ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

ज्योतिष कक्षा पाठ -30 पंचांग का पांचवां अंग -करण -पढ़ें --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


पाठकगण को यह तो ज्ञात होगा ही कि तिथियां केवल 30 होती हैं | 15 शुक्लपक्ष की और 15 कृष्णपक्ष की | तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं | किस तिथि के किस आधे भाग को कौन -सा करण कहते हैं | यह निम्न तालिका से स्पष्ट हो जायेगा ---------------

----कृष्णपक्ष -----        शुक्लपक्ष 

-1 -प्रतिपदा =कौलव  --1 --किंस्तुघ्न =बव 

-2 -द्वितीया -तैतिल =गरज --2 -बालव =कौलव 

-3 -तृतीया -वणिज =विष्टि --3 तृतीया -तैतिल =गरज 

-4 चतुर्थी -बव =बालव --4 -चतुर्थी ---वणिज =विष्टि 

-5 पंचमी -कौलव =तैतिल ,-पंचमी --बव =बालव 

-6 -षष्ठी --गरज =वणिज ,--6 -षष्ठी ---कौलव =तैतिल 

-7 -सप्तमी ---विष्टि -बव ----7 सप्तमी --गरज =वणिज 

--8 --अष्टमी ---बालव =कौलव ,--8 -अष्टमी ---विष्टि =बव 

--9 नवमी ---तैतिल =गरज ----9 नवमी ---बालव =कौलव 

-10 -दशमी --वणिज ---विष्टि ,---10 दशमी ---तैतिल =गरज 

--11 एकादशी ---बव =बालव ---11 एकादशी --वणिज =विष्टि 

-12 -द्वादशी ---कौलव =तैतिल ,---12 -द्वादशी --बव =बालव 

-13 त्रयोदशी -गरज =वणिज ,---13 त्रयोदशी ---कौलव =तैतिल 

-14 -चतुर्दशी --विष्टि =शकुन ----14 चतुर्दशी =गरज =वणिज 


-30 -अमावस्या ---चतुष्पाद -----15 --पूर्णिमा ---विष्टि =बव 

----उपर्युक्त तालिका में पाठक देखेंगें कि बव ,बालव ,कौलव ,तैतिल ,वणिज ,गरज और विष्टि  इन 7 कारणों की तो बारंबार पुनरावृत्ति होती है और शेष चार --शकुन ,चतुष्पाद ,नाग और किन्तुघ्न एक मास में केवल एकबार होते हैं ,विष्टि करण को ही भद्रा कहते हैं |  पाठक इस बात को याद रखें ,क्योंकि आगे किन्हीं प्रकरणों में हम भद्रा पर विचार करेंगें | ---पंचांग में पहले - तिथि फिर दिन फिर नक्षत्र फिर योग और अन्तिम पांचवीं चीजें कारण -इनके आधार पर ही किसी भी शुभ या अशुभ कार्यों का निर्णय होता है ----अगले भाग में वार शब्द पर व्याख्या करेंगें ----- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com




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