ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

गुरुवार, 12 अक्टूबर 2023

कर्मकण्ड का प्रतिपादन शाण्डिल्य ऋषि ने क्यों किया सुनें -भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ



 कर्मकण्ड का प्रतिपादन शाण्डिल्य ऋषि ने क्यों किया सुनें -भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ 

पूजा से सम्बन्धित अनन्त बातों को सुनें भाग -40 --ज्योतिषी झा मेरठ
पूजा किसे कहते हैं | पूजा कैसे करनी चाहिए --कर्मकाण्ड की तमाम बातों को ठीक से सुनें और पथ का अनुशरण करें -लाभ मिलेगा | ------दोस्तों ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें ---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |

सृष्टि पर अजर अमर क्यों और कौन -कौन हैं-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ



 सृष्टि पर अजर अमर क्यों और कौन -कौन हैं-पढ़ें-ज्योतिषी झा मेरठ 



 --वत्स -सृष्टि के नियम हैं -जो आया है उसको जाना होता है | पर कुछ चीजें अमर रहतीं हैं अतः सृष्टि पर आजतक कोई उत्पन्न हुआ व्यक्ति अजर अमर नहीं हुए किन्तु उन्होंने कुछ ऐसे कर्म किये जिसकी वजह से जबतक सृष्टि रहेगी अजर और अमर रहेंगें | ---1 -अश्व्थामा का नाम अजर और अमर रहेगा | --2 राजा वली का नाम अजर और अमर रहेगा | 3 -श्री व्यासजी का नाम अजर अमर रहेगा | 4 -श्री हनुमानजी का नाम अजर और अमर रहेगा |5 विभीषणजी का नाम अजर और अमर रहेगा |6 - कृपाचार्यजी का नाम अजर और अमर रहेगा | 7 महर्षि -परशुरामजी का नाम अजर और अमर रहेगा | ----इन सभी महान पुरुषों ने ऐसे कार्य किये जिनकी वजह से जबतक सृष्टि रहेगी इनके नाम चलते रहेंगें या ये कहें -इनके उदाहरणों का दृष्टान्त मिलते रहेंगें | ---दोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा अपनी करनी के कारण क्योंकि जबतक भागवत की चर्चा होती रहेगी इनके नाम भी सामने आते रहेगें | राजा वली --जैसा महादानी आजतक पृथ्वी पर नहीं हुआ --इसलिए जब भी दान की बात होगी या भागवत कथा रहेगी इनके नाम की चर्चा होती रहेगी | भगवान व्यास ने वेदों की रचना की पुराणों की रचना की जबतक -कथा ,पूजा, पाठ या यज्ञों की बात होती रहेगी ये अमर रहेंगें | श्री हनुमानजी महराज ने भक्ति का ऐसा उदारहरण प्रस्तुत किया जबतक धर्म की चर्चा होती रहेगी भक्ति के कारण अटल श्री हनुमानजी का नाम अजर -अमर रहेगा | श्री विभीषणजी ने श्री रामजी की सहायता कर अमर हो गए जबतक रामायण की परिचर्चा होगी अमर रहेंगें श्री विभीषणजी | कुलगुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है अतः जबतक यज्ञादि में गुरुजनों की चर्चा होगी तो कृपाचार्य जी अमर रहेंगें | --भगवान श्री परशुरामजी ने पिता की भक्ति का जो उदारण दिए वो जब -जब पुत्र का कर्तव्य क्या है कि चर्चा होगी -नाम अजर और अमर रहेंगें --इन सभी महापुरुषों के | ज्योतिष की फ्री एकबार सेवा कैसे मिलेगी -ठीक से पढ़ें या सुनें !------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-

माँ शब्द की व्याख्या या व्युत्पत्ति या भावार्थ निकालना बहुत सहज नहीं है -पढ़ें - भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ


