ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023

पुंसवन संस्कार क्यों होता है --सुनें -भाग -25--- ज्योतिषी झा मेरठ


 


पुंसवन संस्कार क्यों होता है --सुनें -भाग -25--- ज्योतिषी झा मेरठ--
--उत्तर ----वत्स -इस प्रकृति में जो भी वस्तु या चीजें हैं -सभी का विस्तार होता रहता है | जो छोटा है वो बड़ा होगा जो बड़ा होगा वो एक दिन समाप्त होगा | एक जैसा कोई भी इस प्रकृति में नहीं रहता है | एक जैसा केवल श्री हरी ही इस प्रकृति में रहते हैं | पर मानवों में वो कला है जो चाहे बन सकता है ,बना सकता है --वो चाहे तो असंभव हो संभव बना सकता है | ----मानवों के पूर्वज रिषि -महर्षियों ने -मानवों के हित के लिए षोडश संस्कार की रचना की | इन संस्कारों के बल पर ही असंभव को संभव किया जा सकता है | पर दुर्भाग्य यह है --इनमें से बहुत से संस्कार जातकों के होते ही नहीं हैं या माता पिता -उन संस्कारों से अनभिज्ञ हैं | वत्स हम भी इन संस्कारों को संतान होने के बाद जाना -अतः हमारे भी बहुत से संस्कार नहीं हुए किन्तु हम चाहते हैं --तुम सब इन संस्कारों को समझों और अपनाने की कोशिश करो | ------अस्तु ---जब माँ का गर्भ तीन माह का होता है -तो पूर्व के विधियों का परित्याग कर पुंसवन संस्कार --यानि जातक कैसे हृष्ट -पुष्ट हो-इस संस्कार से जातक हृष्ट -पुष्ट ही नहीं होता बल्कि ---नियमावली -यह है -जब गर्भ तीन माह का हो तो सास को पुरोहित जी को बुलाकर पहले पंचांग पूजन करना चाहिए फिर बट वृक्ष के पास जाकर उत्तम संतान यानि निरोगी संतान की कामना करनी चाहिए इतना ही नहीं -कृपया ध्यान दें आप सभी के मन में एक शंका आ सकती है कि इतने वृक्षों में बट वृक्ष ही क्यों -आम क्यों नहीं तो ध्यान दें --बट वृक्ष एक ऐसा वृक्ष इस जगत में है जो बिना खाद पानी के सभी वृक्षों से बलिष्ठ होता है --तो संतान कैसी होनी चाहिए बलिष्ठ या दुबला -पतला ----इसलिए इस वृक्ष से यह कामना करनी चाहिए -हे बटवृक्ष आपकी तरह हमारी संतान बलिष्ठ हो और प्रार्थना के बाद इस वृक्ष के दूध को मां के वायी नाक में दूध डालने से कन्या और दायीं नाक में दूध डालने से पुत्र की प्राप्ति होती है | ---आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"शंखनाद "नामक कालसर्प योग का प्रभाव पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "शंखनाद "नामक कालसर्प योग का प्रभाव पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में अगर भाग्य स्थान अर्थात नवमभाव में राहु हो एवं पराक्रम क्षेत्र अर्थात तृतीय भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सातों ग्रह दोनों मध्य स्थित हों तो "शंखनाद "नामक कालसर्प योग बनता है । प्रभाव -"शंखनाद "नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक प्रायः अपने दाम्पत्य जीवन से या परिवार से दुखी रहता है । भाग्य एवं कर्म क्षेत्र उत्तम होने पर भी किसी को स्त्रीकष्ट तो किसी को पुरुषकष्ट तो किसी को संतान कष्ट या फिर परिवार कलह से ही पीड़ित रहता है जातक । ऐसे जातक को जीवन में जाने -अंजाने कुछ गलतियां खुद से हो जाती है ,और अन्त में कठिन पश्चाताप ही हाथ लगता है । ऐसे जातक के गुप्त शत्रु बहुत होते हैं और शत्रुता घर से ही शुरू हो जाती है । इस कारण वही शत्रुता बाहरी जीवन में बिस्तार रूप ले लेती है । ऐसे जातक का नाम और लोकप्रियता विशेष होती है । ---निदान ---अपने -अपने ज्योतिषाचार्यों से निर्णय लें --धनाभाव या सरल उपाय यह है -पंचमी ,सप्तमि ,अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दर्शी तिथियों में दक्षिण मुखी हनुमानजी की उपासना करें साथ ही नारियल +प्रसाद + दक्षिणा के साथ यथा योग अर्पण करें केवल शुक्लपक्ष की तिथियों में -विजयी अवश्य होंगें । -- ------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -25ज्योतिषी झा मेरठ


