कन्या राशि --यह राशि पिंगल वर्ण ,स्त्री जाति ,द्विस्वभाव ,दक्षिण दिशा की स्वामिनी ,रात्रिबली ,वायु और शीत प्रकृति ,पृथ्वीतत्व और अल्प संतान वाली है | इसका प्राकृतिक स्वभाव मिथुन राशि जैसा ही है --पर इसकी विशेषता इतनी है कि व्यक्ति अपनी उन्नति और मान पर पूर्ण ध्यान की भागीरथ चेष्टा और प्रयत्न करता है | इस राशि से पेट का विचार किया जाता है | इसका चिन्ह कुमारी कन्या है | यह राशि चिरस्थायी स्नेह एवं विवेक की प्रतीक है | यह विषुवत रेखा की ओर 12 डिग्री तक स्थिर है |
-----यह क्रीड़ास्थल तथा शिल्प रचना के स्थानों पर विवेचन करने वाली है | यह कोमल ,सौम्य ,चंचल एवं शान्त दोनों प्रकार के लक्षणों से युक्त है | अवस्था इसकी बाल्य है | सत्व गुण है ,पृथ्वी तत्व है | वैसे यह राशि जनसेवा -स्वास्थ -सम्बन्धी कार्यक्रमों की अधिष्ठात्री शक्ति है | उत्तराफाल्गुनी के तीन चरण ,हस्त और चित्रा के दो चरण इसमें निहित हैं | उत्तराफाल्गुनी में जन्म लेने वाला व्यक्ति सहनशील ,वीर ,कोमल वचन बोलने वाला ,धनुर्वेद के अर्थ को जानने वाला ,महान योद्धा और जनप्रिय होता है ,सदैव संतुष्ट रहता है ,धनाढ्य से सम्पन्न होता है | मिथ्या बोलने वाला ,ढीठ ,शराबी ,बंधुहीन ,चोर लम्पट होता है ,किन्तु फिर भी देवताओं और ब्राह्मणों का भक्त होता है | --अगले भाग में तुला राशि पर परिचर्चा करेंगें -------भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com
