ज्योतिषशास्त्र में वृष राशि का स्थान मुख में है | मुख से अभिप्राय जिह्वा ,कपोल ,गला और गरदन से भी है | शरीर के इन भागों में इसका प्रभाव पड़ता है | इसकी अवस्था तरुण है | रंग गौरवर्ण ,पृथ्वीतत्व वाली है | इसके मनुष्य का मन शांत ,सुकोमल स्वभाव सरल एवं मधुर होता है | काव्य की अनुभूतियाँ और भावनाएं हृदय में दबी रहती है | कालबंत की कला कंठ से फूटती है |
--वृष राशि वाला व्यक्ति गायक और कुशल वादक होता है | यह राशि रात्रि में बलवान होती है ,शरीर लंबा रखती है | इसकी जाति ब्राहण है | सम है ,धर्म की द्योतक है | इस राशि का व्यक्ति आज्ञापालक होता है और धार्मिक भाव का समर्थक होता है | सेवा सुश्रूषा करने में अभिरुचि रखता है तथा ललित कलाओं का पारखी होता है | इसकी स्थिति विषुवत रेखा के 20 o पर मानी गई है |
---इसकी पूर्व दिशा है | यह कृतिका के तीन चरण ,रोहिणी और मृगशिरा के दो दो चरण अपने अंदर निहित रखती है --क्योंकि यह राशि रोहिणी नक्षत्र पर आधृत है ,इस कारण इसका अनुचरी धनवान ,उपकार को मानने वाला ,बुद्धिमान, राजा से मान्य ,प्रिय बोलने वाला ,सत्यवक्ता और सुन्दर रूप वाला होता है | ---अगले भाग में मिथुन राशि पर परिचर्चा करेंगें --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें