ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 18 सितंबर 2023

"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -1-ज्योतिषी झा मेरठ


 "मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -1-ज्योतिषी झा मेरठ

  भूमिका -----ॐ -------मेरे आराध्य पिता अब उपस्थित नहीं हैं --मुझसे मेरे पिता क्यूं महान हैं -जानना चाहेंगें तो -सुनिये ! मेरे पिता का लालन -पालन -दादाजी ने बड़े गर्व से किया | मल्ल युद्ध सिखाया और अपनी सुरक्षा हेतु सदा अपने इर्द -गिर्द रखा | जब हम जैसे नन्हें -मुन्ने आये तो लालन -पालन करने में बड़ी कठिनाई हुई क्योंकि समय बदल चुका था साथ ही दादाजी का साम्राज्य समाप्त हो चूका था | शिक्षा थी नहीं ,बाहरी दुनिया का पत्ता था ही नहीं -इसलिए मुझको शिक्षा विद बनाना ही मकसद था | पर धन होते हुए भी -धन चोर ले गए ,कुछ बाढ़ के कारण खेत वह गए- तो कैसे उत्तम शिक्षा पुत्र को मिले, यह सोचकर एक दिन एक संस्कृत आश्रम में मुझको छोड़ आये | पिता के आने के बाद उस आश्रम में सर्वप्रथम मुझको 50 लोगों का भोजन बनाने का काम मिला उम्र थी मेरी -13 वर्ष -क्योंकि मेरे पिता ने 500 रूपये शुल्क जमा नहीं किये थे |--जब हम थक जाते थे तो गायों को चराने का काम मिलता था ,जब हम फिर थक जाते थे तो सभी बर्तनों को सुबह -शाम मांजने का काम मिलता था | शिक्षा कम यातनाएं अत्यधिक थी ,जैसे -गायों को चराते -चराते मेरे पैरों में बरसात के समय बिना चप्पल होने के कारण तलवों में गड्ढे होने से असहनीय दर्द होता था फिर न तो दवाई मिलती थी न कोई पूछता ही था -तो हमने मरने का सोचा क्योंकि घर की दयनीय स्थिति जो लाचार थी और आश्रम में शुल्क नहीं देने के कारण तमाम कठिनाइयों को सहना ही एक रास्ता था |---1983 से 1988 तक इस आश्रम- नाम -श्री जगदीश नारायण बर्ह्मचर्या आश्रम लगमा जिला दरभंगा {बिहार }में रहा | यहाँ हमने रुद्राष्टाध्यायी ,लघुसिद्धांत कौमुदी ,शिशुबोध ,तर्कसंग्रह ,रधुवंश महाकाव्यम ,मुहूर्तचिन्तामणि ,ताजीकनीलकण्ठी ,मेघदूत ,अभिज्ञानशाकुंतलम ,गीता ,दुर्गासप्तशती ,शाम ,यजुर ,अथर्व और ऋग्वेद ,स्वास्थवृत्तम ,जैसे ग्रंथों के मन्त्रों और सूत्रों को कंठस्थ कर लिया भले ही किसी किसी मन्त्र का भाव नहीं समझा हो | --यहाँ मैं ये बताना चाहता हूँ कि कोई भी पिता अपने पुत्र को इतनी तकलीफ में नहीं देख सकते --आज मैं भी पिता हूँ पर अपने पुत्र को सुखद शिक्षा दे सकता हूँ दुःखद नहीं | --अतः मेरे पिता महान थे जो उन्होंने मुझको बनाया वो आज हम अपने पुत्र को नहीं बना सकते हैं | ----------- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


 भारतीय मास अगहन और अंग्रेजी मास दिसंबर की रचना कैसे हुई -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


  भारतीय मास अगहन और अंग्रेजी मास दिसंबर की रचना कैसे हुई -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ 

 