 


""मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--"भाग -{25}-ज्योतिषी झा मेरठ

-2010 -अब हम 40 वर्ष के हो गए | एक दिन मेरी दूसरी कन्या {बालिका }बोली पिताजी मैं कम्प्यूटर सीखना चाहती हूँ -मैंने कहा अच्छी बात है | वेसिक सीख रही थी सीख भी ली पर घर में कम्प्यूटर नहीं होने के कारण सीखने में दिक्कत हो रही थी -पर मेरे जैसे साधारण पंडित के घर में इस यंत्र की क्या जरुरत थी तो -नहीं लेना चाहते थे साथ ही मंहगा भी था | पर एक दिन जहाँ सीख रही थी उसने विशेष समय सीखने नहीं दिया -इस बात की जानकारी मुझको दी | हम अपना कुछ स्वभाव बताना चाहते हैं ---हम कभी भी नवीन चीज लेना पसंद करते हैं ,सस्ती वस्तु मुझको पसंद नहीं है ,खराब वस्तु का हम शीघ्र त्याग कर देते हैं | हमारा रहन -सहन सात्विक और उत्तम दर्जे का होता है | नियम का पालन करना मेरा कर्तव्य है | संध्या -गायत्री के जाप हम बाल्यकाल से करते रहे हैं | जो मेरे पास है उससे मैं संतुष्ट रहता हूँ | याचना करना भिखारी जैसा समझता हूँ | अगर कोई कार्य ठीक नहीं होता है तो दोष हम अपना मानते हैं न कि भाग्य या पमात्मा का | हमें जो चीज चाहिए चाहे जितनी मेहनत करनी पड़े उस वस्तु को श्रम से या आराधना से प्राप्त कर लेता हूँ | ज्योतिष सत्य है -गलती मुझ जैसा व्यक्ति करता है | भोजन साधारण चाहिए | कोई मुझसे याचना न करें | शिक्षाविद एवं संतलोग तथा आचरणवान व्यक्ति मुझको परमात्मा जैसा दीखते हैं | माता पिता को प्रथम भगवान मानता हूँ | किसी का उपकार भूलता नहीं हूँ | समय का सदुपयोग मुझको पसंद है | मेरी हर वस्तु चीरकाल तक एक जैसी रहती है | क्रोध आने पर सबका नाश कर सकता हूँ | सत्य का अपमान करने वाला मुझको पसंद नहीं है | दुश्मनी आजीवन निभाता हूँ | वैसे शत्रुता पसंद नहीं है | मेरी सोच है व्यक्ति चाहे तो अपने श्रम से संसार की हर वस्तु प्राप्त कर सकता है | मेरे लिए -चाहे नेता हो या अभिनेता या प्रधान पद पर आसीन व्यक्ति हमें साधारण सा सभी दीखते हैं | चाकरी पसंद नहीं है | प्रेम एकबार ही और एक से ही करता हूँ | अपनी पतनी को सर्व सुन्दर मानता हूँ | प्रवचन ,उपदेश ,नियमावली ,शास्त्रीय संगीत ,लिखना ,याद करना तथा शिष्टाचार ,दान करना ,यज्ञ करना ,शास्त्रों को पढ़ाना ,सत्य बोलना ,भ्रमण अल्प करना ये सब ठीक लगता है |----अस्तु --अतः २७ हजार में जेनिथ कम्पनी का कम्प्यूटर खरीदा और मैं अपनी बेटी से कहा मुझको केवल खोलना और बंद करना सीखा दो | उसके बाद ईमेल बनाया और ऑरकुट पर पहलीबार आया 2010 में | हमें न तो अनुभव था न ही अंग्रेजी ही आती थी तो भला कैसे आगे बढ़ते फिर एकदिन सोचा क्यों न ऐसी आईडी बनाया जाय जिससे - लोग प्रभावित हों --तो ज्योतिष सेवा सदन के नाम से शुरुआत की --केवल तीन मास में एक हजार दोस्त बन गए | आगे की चर्चा कल करेंगें |---ॐ |-------ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है ------आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई-- - उपलब्ध हैं |