 "मेरा" कल आज और कल -


पढ़ें ?--- भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ

माँ शब्द की व्याख्या या व्युत्पत्ति या भावार्थ निकालना बहुत सहज नहीं है | --माँ छत्रछाया है ,माँ कृपा की मूर्ति है ,माँ ममतामयी है ---माँ के लिए सबका द्वार एक जैसा ही होता है --चाहे उसकी कोख से जन्मा अज्ञानी हो या ज्ञानी --सभी संतानें एक जैसी ही माँ को लगती है --माँ के दर पे कोई भेद भाव नहीं होता है | --मैं जब चोर था तब भी माँ के लिए वैसा ही था ,मेरे जीवन में माँ का भी बड़ा योगदान रहा है --भले ही मेरी माँ अनपढ़ थी -पर मुझको पढ़ाया है ,आश्रम में वही तो गयी थी नानी के साथ और 10 रूपये भी दिए थे | जब दीवाल गिरी तो न दीपक था न लालटेन पर माँ मुझको सबसे पहले ढूंढ रही थी | जब मैं कॉलेज में पढ़ने लगा तो 100 प्रतिमाह यही तो देती थी | एकबार पिता से युद्ध हुआ तो मैं रात के समय भागा गन्धराईन {अंधराठाढ़ी} से अपने गांव आया 15 किलोमाटर का सफर था --सांप मेरे पैरों में लिपट गया --मुझे पता नहीं मेरे पैरों में खून था क्योंकि मैं भागा -भागा माँ के पास ही तो आया था --भले ही औषधि की सामर्थ नहीं थी पर गरम पानी से साफ किया और देवताओं से दुआ मांगी थी --आज मैं इसलिए तो जिन्दा हूँ| जब भी घर से निकला तो पलकें बिछाये मेरी राह तो माँ ही देख रही थी | जब मैं रेडियो चुराया --गरीबी सही ईमानदार थी तभी तो चचेरे भाई से बोली गाली मत दो मैं रेडियो अपने भाई से दिल्ली से मंगबाकर दूंगीं --जबकि मैं तो चोर था | जिस पिता को घर की जिम्मेदारी सम्भालनी चाहिए वो काम तो माँ ने किया | शादी भी माँ ने करायी भले ही नानी का योगदान था --पर नानी भी तो माँ की माँ थी | --जब गरीबी थी तो खुद कई दिन खाना नहीं खाया पर मुझको तो पहले खिलाती थी | ---मेरी माँ में अनन्त गुण हैं --पर एक अबगुण ने --मुझे मरने पर विवस कर दिया --सत्ता और प्रभुता --बड़ा होना सहज है --पर उन धर्मों का भी पालन करना होता है जो सत्ता और प्रभुता के लिए अनिवार्य हैं --और मैं यही करना चाहता था --मैं चाहता था --मेरी माँ भले ही गरीबी देखी है --अब बढियाँ पहनें ,बढियाँ खाये ,अपने घर से बाहर न जाये ,मेरी माँ के पास लोग आये ,मेरी माँ सबकी अवश्य मदद करें पर सामर्थ के अनुसार ,मेरी माँ केवल दुआ मांगें तप की दुनिया में रहे ,किसी से लेनी -देनी ऐसी न करे जो जो दूसरे की हो ,अपने समय का सदुपयोग करे | ----ये वो राहें थी --जो असंभव थी --क्योंकि मेरे घर में दीदी का सदा साम्राज्य रहा है ,दीदी के पैसे व्याज पर लगाती रही है --घाटा होने पर हमारे पैसों से पूर्ति करती थी | सम्पूर्ण जीवन दीदी अपने बच्चों के साथ मेरे यहाँ निवास किया है----जबकि कोई अभाव नहीं है --ये बात मेरी माँ की समझ में क्यों नहीं आयी है | दूसरा कारण मेरे मामा रहे मेरे यहाँ शिक्षा मिली -सरकारी नौकरी मिली --करोड़पति हैं कभी भी --इतना नहीं कह सके --दीदी --जैसा बेटा -बहु कहते हैं वही करो ---बच्चों के सुख में ही माता पिता सुखी होते हैं | ---मैं अपनी कुण्डली देखी तो-- मेरा भाग्येश ,चतुर्थेश लग्न में विराजमान है --लग्नेश के साथ यह सर्वोत्तम योग है --सिंह लग्न की कुण्डली में सूर्य और मंगल लग्न में विराजमान हो चन्द्रमा उच्च का कर्मक्षेत्र में विराजमान हो --उस जातक को माता ,सम्पत्ति ,वाहन ,भवन का पूर्ण सुख प्राप्त होता है ---ये तमाम सुख मुझे मिले ---फिर ऐसा क्या था ------आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

कर्मकाण्ड -"पूजा +पाठ " कहते किसे हैं सुनें भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ



कर्मकाण्ड -"पूजा +पाठ " कहते किसे हैं सुनें भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ 