भारतीय मास अगहन की रचना की बात करें तो -अभिजीत नक्षत्र पर आधारित यह मास है | अभिजीत नक्षत्र का स्वामी स्वयं ब्रह्मा है | इस सृष्टि के निर्माणकर्ता ब्रह्माजी ही हैं | अगहन मास वास्तव में सुसुप्त अवस्था में चला जाता है --इसके बाद पूस मास आता है अतः इस मास शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं | नई आशा और नई उम्मीद में सभी जीव नए कार्य करने सोचने के बिचार -विमर्श में लगे रहते हैं | स्वयं ब्रह्माजी के मन में भी अनन्त जिज्ञासा -उत्सुकता रहती है --सृजन के लिए --अतः इस अगहन मास का नामकरण ब्रह्माजी के नाम पर पड़ा | ----------अंग्रेजी मास दिसंबर की रचना की बात करें तो --लैटिन भाषा के इस शब्द का अर्थ होता है दसवां | जूलियस ने मासक्रम में इसका स्थान बारहवां रखा है | ईशामसीह का जन्म भी इसी मास में हुआ | ----दोस्तों -इस पेज -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- में ज्योतिष से सम्बंधित नवीन{शास्त्र सम्मत } बातों का हलचल रोज होता है -जो आपको ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रति कुभाव को मिटाकर -श्रद्धा ,स्नेह और आस्था तो जगाता है ही -आप इस भारतीय सत्य धरोहर "ज्योतिष "से विमुख नहीं हो सकेंगें । आप चाहे बालक हों ,युवा हों ,अभिभावक हों या फिर ज्योतिषाचार्य सबके योग्य है ---यकीं नहीं आता तो इस पेज को अपनाकर देखें|


भारतीय मास कार्तिक और अंग्रेजी मास नवम्बर कैसे पड़ा पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ



भारतीय मास कार्तिक और अंग्रेजी मास नवम्बर  कैसे पड़ा पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ 

भारतीय मास कार्तिक का नामकरण कृतिका नक्षत्र के ऊपर पड़ा | ज्योतिष जगत में कृतिका नक्षत्र को तीसरा स्थान मिला किन्तु जब भारतीय मांसों की रचना हुई तो --कृतिका नक्षत्र के स्वामी अग्निदेव हैं | अग्निदेव के बिना सृष्टि का चलना असंभव है ये प्रत्यक्ष देवता जीवों के हैं ,साथ ही भगवान श्रीहरि कार्तिक मास में ही जागते हैं ,समस्त शुभ कर्मों की शुरुआत कार्तिक मास से ही होती है | अग्नि तीन जगह विद्यमान रहती है --जठराग्नि ,दावाग्नि और उदराग्नि ---अग्निदेव के बिना यज्ञ नहीं हो सकते ,अग्निदेव के बिना जीवों की उत्पत्ति नहीं हो सकती है ,अग्निदेव के बिना पाचन क्रिया नहीं हो सकती है --अतः ऐसे कार्तिक मास को भारतीय पंचांग में एग्यारहवाँ स्थान मिला | ---------अंग्रेजी मास नवम्बर --की उत्पत्ति की बात करें तो --नोवेम शब्द भी लैटिन शब्द है | इस मास को रक्त मास नाम से पुकारते हैं ,क्योंकि इसी मास में मुख्यतः पशु संहार किया जाता था पूर्वकाल में | अतः इस कारण से इस मास का नाम नवम्बर रखा गया | ---ध्यान दें -कोई भी भाषा हो --सभीने अपने यहाँ मासों की रचना में संस्कृति को वही स्थान दिया जो भारतीय पद्धति में दिया गया है | - -दोस्तों -इस पेज -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- में ज्योतिष से सम्बंधित नवीन{शास्त्र सम्मत } बातों का हलचल रोज होता है -जो आपको ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रति कुभाव को मिटाकर -श्रद्धा ,स्नेह और आस्था तो जगाता है ही -आप इस भारतीय सत्य धरोहर "ज्योतिष "से विमुख नहीं हो सकेंगें । आप चाहे बालक हों ,युवा हों ,अभिभावक हों या फिर ज्योतिषाचार्य सबके योग्य है ---यकीं नहीं आता तो इस पेज को अपनाकर देखें|

 अंग्रेजी अक्टूबर मास और भारतीय आश्विन मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ


  अंग्रेजी अक्टूबर मास और भारतीय आश्विन  मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ 

विश्व की कोई भी भाषा हो सभी ने धर्म का संस्कृति का वही स्थान दिया है --जो भारतीय पद्धति ने दी है | --अक्टूबर --यह वास्तव में लैटिन भाषा का शब्द है -जिसका अर्थ आठ होता है | किन्तु जब जनवरी माह को प्रथम स्थान मिला तो अक्टूबर का क्रम दसवां हो गया | ---भारतीय माह आश्विन वास्तविक रूप से माँ आदिशक्ति दुर्गा के नाम पर हमलोग जानते हैं ,किन्तु --दुर्गाजी की पूजा मूर्ति स्वरूप जहाँ -जहाँ होती है --वहां -वहां अश्विनी कुमार को भी स्थान दिया जाता है --क्योंकि आश्विन -अश्विनी नक्षत्र के ऊपर आधारित है | अश्विनी नक्षत्र का स्वामी अश्विनी कुमार है जो सूर्यदेव के पुत्र भी है साथ ही पृथ्वी लोक पर जीवों का आगमन इन्हीं की कृपा से होता है | अतः यह अश्विन माह इन्हीं को समर्पित हैं | ------"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " -- ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




