आज मैं अपनी आत्मकथा में उस प्रश्न का जबाव देना चाहता हूँ -जो हमने पूर्व आलेख में लिखा था कि जब इतनी खामिया सामाजिक रीति - रिवाज में है तो हम धनिक कैसे हुए | --अस्तु --दोस्तों कोई धन का राजा होता है तो कोई मन का ,कोई रूप का तो स्वभाव का ,कोई आचरण का तो कोई व्यवहार का --परन्तु समाज में धनवान वास्तव में धन को आंका गया है | आपके पास धन है तो प्रायः हर चीज संभव है | ज्योतिष जगत में केंद्र ,त्रिकोण को सर्वोत्तम माना गया --और इससे भी बड़ा योग को --जिसे बिरले ज्योतिषी भली भांति समझ जाते हैं | मेरी कुण्डली में केन्द्र ,त्रिकोण और योग का विशेष योगदान है --सिंह लग्न का हूँ सूर्य +मंगल लग्न में हैं -त्रिकोणेश भी हैं ,चन्द्रमा उच्च का केंद्र क्षेत्र में है | बुध +शुक्र की युति धन क्षेत्र में है --इसका भावार्थ है --जन्मजात राजा होना --स्वभाव का ,धन ,मन मर्यादा का ---यह योग मेरी कुण्डली में ऐसा है -थोड़ा हो पर सुखद जीवन रहे , संयमित जीवन कैसे रहे --इस बात पर मेरा सतत ध्यान रहता है | हम किसी की सम्पत्ति या किसी भी वस्तु को देखकर कभी लालायित नहीं होते हैं | हम कभी भी याचना किसी व्यक्ति से नहीं करते हैं ,थोड़े में ही संतुष्ट रहते हैं ,हमसे किसी को हानि न हो सतत सोच रहती है ,दूसरे को देना -पर लेने की सोच रखना यह बात मेरे मन में कभी नहीं रहती है | स्वभाव और प्रभाव कठोर रखना आदत है ,प्रत्येक गलती से सबक लेना सदा प्रयास रहता है | मर्यादा का ख्याल रखना ,ईस्वर पर भरोसा और अपने कर्म पथ पर आरूढ़ रहना ही हमें वास्तव में धनवान बनाया है | --ज्योतिष जगत में एकबात और होती है --स्वास्थ ठीक है , पतनी का सान्निध्य , धन के प्रति विशेष आसक्ति नहीं है तो भी आप राजा की तरह जी सकते हैं | मेरी कुण्डली में गुरु ग्रह की दृष्टि ने ऐसा ही वैवाहिक योग दिया है --जबकि विचारधारा दोनों की नहीं मिलती है पर दोनों एक दूसरे पर अटूट भरोसा करते हैं | दान देना ,यज्ञ करना ,धर्म का आचरण करना ,ईस्वर पर भरोसा रखना ,जितना है उसी में गुजारा करना ,धन को बचाकर रखना ,किसी से याचना न करना --ये तमाम गुण हम दोनों में हैं --इसलिए हम धनवान हैं | यधपि --हम दोनों में अक्सर तकरार ,नोक झोक --ये होती रहती है | --प्रिय पाठकगण -हम यही कहना चाहते हैं --वास्तव में हर व्यक्ति किसी न किसी चीज का राजा होता है --जो उसे अपने में झांककर देखने से पता चलता है | गरीबी वास्तव में स्वभाव होता है -जिसे हर व्यक्ति को ठीक करना चाहिए | अमीरी वास्तव में स्वभाव होता है --जिस पर सदा हर व्यक्ति को चलना चाहिए | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
शनिवार, 9 दिसंबर 2023
धनवान का भावार्थ केवल धन से ही नहीं होता है -पढ़ें भाग -79 ज्योतिषी झा मेरठ
आज मैं अपनी आत्मकथा में उस प्रश्न का जबाव देना चाहता हूँ -जो हमने पूर्व आलेख में लिखा था कि जब इतनी खामिया सामाजिक रीति - रिवाज में है तो हम धनिक कैसे हुए | --अस्तु --दोस्तों कोई धन का राजा होता है तो कोई मन का ,कोई रूप का तो स्वभाव का ,कोई आचरण का तो कोई व्यवहार का --परन्तु समाज में धनवान वास्तव में धन को आंका गया है | आपके पास धन है तो प्रायः हर चीज संभव है | ज्योतिष जगत में केंद्र ,त्रिकोण को सर्वोत्तम माना गया --और इससे भी बड़ा योग को --जिसे बिरले ज्योतिषी भली भांति समझ जाते हैं | मेरी कुण्डली में केन्द्र ,त्रिकोण और योग का विशेष योगदान है --सिंह लग्न का हूँ सूर्य +मंगल लग्न में हैं -त्रिकोणेश भी हैं ,चन्द्रमा उच्च का केंद्र क्षेत्र में है | बुध +शुक्र की