कर्मकाण्ड एवं ज्योतिष किसे कहते हैं सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ - भाग 39
ज्योतिष और कर्मकाण्ड के श्रोतागण --आप सबके मन में ज्योतिष और कर्मकाण्ड से सम्बंधित अनन्त प्रश्न मन में उठते होगें | यद्पि मैं स्वयं अल्प ज्ञानी हूँ --फिर भी जितना अनुभव है उतना तो बताने का प्रयास कर ही सकता हूँ --तो सुनें --पूजा कैसे करनी चाहिए ,ज्योतिष का सहारा कब लेना चाहिए ----ज्योतिष या कर्मकाण्ड विषय से सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज में-https://www.facebook.com/astrologerjha/ उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई "

सृष्टि को जाने बिना ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझाना अनुचित है-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 प्रश्न -क्या सृष्टि को जाने बिना ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझाना अनुचित है-पढ़ें?-ज्योतिषी झा मेरठ



उतर -यद्पि आप ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझ सकते हैं किन्तु --जैसे परीक्षा के लिए छात्र किताब की जगह प्रश्नोत्तरी का अध्ययन करते हैं -और उनका ज्ञान अधूरा रहता है | जबकि उपाधि से विभूषित भी रहते हैं | ---अतः ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझने से पहले यथार्थ को समझें | तभी आप एक योग्य पण्डित या ज्योतिषी हो सकते हैं | -प्रश्न ---क्या विधाता ब्रह्मा भी सृष्टि में उलझ गए थे ?उत्तर --कुछ पुराणों में यह कथा आती है -ब्रह्माजी भी आदि शक्ति को देखकर मोहित हो चुके थे | ज्योतिष में जब कोई योग नहीं बनता है तब सर्बार्थ सिद्ध योग में कोई भी कार्य कर कर सकते हैं किन्तु --जबसे यह कथा बनी तबसे -विवाह संस्कार सभी नक्षत्रों में हो सकता है किन्तु सर्बार्थ सिद्ध योग में वर्जित होता है | पंचकों में भी विवाह होता है कोई दोष नहीं लगता है | -----सृष्टि में हमलोग कहाँ स्थित हैं ?उत्तर ---भू लोक ,भुवर लोक, स्वर लोक,मध्यलोक ,जनलोक ,तप लोक और सत्य लोक --ये सतलोक पृथ्वी के ऊपर हैं और तल ,अतल इत्यादि सप्तलोक पृथ्वी के नीचे हैं | हमलोग मध्यलोक अर्थात बीच में स्थित हैं | --प्रश्न --देवता किसे कहते हैं ?-उत्तर ---जो अवतरित होते हैं उन्हें देवता कहते हैं --ये वास्तव में परमशक्ति के अंश होते हैं -जिनको कर्मकाण्ड के प्रत्येक {अनुष्ठान} यज्ञ में भाग दिया जाता है --ये तभी समझ में आते हैं | --प्रश्न ---फिर भगवान कौन होते हैं ?उत्तर ---गर्भ से उत्पन्न होने वाले को भगवान कहते हैं | कोई भी माँ कर्मनिष्ठ बनकर ऐसी संतान को जन्म दे सकतीं हैं | --तथा जो अविरल अचम्भित करने वाले जन्म लेते हैं उनके कर्मो से उनको भगवान का पद प्राप्त होता हैं ---गौतम बुध ,भगवान व्यास इत्यादि | प्रश्न ---फिर परमतत्व क्या होता है ?उतर --संसार में एक ही परमतत्व है -वो अजन्मा है अविनाशी है -वही अनंत रूप धारण करते हैं | वही स्रष्टा है -वही श्री हरी हैं - वही ब्रह्मा है- वही शिव हैं | संसार की सभी चीजें उनमें ही हैं वो जब चाहे जैसे चाहें चलाते हैं किन्तु नियमावली से वो भी बंधे होते हैं ---इसलिए कोई सत्य तो चित तो कोई आनंद के नामों से जनता है |--आगे की चर्चा आगे करेंगें "ॐ "--दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ

बड़ा पुत्र होना वरदान या अभिशाप है ---अपनी कसौटी पर परखने के बाद ही अहसास किया जा सकता है | --रामचरित मानस में श्री राम का राज्याभिषेक होते ही पाठ पूर्ण हो जाता है जबकि वस्तुतः --उत्तरकाण्ड के बिना रामायण अधूरी है --यह बात केवल ज्ञानी पुरुष ही समझ सकता है | --अस्तु --मुझे जो कुछ भी मिला है वो पिता की देन है वो न होते तो मेरा क्या अस्तित्व होता | हर पिता अपने बड़े पुत्र को अपने अनुसार ढालना चाहते हैं --परिणाम यह होता है --माँ को बड़ा पुत्र तभी खो देता है जब पिता की राह चलता है | मेरे साथ ऐसा ही हुआ --पिता की बताई राह पर चला तो --पिता में ही समा गया --मुझे भले ही पिता ने कुछ दिखाया नहीं, बताया नहीं पर अनुसरण मैं पिता का ही करता गया | पिता मान हैं ,पिता शान हैं ,पिता अभिमान भी हैं किन्तु --ममतामयी नहीं हो सकते --यह आशीर्वाद केवल छोटी सन्तान को माँ से मिलती है | जीवन भर पिता के वसूलों पर चलते -चलते --बड़ा पुत्र --न भाई का न बहिन का ,न माँ का ,न परिजनों का होता है बल्कि उसे हर वो काम करना होता है --जिससे पिता को ठेंस न पहुंचे --अन्त में उसे मृत्यु के सिवा कुछ नहीं दिखता है | मेरे साथ ऐसा ही हुआ | पिता आश्रम छोड़ कर आ गए उम्र थी --13 वर्ष --फिर कभी देखने नहीं गए --गयी तो माँ और नानी देखने | आश्रम से निकाला तो --पिता नहीं ताऊ छोड़ आये | पातेपुर जिला वैशाली पढ़ने गए तो खुद गए | मेरठ आये तो खुद आये | शादी करबादी --पर सारा कर्य मुझ पर डाल दिए | घर की गरीबी थी तो हमने गरीबी हटाई --पूजा से, दान से, कमाई से | मुझे किसी ने --15000 दिए पढ़ने के लिए --1995 में वो सारा धन से ईंट खरीदी | पतनी का मंगलसूत्र बेचा तो पिता के कहने से | पतनी का आदर नहीं किया तो ये सोचता था पिता हैं न देख लेंगें पर कभी देखा नहीं | जब पिता को मजबूत किया तो सबसे कमजोर मैं ही हुआ | जीवन भर -सत्यं वद ,घर्मं चर - -यही सीखता रहा --यही करता रहा --पर मातृदेवो भव यह उच्चारण पहला होता है --यह एक शास्त्री होकर भी नहीं सीख पाया | जब पिता से हिसाब माँगा तो बोले काहे का हिसाब --जो दिया खाया | भाई -भाई का युद्ध हुआ तो मेरी दो कन्या थी --माता पिता -छोटे से बोले तू गरीब हो जायेगा क्योंकि तू अनपढ़ है ,ये पढ़ा लिखा है --ये कभी गरीब नहीं होगा | जब हिस्सा की बारी आयी तो मुझे कम और खराब भाग मिला --क्योंकि तब तक मुझे अकल आ चुकी थी --42 वर्ष का हो चूका था | जीवन भर सोचता रहा पिता को तकलीफ न हो --यह धर्म है यह अधर्म है | पर घर्म की परिभाषा लोग अपने -अपने अनुसार करते हैं ---मेरा एक ही घर्म था पिता की शान पर सदा खड़ा उतरु ---इसका परिणाम यह हुआ --न पतनी के हो सके , न माँ के हो सके न भाई -बहिन के हो सके न ही परिजनों के हुए ---अन्त में मृत्यु ही नजर आने लगी | ---2015 ,16 ,17 --तक आत्म मंथन करने के बाद --इस निष्कर्ष पर पहुंचा ---अपनी आत्मकथा लिखें --तो हो सकता है --कमी कहां रह गयी मिल जाय --पर लिखना बहुत आसान नहीं था --कई -कई रात निन्द नहीं आयी ,कई बार मोटर साइकिल से टकरा गया --चलता किघर और था मन कहीं और था ----जबकि 4 जी नेट था ,100 +500 रूपये की भरपूर मात्रा में सेवा चल रही थी | फ्री सेवा पूर्ण यौवनमें थी | गुजरात +राजस्थान के बहुत से लोग अमेरिका में रहते हैं | सेवा लेने के बाद 2 तीन लोग अमेरिका ले जाना चाहते थे --मेरा यह सपना --1994 वर्ष जब मैं मुम्बई में पढता था तो घर की माली हालत के कारण रह गया था --मैं अमेरिका जाना भी चाहता था ---पर होनी को किसने रोकी है ----आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...