अंग्रेजी मास सितंबर और भारतीय भाद्रपद मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ


 अंग्रेजी मास सितंबर  और भारतीय भाद्रपद  मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ 

 अंग्रेजी मास सितंबर "सेप्टेम्बर "यह शब्द  लैटिन शब्द है ,जिसका अर्थ सातवां है | वर्ष की शुरुआत जब मार्च मास से हुआ था ,तब यह मास सातवां था | किन्तु जूलियस सीजर के जनवरी को वर्ष का प्रथम मास का स्थान देने के कारण इसका क्रम नवां हुआ | ----इसी प्रकार से भारतीय मास श्रावण की बात करें तो -- श्रवण नक्षत्र का स्वामी बिष्णु है | भगवान श्री हरि ही सम्पूर्ण नियंता हैं सृष्टि के साथ ही आषाढ़ शुकपक्ष में एकादशी को सुसुप्त अवस्था में चले जाते हैं क्षीर सागर में पुनः कार्तिक में जागते हैं | अतः यह श्रावण माह वैसे भगवानशिव  का माना जाता है पर समर्पित श्री हरी को शिव ने किया है | -----"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " -- ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


अंग्रेजी मास अगस्त और भारतीय श्रावण मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ


 अंग्रेजी मास अगस्त और भारतीय श्रावण मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ 

--अंग्रेजी मास अगस्त का नाम रोमन जगत में आक्टेवियस के आधार पर रखा गया जिसका सही शब्द अगस्त ही होता है । यह नाम जूलियस के पोते का था जिनकी विशेषता थी -वो साहित्य और कला में विशेष निपुन {प्रख्यात } थे । ------ज्योतिष संवत मास श्रावण का नाम श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है । इस श्रवण नक्षत्र के देवता स्वयं पालन कर्ता श्री हरि {विष्णु }हैं । यह मास वैसे जुलाई +अगस्त के मध्य आता है । इस मास की सबसे बड़ी बात यह है कि पालनकर्ता क्षीर सागर में सुसुप्त अवस्था में रहते हैं और संहारकर्ता भोलेनाठ स्वयं जगत कल्याण में तत्पर हो जाते हैं । अतः समस्त जीव शिव के समीप {शिवमय } आ जाते हैं । नोट -ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह श्रावण मास यद्यपि विष्णु के अधीन है किन्तु देखभाल भोलेनाथ करते हैं । रोमन जगत में साम्राज्य जूलियस का था किन्तु अधिकार पोते को मिला । अभिप्राय -विश्व की संस्कृति का मेल निःसंदेह भारतीय संस्कृति के इर्द -गिर्द ही है । सभीने अपने -अपने नूतन कार्य की शुरुआत में दैवीय शक्ति को प्रथम स्थान अवश्य दिया है । -----"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " -- ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




अंग्रेजी माह जुलाई और भारतीय आषाढ़ मास में समानता जानें -पढ़ें- ज्योतिषी झा मेरठ


 अंग्रेजी माह जुलाई और भारतीय आषाढ़ मास में समानता जानें -पढ़ें- ज्योतिषी झा मेरठ 

-अंग्रेजी मास जुलाई नाम रोमन के महान शासक जूलियस सीजर के नाम पर रखा गया । इनकी विशेषता यह थी कि वो यशस्वी और लोकप्रिय शासक थे । ---ज्योतिष मास -आषाढ़ प्रायः जुलाई माह में ही आता है पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के आधार पर इस मास का नामकरण हुआ है । पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के देवता जल {वरुण } हैं । यह वर्षा ऋतु का माह है जल के बिना जीवन नहीं है अतः यह आषाढ़ माह वरुण देवता को तो समर्पति है ही किन्तु इस माह में गुप्त नवरात्र के कारण दैवीय शक्ति का भी गुप्त प्रभाव रहता है । इस माह में देव इंद्र की भी विशेष पूजा होती है जो प्रकृति के सभी जीवों के लिए सुखकारक होती है । नोट ---आदि भाषा संस्कृत है और इस भारतीय संस्कृत भाषा की संस्कृति की झलक हमें अंग्रेजी भाषा के माहों में भी देखने को एक समान मिलती है । -------"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " -- ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


