और जीवन के अंतिम दिनों में धन संचित करने वाला बनाता है । सातवें भाव में हो तो व्यक्ति सुशील पत्नी वाला ,गणित विशेषज्ञ होता है । आठवें भाव में व्याकुल ,प्रवासी ,परिवार विरोधी ,अपयश भागी ,---नवें भाव में गायनप्रिय ,विलासी ,मातृद्रोही ,सुखभोगी ,दशवें भाव में कीर्तिमान ,ग्यारहवें भाव में -विद्वान ,कला -विशारद बनाता है । परन्तु जब बारहवें भाव को बुध देखता है पूर्णदृष्टि से तो व्यक्ति को अपंग ,निर्धन ,बुद्धि हीन और दूसरे के धन का लोभी भी बना देता है । -----सच तो कुण्डली का सही आकलन से ही जाना जा सकता है फिर भी चाहे कोई भी कुण्डली क्यों न हो बुध की स्थिति ऐसी होने पर फलादेश अवश्य मिलेगा परखकर देखें !---- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें ---------https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई



सेनापति "मंगल-ग्रह"स्त्रियों के प्रिय भी है -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ




      सेनापति "मंगल-ग्रह"स्त्रियों के प्रिय भी है -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ 

पृथ्वी ,रसा, गंधा,रत्नगर्भा ,वीर ,प्रसू एवं सर्वसहायक सर्व -मंगला नाम से विख्यात है -मंगल ग्रह । पौराणिक कथा है कि जब पृथ्वी को पिता ब्रह्मा ने पुत्र रूप में मेढक को दिया ,तो पृथ्वी का कष्ट और बढ़ गया तब विधाता ने मेढक को मानव रूप में बदल दिया ,पृथ्वी का उलाहना कष्ट तो मिट गया किन्तु मेढक मानव का नाम भौमासुर हुआ ,उसने अपने अत्याचारों से पृथ्वी -मंडल को मथ डाला अर्थात त्रसित -पीड़ित कर डाला ,तब पृथ्वी ने फिर ब्रह्मदेव से पुकार की । --इसबार पिता ब्रह्मा ने भौम नाम का एक पुत्र और दिया और कहा "पुत्री "यह भौम भौमासुर की तरह किसी को कष्ट नहीं देगा । पृथ्वी पर सबको सुख प्रदान करेगा ,सबके दुःखों को हर लेगा ,इसे पुरुष ही नहीं स्त्री भी स्नेह करेंगी साथ ही अपने शीश पर बिताएंगी । इसलिए आज भी मंगलसूत्र नाम का आभूषण नारियों के सुहाग का प्रतीक बना हुआ है ।यही वो भौम {मंगल }है जो धर्म और मर्यादा ,धर्म और सत्य के लिए संसार के पृथ्वी जगत में विहार करता है । --अस्तु --मंगल दक्षिण दिशा का स्वामी ,पुरुष जाति ,पित्त -प्रकृति ,रक्त वर्ण और अग्नितत्व है । यह स्वभाव से पापी ग्रह है ,धैर्य एवं पराक्रम का स्वामी है । तीसरे और छठे स्थान में बली दूसरे स्थान में निष्फल होता है । दशम भाव में दिग्बली और चन्द्रमा के साथ चेष्टाबली होता है । भाई -बंधुओं का कारक एवं शास्त्रीय नाम -अस्र ,आर ,कुंज ,भौम ,वक्र ,अंगार ,अराल ,अरुण ,इराज ,कुपुत्र ,क्षमा ,जन्मा ,रोहित ,लोहित ,अवनीभू और विपुलातनुजात है । ----ज्योतिषाचार्यों के मत से मंगल सेनापत्ति ,नेता ,अधिपति ,देवता और बलविक्रम का प्रतिनिधि करने वाला ग्रह कहलाता है । मंगल युद्ध का निर्झर है ,शक्ति का विधाता है ,तरुणाई का मूलाधार है ,भयानकता और क्रूरता का खजाना है । अतिचपल एवं चंचल है ,देश प्रेम और साहस का निधि है । इसे विजय का सेतु भी कहा जाता है । एक राशि पर डेढ़ मास रहता है ,इसकी स्वराशि -1 +8 है  मकर में उच्च एवं कर्क में नीच का माना जाता है । मित्र -सूर्य ,चन्द्र और गुरु हैं । चतुर्थ, सप्तमऔर अष्टम  भावों पर पूर्ण दृष्टि रखता है । यह अनैतिक प्रेम करने वाला भी है ,पुलिस ,सेना ,शास्त्रागार ,शल्योपचार जातक को बनाता है । इसके अनुयायी चोर भी होते हैं ,अधिकार को मुठ्ठी में रखने वाला ,और आदेश का पालन कराने वाला बनाता है । साथ ही इन तमाम बातों के बाद मंगल ग्रह से युक्त जातकों को राजनीति में प्रवेश करके नेतृत्व भी करने वाला बनाता है ।-- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें ---https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

-


चन्द्रमा ग्रह मस्तिष्क का द्योतक है -कैसे -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ





   चन्द्रमा ग्रह मस्तिष्क का द्योतक है -कैसे -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ 

यदि हम जानना चाहें कि व्यक्ति का मस्तिष्क किस प्रकार का है -तो हमें उसकी जन्मपत्री में चन्द्र की स्थिति का अवलोकन करना होता है । कर्क राशि के व्यक्ति या उत्तम चन्द्रमा के प्रभाव में रहने वाले व्यक्ति -शांत ,संग्रहीत ,न्याय एवं क्षमाशील अवश्य होते हैं । इन्हें शीघ्र अपनी ओर कोई भी कर सकता है -क्योंकि ये लोग ह्रदय से दयालु होते हैं -क्षमा करना और भूल जाना ही इनका सिद्धांत होता है -ऐसे व्यक्ति की मानस रचना में  दया विशेष गुण होता है । ईंट का जबाब पत्थर से देना या पुरानी दुश्मनी को याद रखना इनका स्वभाव नहीं होता है । ---अस्तु ---ऐसे व्यक्ति कभी भी कठोर या क्रूर नहीं होते परन्तु न्याय और ओचित्य के क्षेत्र में घोर संकल्पित प्रदर्शित करते हैं , और  प्रायः शांत,निर्बाध व सुविधाजनक जीवन व्यतीत करते हैं । ऐसे व्यक्तियों का जीवन तूफानों और आघातों से अछूता रहता है । वो धीरे -धीरे प्रगति करते हैं ,समृद्ध होते हैं ,साथ ही धर्मार्थ कामों में योगदान करना पसंद करते हैं । स्वभाव से मिलनसार और अश्लील या अशिष्टता से दूर भी रहते हैं । ---ज्योतिष विज्ञानं के दक्ष आचार्यों के विचार से समस्त कलाओं से युक्त ,पश्चिम दिशा का स्वामी ,स्त्री जाति ,श्वेत वर्ण एवं जल युक्त ग्रह है । यह रक्त का स्वामी ,माता -पिता ,चित्तवृत्ति ,शारीरिक पुष्टि ,राजनुग्रह ,संपत्ति और चतुर्थ स्थान का कारक है । चतुर्थ स्थान में चन्द्रमा बली और मकर से 6 राशि में चेष्टाबली होता है । शारीरिक रंग ,पांडुरोग ,जलन ,व्यर्थ भ्रमण ,उदर,कफज रोग ,पीनस ,मूत्रकच्छ ,स्त्रीजन्य रोग ,मानसिक रोग  एवं मस्तिष्क का विचार किया जाता है या ऐसे व्यक्ति इन पीड़ाओं से पीड़ित अवश्य ही होते हैं । ---चन्द्र --मन की भावनाओं तरह अत्यंत गतिशील ग्रह है । यह व्यक्ति के गले से ह्रदय तक एवं अंडकोष तथा गर्भ आदि पर पूर्ण प्रभाव डालता है - साथ ही पिंगल और नाड़ी का प्रतीक भी माना जाता है । आचार्यों ने चन्द्रमा को स्वप्न की सुंदरी एवं शिशुओं की माता कहा है । यही नाविकों एवं पर्यटनशील व्यक्तियों का प्राणधार एवं घुमक्कड़ पुरुषों का सुषमागार है । मन की गति ,हाव -भाव एवं मानसिक घात -प्रतिघात एवं विभोरता का परिचायक भी है । --वास्तव में चन्द्रमा से प्रभावित व्यक्तियों का प्रतिनिधि करता है -जो भावुक हैं  ,तरंगी हैं  ,मनचले हैं,भावावेश में आकर बिना मूल्य बिक जाते हैं -इसके अलावा यह भी कह सकते हैं कि चन्द्र ग्रह व्यक्तियों को छवि नाथों का लोकप्रिय देवता भी बना देता है । आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें ----https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




ज्योतिष का सम्राट "सूर्य "पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ "


 ज्योतिष का सम्राट "सूर्य "पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ "

 



सूर्य विश्व का सम्राट है ,तेजस्विता और ओज का प्रतीक है । सभी के जीवन पर अपना प्रभाव रखता है । रक्त और व्यक्ति के रक्त प्रवाह पर अपना अनुशासन रखता है । सूर्य की राजसी प्रवृत्ति है --सिंह राशि के लोग अपमान सहन नहीं करते हैं ,उदासीनता इन्हें पसंद नहीं ,प्रतिष्ठा में अपना पूर्ण भाग चाहते हैं । सिंह राशि के जातक तड़क -भड़क का प्रेमी होता है और छोटी -छोटी बातें भी बड़े शिष्टाचार से बोली जाय ,साथ ही सम्मान ,संपत्ति ,धन -दौलत एवं आदर -सत्कार में अपनी सर्वाधिक प्रतिष्ठा चाहते हैं । वो राजसी भोजन तथा भव्य परिवेश को अधिक पसंद करते हैं । अपने साथ अनुयायी वर्ग रखना उन्हें अच्छा लगता है । वो चापलूसी पसंद करते हैं एवं अपने अत्यधिक चाटुकारों को बड़े -बड़े उपहार देने में तनिक भी संकोच नहीं करते हैं । -----अस्तु ---सूर्य ग्रह की राशि वाले लोग तत्काल क्रोध में आ जाते हैं ,किन्तु उतनी जल्दी ही चापलूसी सम्मान से शांत भी हो जाते हैं -परन्तु आसानी से जल्दी क्षमा नहीं करते हैं । वास्तविक में सूर्य ग्रह पुरुष जाति रक्त वर्ण ,पित्त- प्रकृति एवं पूर्व दिशा का स्वामी है  जिस कारण इस राशि के जातक इन तमान गुण से युक्त अवश्य होते हैं । यह आत्मा ,आरोग्य ,स्वभाव ,राज्य ,देवालय का सूचक एवं पितृकारक है । सिंह राशि के लोगों को मंदाग्नि ,अतिसार ,सिरदर्द ,क्षय ,मानसिक रोग ,नेत्र विकार ,उदासी ,शक ,कलह ,अपमान ,इन तमाम बातों के घेरे में आना अवश्य पड़ता है । सिंह राशि के जातक का सूर्य जितना उत्तम होगा उतना ही इस राशि के जातकों के -मेरुदण्ड ,स्नायु ,कलेजा ,नेत्रादि अवयव मजबूत होंगें । सिंह राशि के जातक एक सक्षम अभिभावक सूर्य की सही स्थिति होने पर ही होते हैं अन्यथा पिता -पुत्र सुख से वंचित रहते हैं । --ध्यान दें -सूर्य लग्न से सप्तम स्थान में बली तथा मकर राशि से 6 राशियों तक चेष्टाबली होता है -और सूर्य को पापग्रह माना जाता है । -----दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें ---https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut |आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई


वायुकोण और उत्तरदिशा= विचार वास्तु का कैसे करें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 वायुकोण और उत्तरदिशा= विचार वास्तु का कैसे करें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 --यूँ तो वास्तु शास्त्र एक अथाह सागर की तरह है फिर भी कुछ न कुछ तो मनोनुकूल निर्माण के समय कर ही सकते हैं | ---वायुकोण ---पश्चिम और उत्तर के मध्य भाग को वायुकोण कहते हैं ---निर्मित भवन की इस दिशा -के देवता "वायुदेव" हैं तथा स्वामी -ग्रह चंद्रमा हैं | यहाँ का तत्व "वायु " है | यह दिशा -मित्र ,राज्य ,रिश्तेदारों के लिए सुख कारक होती है अर्थात भवन में यदि यह दिशा दोष रहित होगी तो ये तमाम सुख मिलेंगें रहने वालों को अन्यथा इन सुखों से रहित हो जाते हैं निवास करने वाले लोग | --इस स्थान का खुला होना उत्तम होता है ,यहाँ के फर्श पर वायु का स्पर्श होना चाहिए | इस दिशा में बगीचा लगाने से लाभ होता है |--- ------उत्तरदिशा ----के देवता -धन के स्वामी श्री कुबेरजी हैं तथा स्वामी ग्रह बुद्धिदाता "बुद्धदेव हैं| यह दिशा भवन में अच्छी होने पर -रहने वालों को धन ,ऐश्वर्य ,संपदा देती है | इस दिशा का फर्श लेवल एवं भवन की ऊँचाई दक्षिण की तुलना में नीची होनी चाहिए | इस दिशा में ढलान होना शुभ रहता है | इस दिशा में दक्षिण के मुकाबले अधिक खाली जगह के साथ -साथ हल्का निर्माण और नदी आदि का जलस्रोत होने से सम्पन्नता बनी रहती है | -------भाव ---अगर हम भवन का निर्माण कर रहें हैं या करने वाले हैं तो क्यों न वास्तु शास्त्र के अनुकूल करें जो हमें सुखद एवं शांति जीवन प्रदान करें 1 ज्योतिष अगर भविष्य द्रष्टा है तो वास्तु अलौकिक सुख प्रदाता है | --- --प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत } परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"नैऋत्यकोण एवं पश्चिम दिशा" भी वास्तु के योग्य बनायें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 "नैऋत्यकोण एवं पश्चिम दिशा" भी वास्तु के योग्य बनायें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

 --भवन - निर्माण के समय "नैऋत्यकोण "अर्थात दक्षिण एवं पश्चिम जे बीच का भाग -के देवता नैऋति हैं तथा स्वामी ग्रह राहु एवं केतु हैं |यहाँ का तत्व पृथ्वी है | यह दिशा नेतृत्व ,कंट्रोल ,स्थायित्व प्रदान करती है अर्थात -वास्तु का स्थान यही है | यहाँ सबसे भारी ,सबसे ऊँचा निर्माण ,सबसे ऊँचा फर्श का लेवल होना चाहिए | इस दिशा का पूरी तरह ढका एवं बंद होना स्थिरता के साथ -साथ भाग्य को भी बुलंद करता रहता है |
  नोट -इस दिशा में सही निर्माण नहीं होने से लोग अस्थिर रहते हैं एवं भाग्य भी सही साथ नहीं देता है -अतः निर्माण के समय अवश्य ध्यान दें |
--------पश्चिम दिशा ---के देवता -वरुण हैं तथा स्वामी ग्रह "शनिदेव "हैं | यह दिशा सामंजस्य ,प्रेमप्रदाता और न्याय बुद्धि के दाता होती है| यहाँ के फर्श का लेवल तथा भवन की ऊँचाई पूर्व दिशा के अनुपात ऊँचा होना सही रहता है | पूर्व दिशा की अपेक्षा भारी निर्माण होना चाहिए | साथ ही साथ पूर्व दिशा की अपेक्षा कम खुली जगह वास्तु सम्मत है |-----भाव -जब भी निर्माण भवन का करना हो तो ये शायद काम आये -पश्चिम दिशा में निर्माण करते समय इस बात पर ध्यान देने से मन शांत और सही राह चलने की क्षमता रहने वालों को सदा मिलती रहती है |----प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत } परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




"वास्तु के अनुकूल हैं " अग्नि कोण +दक्षिण दिशा"-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 "वास्तु के अनुकूल हैं " अग्नि कोण +दक्षिण दिशा"-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

 -अग्निकोण -के स्वामी "अग्निदेवता " हैं ,और स्वामी ग्रह सौन्दर्य एवं भौतिक सुखों के दाता "शुक्रदेव "हैं | यहाँ अग्नि सम्बंधित कार्य ,रसोई ,जनरेटर ,भट्ठी का होना शुभ रहता है | इस दिशा में अंडरग्राउंड जलाशय ,बोरिंग ,नलकूप होने से रहने वाले लोंगों पर बुरा असर पड़ता है --अतः जब भ भवन का निर्माण करें इसका विचार अवश्य करें |
     -------दक्षिण दिशा ----के स्वामी यम देवता हैं 1 स्वामी ग्रह और सेनापति मंगलदेव हैं | यहाँ का फर्श का लेवल एवं मकान की ऊँचाई उत्तर की अपेक्षा ऊँची ,और उत्तर की अपेक्षा कम खुला स्थान के साथ -साथ भारी निर्माण लाभप्रद होता है |
 ---अस्तु ----किसी भी भवन के निर्माण के समय अग्निकोण में अग्निके के सिवा जल का स्थान नहीं होना चाहिए और साथ ही दक्षिण दिशा खाली नहीं होनी चाहिए क्योंकि दिक्षिण की हवा जब घर में प्रवेश करती है तो रोग उत्पन्न होते हैं इसलिए दक्षिण दिशा में भारी वास्तु रखनी चाहिए |----प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत } परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




भवन- की पूर्व दिशा का प्रभाव जानते हैं -"वास्तु शास्त्र" - ज्योतिषी झा "मेरठ


  भवन- की पूर्व दिशा का प्रभाव जानते हैं -"वास्तु शास्त्र" - ज्योतिषी झा "मेरठ 

"वास्तु शास्त्र" --महल ,कोठी ,भवन - के निर्माण के समय वास्तु शास्त्र का सदियों से विचार किया जाता है दश दिशाएँ होतीं हैं -सभी दिशाओं के अलग -अलग प्रभाव होते हैं अगर दिशा के अनुकूल निर्माण करते हैं तो सुख भी उसी अनुकूल रहने वालों को प्राप्त होता है --जहाँ -जहाँ दिशाओं में दोष होगा रहने वाले लोग उन -उन सुखों से वंचित रह जाते हैं ! -----अस्तु ----पूर्वदिशा --के स्वामी देवराज इन्द्र हैं तथा स्वामी ग्रह सौर मण्डल के राजा "सूर्यदेव हैं | इस दिशा से प्रभात सूर्य किरणों द्वारा --जीवनीशक्ति ,उत्साह ,निरोगता ,यशश्री,कीर्ति ,राज्यलाभ तथा उत्पादन क्षमता इस दिशा से ही प्राप्त होती है1पश्चिम दिशा की तुलना में यहाँ हल्का नीचा निर्माण ,ईशान कोण से छूता हुआ उत्तर व पूर्व से खुला स्थल साथ ही इस दिशा का दरवाजा -खिड़की जली द्वारा अधिक से अधिक खुला रखना शुभ होता है !अगर निर्माण हो चुका है तो प्राचीन सिद्धांत के अनुसार "वास्तुपीठ "की पूजा के द्वारा चाहे कितना भी दोष क्यों न हो जाप +पूजन से दोष को दूर कर सम्पन्नता मिल जाती है !-------ज्योतिष या कर्मकाण्ड विषय से सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज में- https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut  उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - "खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई



खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...