गर्भ और मृत्यु का देह से सम्बन्ध सुनें --खगोलशास्त्री झा मेरठ -भाग 24



 गर्भ और मृत्यु का देह से सम्बन्ध सुनें --खगोलशास्त्री झा मेरठ -भाग 24
कर्मकाण्ड जगत के 16 संस्कार हैं --पहला संस्कार --गर्भाधान संस्कार है | इन संस्कारों का सही अभिप्राय क्या है --ठीक से समझें और सुनें तभी समझ में आएगा --अन्यथा हास्य और उपहास तो मानव की सोच रहती ही है | --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को समझ हेतु --इस लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- -आपका खगोलशास्त्री झा मेरठ

"कर्कोटक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "कर्कोटक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में "कर्कोटक "नामक योग तब बनता है -जबकि अष्टम में राहु और द्वितीय भाव में केतु हो साथ ही सभी सूर्यादि सातों ग्रह इनके मध्य स्थिति हों । कर्कोटक नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले जातक की धन की स्थिति उत्तम नहीं रहती है । ऐसे जातक की जिंदगी में रहस्य्मय ,रोमांचक और आकस्मिक घटनाएँ घटित होतीं रहतीं हैं । जो कुछ होता है वह अकस्मात् ही होता है । चाहे शुभ हो या अशुभ कार्य । ऐसे जातक "प्राण जाय पर वचन न जाय " वाली बात पर अटल रहते हैं । ऐसे जातक के जब भी किसी से अनायास मधुर सम्बन्ध बनता है वह स्थिर नहीं होता है । रोजी -रोटी का उत्तम से उत्तम साधन मिलने पर भी ऐसे जातक असंतुष्ट रहते हैं । ----निदान -वैसे अपने -अपने आचार्य की बात का पालन करें -किन्तु धनाभाव या कुछ करने की कामना हो तो -शिव की उपासना से आयु की प्राप्ति प्राप्त करें और माँ लक्ष्मी की उपासना से धन से सदा युक्त रहें । अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दशी तिथियों में श्री फल और लाल फल माँ लक्ष्मी को अर्पण करने से लाभ अवश्य होगा । ----------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -24-- ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{24}-- ज्योतिषी झा मेरठ

2009 -हम चाहते थे कि अपने तमाम श्लोकों को संगीत से सजायें और माँ शारदे की कृपा से करने में सफल भी हुए | इस कार्य में मेरी भार्या ने बहुत साथ भी दिया किन्तु 2009 आते -आते सब्र टूट गया भार्या का और उलाहना देने लगी | यद्यपि मेरे घर में किसी वस्तु की कमी नहीं थी -मकान ,वाहन ,प्रेम सबकुछ था पर सगीत के क्षेत्र में मेरी कोई पहचान नहीं थी तो भला मेरे जैसे निकम्मे व्यक्ति का यही हाल होना था | हमने अपने हारमोनियम का परित्याग कर दिया | ऐसा नहीं कि ऐसा व्यक्ति मैं ही संसार में हूँ | बहुत से माता पिता अपनी संतानों पर धन इसलिए खर्च करते हैं कि उनको ज्ञान कम भले ही हो पर ओहदा जरूर मिले क्योंकि आज पढ़ाई धन के लिए पहले होती है ज्ञान के लिए बाद में | ऐसा भोले नाथ के साथ भी हुआ अपने लिए भिखारी रहते हैं तो दूसरों के लिए दानी है | बहुत से छात्र ज्ञान में सक्षम होते हैं किन्तु सफलता नहीं मिलती है तो आत्महत्या भी कर लेते हैं | मेरी ललक शिक्षा थी न कि धन -जब ज्ञान होता है तो धन खुद ही आता है | बहुत से लोग हैं जो जीजान से मेहनत करते हैं किन्तु राजा नहीं बन पाते हैं | ---तो भला मेरे जैसा नाकाम व्यक्ति ज्ञान की बात ही कर सकता है | मैंने अपनी कुण्डली देखने की कोशिश की कि आखिर मुझको सफलता क्यों नहीं मिलती है ऐसी सफलता नहीं जो पद न दिला सके, तो पत्ता चला मेरी कुण्डली में गुरु तृतीय भाव में हैं और शनि भाग्य में इसका मतलब है --मुझसे परिजनों को तो सुख मिलेगा किन्तु मुझको परिजनों से सुख नहीं मिलेगा | आगे मेरा भाग्य तो अच्छा रहेगा किन्तु पद नहीं मिलेगा | तीसरा जीवन में निरन्तर अध्ययन करता रहेगा | अतः हमने सोच लिया जिससे भार्या को कष्ट हो वो कार्य नहीं करेंगें ,संगीत की शिक्षा समाप्त कर दी | ----पर क्या करें गुनगुनाना बंद नहीं हुआ, -- |-------ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है ------आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई-- - उपलब्ध हैं |

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...