अंग्रेजी माह जून और भारतीय मास जेठ माह की विशेषता पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 अंग्रेजी माह जून और भारतीय मास जेठ माह की विशेषता पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ 



अंग्रेजी मास जून की रचना में प्रचलित है ---जून शब्द जूपीटर की पत्नी जूनों के नाम पर रखा गया । जूनों अपरमित सुन्दर और सुकोमल थी । इनके रथ के वाहक घोडें नहीं बल्कि मयूर थे । -----ज्योतिष संवत का जून मास को प्रायः ज्येष्ठ {जेठ } माह के नाम से जाना जाता है । ज्येष्ठा नक्षत्र के आधार पर इस माह की रचना हुई है । ज्येष्ठा -नक्षत्र के देवता इंद्र हैं और देवताओं के राजा इंद्र समस्त यौवन सम्पदा अर्थात भोग -विलास में इस माह में रम जाते हैं -और सबसे बड़ी बात कि किसी भी कार्य में प्रकृति के सहयोग के बिना कोई सांसारिक कार्य हो नहीं सकते -अतः यह मधुमास प्रकृति के तरुण अवश्था को भरपूर सहायता करता है । नोट --चाहे अंग्रेजी मास हो या ज्योतिष मास किस मास पर किस देवता का अधिकार हो जिससे प्रकृति निरंतर अपना सहयोग सदा अपनी धरा को देती रहे -यह सोच सबकी एक जैसी ही मिलती है -तो फिर आज हमारी सोच क्यों बदल रही है --जरुरत है ठीक से फिर से विचार करने की जिससे -सर्वे भवन्तु सुखिनः -सच हो सके । ------"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " -- ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


अंग्रेजी मास मई और भारतीय मास वैशाख में समानता जानें -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 अंग्रेजी मास मई और भारतीय मास वैशाख में समानता जानें -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ 

अंग्रेजी मास मई का यह नाम एटलस की कन्या "मइया "के नाम पर रखा गया । मइया अपनी सातों बहिनों से अति सुन्दर थी और साल के बारहों महीनों में से "मई " का महीना प्रकृति को सर्व रूप प्रदान करता है । अर्थात इस माह में प्रकृति नव पल्ल्वित धरा से होती है । -----ज्योतिष मास "वैशाख "का नामकरण विशाखा नक्षत्र से हुआ । विशाखा नक्षत्र के देवता -शुक्राग्नि हैं । वैसे संवत का दूसरा माह वैशाख है । जब जीव ,प्रकृति के निर्माण की बात सोची गई तो शुक्र निर्माण कर्ता और अग्नि प्राण दाता हैं -इनकी ही कृपा से सुन्दर आकृति और प्रकृति का निर्माण एवं पोषण हो सकता है । अतः भारतीय द्वितीय मास का अधिकार इन देवताओं को दिया गया । ----नोट सबसे बड़ी अनोखी बात यह है अंग्रेजी मास में मई का नाम प्रकृति से जुड़ा है तो ज्योतिष का मत भी यथाबत है । भले ही भाषा अलग हो पर प्रकृति ने सबकी सोच दैवीय शक्ति से ओत -प्रोत की है अर्थात एक जैसी ही है -आज भाषा का परिवर्तन हमारी सोच में भी परिवर्तन लाता है -अतः प्राकृतिक सोच से आज भी एकता बनी रह सकती है । -------"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " -- ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


अप्रैल और चैत मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 अप्रैल और चैत मास नाम क्यों पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ 



