ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

ज्योतिष कक्षा भाग -9 -सूर्य और आकाश -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


जन्मपत्री बनाते समय गणना तो बाद में होती है -पहले बहुत सारी चीजें लिखीं जातीं हैं --हमारा प्रयास है आप समझें -कुण्डली बनाते समय -संवत ,शाके ,मास ,पक्ष -सूर्य की स्थिति और भी बहुत चीजें हैं क्यों लिखी जाती है --क्रम से समझाने का प्रयास करेंगें | ---अस्तु --

---खगोल में जो रिक्तता है ,वो ही 'आकाश कहलाता है | यह रिक्त और शून्य क्षेत्र अति व्यापक और विस्तृत है | भूगोल शास्त्रियों ने इस खगोल को क्रमशः तीन भागों में विभाजित किया है --{1 }-उत्तरी क्षेत्र ,--{2 }-मध्य क्षेत्र ,{3 }--दक्षिण क्षेत्र --| ---इस प्रकार सूर्य ,गति संक्रमण को बांधा है | --उत्तरी क्षेत्र में एक कल्पित रेखा खींची है --जिसे "कर्क रेखा "की संज्ञा दी है | ---मध्य क्षेत्र में  "विषुवत रेखा '  दक्षिण क्षेत्र में "मकर रेखा "के नाम से विश्रुत हैं | --यह तीनों कटिबंध सूर्य की गति के आधारभूत है | जब सूर्य त्तर दिशा की ओर संक्रमण करता है ,तो उत्तरायण और दक्षिण में जानें से उसे दक्षिणायन का प्रारूप दिया जाता है | 

----जन्मपत्री बनाते समय --उत्तरायण या दक्षिणायन का जिक्र होता है ---इससे क्या लाभ और हानि होती है इसकी चर्चा आगे कहीं करेंगें | --जबसे नेट के माध्यम से कुण्डली बनने लगी ,तब से ज्योतिष की गणित सीमित हो गयी है --फलित भी संस्कृत ग्रन्थों के आधार पर नहीं होता है --मेरा एक छोटा सा प्रयास है --आप मेरे द्वारा लिखें तमाम लेखों को पढ़कर बढियाँ ज्योतिषी बन सकते हैं --इसके लिए केवल क्रम से निःशुल्क लेखों को पढ़ते जाएँ --अगले भाग में अयन शब्द पर प्रकाश डालने का प्रयास करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -पधारें --khagolshastri.blogspot.com



ज्योतिष कक्षा भाग -8 -सूर्य का महत्व -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


कोई भी लोक अथवा धरातल हो ,पृथ्वी के ऊपर हो या नीचे --सब स्थानों पर सूर्य -रश्मियों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है | ये सूर्य -रश्मियां रूप ,रस ,गंध ,माधुर्य एवं आकर्षण की विधायित्री ही नहीं ,अपितु जीवन परिपेक्ष्य में मानव को प्राणदायक विभूतियाँ भी प्रदान करती हैं | खनिज और धातु पदार्थों का निर्माण भी मार्तण्ड और विभाबसु सूर्य की क्षमा नामक रश्मि "किरण " से संस्पर्श से होता है | प्राचीन ऋषि -मुनियों ने सूर्य को वैद्यराज सिद्ध किया है | विटामिन "डी "-की कमी से होने वाले रोग सूर्य -रश्मियों में स्नान करने से पास नहीं फटकते | 

----निर्माण और संहारकारी गैस भी उत्पन्न करने वाली पूषन नामक सूर्य की किरणें ही हैं ,जो अणु -आयुध रूप में विनाशकारी महाभयावह संत्रास और विस्फोटन की महती और बलबती शक्तियां बनी हुई हैं | तेज और प्रकाश हमें सूर्य से ही प्राप्त होते हैं | यदि सूर्य न निकले , तो प्रकाश भी आविर्भूत न हो | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में  अंधकार व्याप्त रहे | सूर्य का प्रकाश जगत के  नेत्र हैं | वायु की निष्पत्ति भी सूर्य ही है | सूर्य की कलाएं ही वायु को गति देती हैं | 

----सूर्य अग्निपुंज है | उसकी तीव्रता जब तिगवांसु बन जाती है , तो उसमें शक्ति का उद्भव होता है और फैलती है ,विस्तार और प्रसार के लिए मचलती है --उस समय अवस्था बड़ी विकत और भयावह होती है | उसके इस उग्र रूप को बवंडर वात्यचक्र और प्रलयंकर का नाम दिया गया है | सूक्ष्म गति में भी इसका प्रवेश है और स्थूल रूप में भी ! कोई  गुण ,तत्व और पदार्थ ऐसा नहीं है --जहाँ इसका अंग समाविष्ट न हो | 

----मेरे ज्योतिष के पाठकगण --ज्योतिष का सम्राट सूर्य है --कोई ग्रह तो कोई भगवान कहता है | ज्योतिष का वास्तविक आधार सूर्यदेव ही हैं --आगे सूर्य और आकाश पर चर्चा करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -पधारें --khagolshastri.blogspot.com



खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...