युति धन क्षेत्र में है --इसका भावार्थ है --जन्मजात राजा होना --स्वभाव का ,धन ,मन मर्यादा का ---यह योग मेरी कुण्डली में ऐसा है -थोड़ा हो पर सुखद जीवन रहे , संयमित जीवन कैसे रहे --इस बात पर मेरा सतत ध्यान रहता है | हम किसी की सम्पत्ति या किसी भी वस्तु को देखकर कभी लालायित नहीं होते हैं | हम कभी भी याचना किसी व्यक्ति से नहीं करते हैं ,थोड़े में ही संतुष्ट रहते हैं ,हमसे किसी को हानि न हो सतत सोच रहती है ,दूसरे को देना -पर लेने की सोच रखना यह बात मेरे मन में कभी नहीं रहती है | स्वभाव और प्रभाव कठोर रखना आदत है ,प्रत्येक गलती से सबक लेना सदा प्रयास रहता है | मर्यादा का ख्याल रखना ,ईस्वर पर भरोसा और अपने कर्म पथ पर आरूढ़ रहना ही हमें वास्तव में धनवान बनाया है | --ज्योतिष जगत में एकबात और होती है --स्वास्थ ठीक है , पतनी का सान्निध्य , धन के प्रति विशेष आसक्ति नहीं है तो भी आप राजा की तरह जी सकते हैं | मेरी कुण्डली में गुरु ग्रह की दृष्टि ने ऐसा ही वैवाहिक योग दिया है --जबकि विचारधारा दोनों की नहीं मिलती है पर दोनों एक दूसरे पर अटूट भरोसा करते हैं | दान देना ,यज्ञ करना ,धर्म का आचरण करना ,ईस्वर पर भरोसा रखना ,जितना है उसी में गुजारा करना ,धन को बचाकर रखना ,किसी से याचना न करना --ये तमाम गुण हम दोनों में हैं --इसलिए हम धनवान हैं | यधपि --हम दोनों में अक्सर तकरार ,नोक झोक --ये होती रहती है | --प्रिय पाठकगण -हम यही कहना चाहते हैं --वास्तव में हर व्यक्ति किसी न किसी चीज का राजा होता है --जो उसे अपने में झांककर देखने से पता चलता है | गरीबी वास्तव में स्वभाव होता है -जिसे हर व्यक्ति को ठीक करना चाहिए | अमीरी वास्तव में स्वभाव होता है --जिस पर सदा हर व्यक्ति को चलना चाहिए | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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"राशियां"ज्योतिष में क्या होतीं हैं -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
------पृथ्वी के {सूर्य के चारो ओर परिक्रमा }रास्ते {मार्ग} को 12 भागों में विभाजित किया गया है । इस रास्ते के प्रत्येक जगह की पहचान केवल तारों के अनेक प्रकार के झुंडों से होती है । इस तारों के झुंड या ढेड को संस्कृत में राशि कहते हैं । आकाश स्थित भचक्र के 360 अंश या 108 भाग निश्चित आचार्यों द्वारा किये गए हैं -यानि एक राशि का अधिकार -9 अक्षरों तक होता है एवं समस्त भचक्र को 12 राशियों में बांटा गया है -यानि 30 अंश या ९ भाग की एकेक राशि होती है । -इन राशियों के क्रम {1 }-मेष -चिन्ह -मेढ़ा,अंग्रेजी में -एरीज {2 }-वृष =सांड़ ,अंग्रेजी में -तौरुस ,{3 }-मिथुन -युवा -दंपत्ति ,अंग्रेजी में जैमिनी ,{4 }कर्क =केकड़ा ,अंग्रेजी में =कैंसर ,{5 }सिंह -शेर अंग्रेजी =लिओ ,{6 }कन्या =कुमारी ,अंग्रेजी =विरगो ,{7 }तुला =तराजू अंग्रेजी = लिब्रा ,{8 वृश्चिक =बिच्छू ,अंग्रेजी =स्कार्पियो ,{9 }-धनु =धनुर्धारी ,अंग्रेजी =सैँगीटेरियस ,{10 }मकर =मगरमच्छ ,अंग्रेजी =कैप्रीकौर्न ,{11 }कुम्भ =घड़ा {कलश },अंग्रेजी =अकवेरियस ,{12 }-मीन =दो मछली ,अंग्रेजी पीसेस ----ध्यान दें -प्रत्येक राशि की क्रम -व्यवस्था एवं संख्या उतनी ही महत्व पूर्ण -जितना महत्वपूर्ण इसका चिन्ह है । -----दोस्तों आशा है जन्म्पत्रि में विद्यमान "राशियों का मतलब समझ गए होंगें --आगे ज्योतिष की अगली बातों पर जिक्र करेंगें । आपका -
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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