अप्रैल मास की रचना के विषय में विख्यात है -रोमन भाषा में दो शब्द हैं -अमोनिया और एपारि जिनका अर्थ है -सब कुछ खोल देना -इसी आधार पर अंग्रेजी वर्ष के चौथे मास का नाम अप्रैल पड़ा और यह कितना सार्थक नाम है -क्योंकि अप्रैल मास में ही यूरोप की धरती पल्ल्वित होती है -क्योंकि यह अप्रैल मास ही होता है -जो वसुंधरा पर से बर्फ और कुहासे की चादर समेट लेता है साथ ही प्रकृत फिर से नूतन और नई सतरंगी चुनर में खिलखिला उठती है ।-- ज्योतिष मास -चैत्र मास वर्ष {संवत } का प्रथम मास होता है -चित्रा नक्षत्र के आधार पर इस मास का नाम चैत्र पड़ा ,जिका स्वामी स्वयं विश्वकर्मा है । सनातन संस्कृति में विश्वकर्मा ही सृष्टि की रचना में अपना सर्वप्रथम योगदान देते हैं -स्वरुप ,छटा ,आकृति कैसी हो ये निर्णय करने का अधिकार विश्वकर्माजी को ही मिला है । भारतीय संस्कृति में भवन निर्माण या किसी भी निर्माण कार्य में निर्माणकर्ता को वही सम्मान दिया जाता है -जो विश्वकर्मा जी को विधाता ने दिया था । साथ ही आदिशक्ति माँ भगवती भी अपना आशीर्वाद देने हेतु इसी मास में धरा पर आती हैं । नोट -चाहे कोई भी विश्व की संस्कृति हो सभी का आधार एक जैसा ही होता है अर्थात परमशक्ति को ही सभी सर्वप्रथम समर्पित करते हैं । "जय हिन्द "सर्वे भवन्तु सुखिनः"आपका--"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " -- ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


अंग्रेजी मास मार्च और भारतीय मास फाल्गुन नाम कैसे पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ


 अंग्रेजी मास मार्च और भारतीय मास फाल्गुन नाम कैसे पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ 

 अंग्रेजी मास मार्च के बारे में कहाबत है -रोमन के एक देवता का नाम "मार्स "था । वो देवता युद्ध का प्रतीक माना जाता था -अतः इस देवता के नाम पर वर्ष के तीसरे माह का नाम मार्च पड़ा । -----ज्योतिष शास्त्र के अनुसार -पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के आधार पर फाल्गुन नाम रखा गया । पूर्वफाल्गुन नक्षत्र के देवता का नाम भग है भाग अर्थात उप्तत्ति कारक देवता -यह माह भारतीय परम्परा में 11 वां है इस मास की समाप्ति के बाद ही भारतीय नववर्ष की शुरुआत होती है । अभिप्राय भारतीय मास फाल्गुन मास की सबसे बड़ी विशेषता यह है -इस मास में नव सृजन तो होता ही है वसंतऋतु के कारण किन्तु चाहे संगीत हो या प्रेम रस हो या जीव की स्वतंत्रता हो सभी उन्मुक्त गगन में प्रसन्न रहते है -सही मायने में सभी को छूट मिली रहती है कुछ पल के लिए भटकने के लिए । नोट भले ही अंग्रेजी मास मार्च साल का तीसरा माह और फाल्गुन 11 वां भारतीय मास हो किन्तु सभी मासों की रचना में आधार एक जैसा ही घर्म से ओत -प्रोत है ।----आपका--"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में--https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-- उपलब्ध हैं कृपया पधारें और-


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 अंग्रेजी मास फरवरी और भारतीय मास माघ की विशेषता -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ 


  अंग्रेजी मास फरवरी और भारतीय मास माघ की विशेषता जानें -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ 




फरवरी- मास की उत्पत्ति के विषय में विख्यात है --प्राचीन रोमन जगत में फेबुआ नामक एक बहुत बड़ा भोज हुआ करता था ,जो अति पवित्र तथा धार्मिक माना जाता था इसी के नाम पर अंग्रेजी का दूसरा मास का नाम फरवरी पड़ा । ज्योतिष के अनुसार भारतीय मास माघ प्रायः फरवरी में आता है -और मघा नक्षत के नाम पर माघ मास का नामकरण हुआ है । मघा नक्षत्र के देवता पितर हैं । सनातन संस्कृति में सर्व प्रथम कोई भी नई वस्तु को पितरों को ही सभी अर्पण करते हैं -अभिप्राय जो भी सम्पन्नता मानव को मिलती है वो पितरों के आशीर्वाद से ही । इस माघ मास की एक और भी विशेषता है -हर व्यक्ति =देवऋण ,पितृऋण ,मनुष्यऋण से ऋणी रहता है और यह माघ मास इन ऋणों से उऋण होने का सबसे उपयुक्त मास होता है । नोट --दोस्तों -हिन्दूमास =माघ ,अंग्रेजी मास =फरवरी ,मुसलमानी मास {हिजरी }=सपफर ,पारसीमास =आर्दीबेस्त --इन सभी भाषा के मासों की रचना में एक सबसे बड़ी बात यह है सभी ने अपने -अपने देवता या संस्कृति के ऊपर ही मासों की प्रधानता दी है । आपका--"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है

जनवरी और माघ मास नाम कैसे पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 

 

 

जनवरी और माघ मास नाम कैसे पड़ा -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


ज्योतिष विद्या देव विद्या है -और ज्योतिष को समझने के लिए अंग्रजी को भी समझना पड़ेगा । भाषा कोई भी हो देवता को सभी मानते हैं ------ अस्तु ----रोमन एवं अंग्रेजी भाषा साहित्य में ही नहीं संप्रदाय में भी उग्र संक्रांतियां {संघर्ष }हुई है । देवताओं को वहां भी महत्व दिया गया है और साथ ही उसी आधार पर अंग्रेजी मासों की भी रचना हुई हैं । ----जनवरी ----जेनस नामक एक रोमन देवता के नाम पर वर्ष के प्रथम मास का नाम रखा गया । इस देवता के सम्बन्ध में यह प्रसिद्ध है कि इसके दो मुख थे । एक सामने की ओर तथा दूसरा पीछे की ओर --इस बात में यह विशेषता है कि जब हम बीते हुए साल सफलताओं और असफलताओं पर विचार करते हैं ,तो हमें आगे आने वाले नववर्ष की नई योजनाओं का भी आकलन करना पड़ेगा । भाव यह है कि जेनस देवता आदि और अंत का देवता समझा जाता है-इसलिए साल का पहला नाम जनवरी इनके नाम से प्रारम्भ हुआ । ---ज्योतिष की बात करें तो माह {माघ } मास की रचना नक्षत्र मघा के नाम से पड़ा ,मघा नक्षत्र के देवता =पितर हैं । भारतीय संस्कृति में व्यक्ति अपनी समस्त वस्तुओं को सबसे पहले अपने पितरों को ही अर्पित करता हैं -अर्थात किसी भी व्यक्ति को लाभ या हानि ,सुख या समृद्धि पितरों की कृपा से ही सम्भव होता है -जिसका प्रमाण किसी भी शुभ कार्य में सर्वप्रथम पूजा पितरों की ही होती है -नांदी श्राद्ध से । ज्योतिष के मासों में माघ मास का स्थान 11 वां है । इस माह में तमाम देवतों की सिद्धि भी प्राप्ति की जाती है शिक्षा की देवी -माँ सरस्वती की पूजा इसी माह में होती है । अर्थात भारतीय संस्कृति में भी मासों का चयन देवताओं के अधिकार के ऊपर रखा गया है । ------दोस्तों ज्योतिष एक विशाल सागर है -हमें केवल लग्न का ही फलादेश नहीं समझना चाहिए --उसकी बारीकी को ठीक से जानना चाहिए तभी हम सही ज्योतिषाचार्य हो सकते हैं ।---ज्योतिष या कर्मकाण्ड विषय से सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज में https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई "

शुभ कार्य गणपतिजी से क्यों -पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"




शुभ कार्य  गणपतिजी से क्यों -पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"

- हिन्दू संस्कृति प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है। देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं।श्वेतार्क वृक्ष को गणपति का स्वरूप माना जाता है। इसकी जड़ में गणेशजी का वास होता है। भगवान गणेश के श्वेतार्क रूप की घर वयापार स्थान मे पूजा करने से अक्षय लक्ष्मी, विद्या बुद्धि, और ऋण नाश और ऊपरी बाधाओं, नजर दोष से मुक्ति मिलती हैं।श्वेतार्क गणपति पर गणेश जी के मंत्रो का जाप करना चाहिए...........ॐ गं गणपतये नमः - गं से युक्त मंत्र का जप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए। ऊँ वक्रतुंडाय हुम - किसी के द्वारा अनिष्ट के लिए की गई क्रिया को नष्ट करने के लिए।॥ हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा ॥ - आलस्य, निराशा, पारिवारिक कलह दूर करने के लिए।ऊँ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: - कार्यो मे विघ्न को दूर करने धन व आत्मबल की प्राप्ति के लिए।ऊँ गूं नम: - रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक समृध्दि की पूर्ति के लिए ।ऊँ श्री गं सौभाग्य गणपत्ये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा - विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने के लिए | ----ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे -----https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut------ उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई



खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...