ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 12 सितंबर 2023

"मंगल ग्रह से वैधव योग भी बन जाता है -ज्योतिष -विशेष --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

 मंगल ग्रह से वैधव योग भी बन जाता है-ज्योतिष -विशेष-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ--------------------------------------------
----अग्निकारक ग्रह मंगल है -जब यह लग्न और सप्तम में बैठता है तो मानव में क्रोध बहुत अधिक होता है 1 पति -पत्नी में इसी के कारण विशेष रूप से लडाइयां होती हैं 1 कारण कि "मंगल" युद्ध का ग्रह है इसको लडाई रोज चाहिए 1 जिनका "मंगल" 8 या 12 भाव में होता है उसका देहबल और मनोबल ठीक नहीं रहता है 1 रोग से पीड़ित रहते हैं ,काम करने की हिम्मत होने के बाद भी काम नहीं कर पाते 1 यदि -शनि के साथ मंगल बैठा हुआ होगा तो जीवन में जातक धन को स्थिर नहीं कर पाएगा 1 यह अकाट्य सिद्धांत है 1 -----1 ,4 ,7 ,8 ,12 भावों में यदि मंगल होता है तो वह जातक मंगली कहलाते हैं 1 इसमें एक और सूक्ष्म विवेचन है -वह लग्न से मंगली हो ,चन्द्र से मंगली हो ,शुक्र से मंगली हो तो वह मंगली माना जाता है 1 यदि विवाह के बाद मंगल महादशाओं में आ जाता है और जातक मंगली नहीं होता है तो वैधव योग उपस्थित हो जाता है 1



-----प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत } परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


"शुभ ग्रह "शुक्र "और "मंगल "--ज्योतिष -विशेष --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


शुभ ग्रह शुक्र और मंगल ज्योतिष विशेष-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

----"शुक्र "बहुत शुभ ग्रह है -सहत्रसार में अमृत के कुंड का संचालन यही करता है 1 जिह्वा और जनेन्द्रिय में इसका निवास होता है 1 शरीर के मुख्य संचालन का कार्य भार "शुक्र "के ही कारण है 1 भगवान शंकर के वरदान अनुसार "बृहस्पति "से तीन गुणा बल इसमें अधिक है 1 सब ग्रह आठवें ,बारहवें भाव में सारहीन हो जाते हैं ,किन्तु "शुक्र "आठवें और बारहवें भाव में हो और साथ ही इसकी महादशा चल जाये तो जातक को अरबों ,खरबों रूपये ,वाहन सुख,राज्यसुख,स्त्रीसुख अर्थात सबकुछ प्रदान कर देता है 1

------साथ ही अगर मंगल के साथ शुक्र होता है तो वह काम पिपासा का धनि भी इतना बता है कि 90 वर्ष तक भी काम के क्षेत्र में हल्का नहीं होने देता है जातक को 1 अर्थात वह ब्रह्मचारी रहने ही नहीं देता और बिना ब्रह्मचारी रहे ईस्वर की उपासना हो ही नहीं सकती है 1
   बाबा तुलसीदास ज की ये उक्ति ----"जहां राम तहां काम नहि ,जहां काम कहां काम 1--   तुलसी कबहुंक रहि सकहि ,रवि ,रजनी एक ठाम 11
अस्तु ---श्री हनुमानजी को छोड़कर कामदेव से सब पराजित हुए हैं ,शुक्र लाभदायी ग्रह है 1
     "शुक्र "का बीज मन्त्र सरल भाषा में -ॐ द्राम द्रीम द्रोम सः शुक्राय नमः !
अर्थात -कुंडली मिलान के समय "शुक्र +मंगल  का भी विशेष विचार अवश्य ही करना चाहिए !----प्रेषकः -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत } परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"गुरु एवं मंगल" मंगली दोष समाप्त कर राज योग देते है--पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


  गुरु एवं मंगल मंगली दोष समाप्त कर राज योग देते है-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ ------------------------------------------------------------





--गुरु + मंगल एक साथ हों जन्म कुंडली में तो राजयोग बनता है अधिकांश विद्वान इस बात को मानते हैं । और साथ ही "भौम दोषों न विद्यते "अर्थात मंगली दोष समाप्त हो जाता है ।
      ---अस्तु ----यह बात हमारी समझ में नहीं आती है --क्योंकि फलिताचार्य भली भांति इस बात बात को जानते हैं ,कि द्वितीय भाव {कुंडली का दूसरा घर }के कारक "गुरु "की क्रूर या पापग्रह से युति से दाम्पत्य जीवन अर्थात सुखोपभोग के लिए हितकर नहीं होती है ।
      फलदीपकार लिखते हैं=पुर्यध्यक्षः सजीवे {भोमे }भवति नरपतिः प्राप्तवित्तो द्विजो वा "----अर्थात चन्द्र + मंगल की युति स्थाई संपदा प्रदान करने वाली तो होती है ,किन्तु मंगली दोष को समाप्त करती हो ऐसा आभास नहीं होता है ।    "शशि -मंगल संयोगे यस्य जन्मनि विद्यते । विमुञ्चन्ति न तं लक्ष्मिः लज्जां कुल वधूरिव । । भाव -इस योग में जन्म लेने वाली लज्जायुक्त कुलवधू का लक्ष्मी कभी साथ नहीं छोडती है ।-- अतः कुंडली में मंगली दोष का परिक्षण ठीक से होना चाहिए साथ ही निदान भी अन्यथा सुख दुःख में बदल जाता है ।---ॐ--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ (झा मेरठ झंझारपुरऔर मुम्बई)----- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"कुण्डली में "मंगलीयोग"कैसे बनता है--पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

 कुण्डली में मंगलीयोग"कैसे बनता है-ज्योतिष -विशेष -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ




--"लग्ने व्यये च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजः ,कन्या भर्तु विनाशाय भर्तु कन्या विनाशकः ||
भाव -यदि जन्मकुण्डली के -1,4 ,7 ,8 ,12 इन स्थानों में से किसी एक स्थान में मंगल हो तो मंगली योग माना जाता है | यदि लड़की की कुंडली में मंगली योग हो तो उसके पति के लिए तथा लड़के की कुंडली में मंगली दोष हो तो पत्नी के लिए कष्टकारी होता है |
   अस्तु --जन्मकुण्डली का सातवाँ भाव अर्थात जामित्र स्थान दाम्पत्य जीवन में मिलने वाले दुःख -सुख से सम्बन्ध रखता है  |दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा यह निर्णय सप्तम भाव से करते हैं साथ ही उक्त भाव स्थित ग्रहों से तथा ग्रहों की दृष्टि से अनुभव किया जाता है | मंगल ग्रह अग्नितत्व कारक स्वभाव से उग्र होता है | अगर कुण्डली के 1 ,4 ,12 वें भावों में बैठा हो तो तब सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है सातवें +आठवें  भाव में होने उन्हें विशेष पीड़ित करता है |--- मंगल का तीक्ष्ण प्रभाव ही दुःख का कारण बनता है | फलित के प्रणेता कार  आठवें भाव को भी दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित मानते हैं -----
     जैसे----"यत्कुजस्य फलं प्रोक्तं लग्ने तुर्येव्ययेअष्टमे,सप्तमे सैंहिके यार्क सौरिणाम च तथा स्मृतं ||
भाव -1 ,4 ,7 ,8 ,12 वें भावों में मंगल के अतिरिक्त और भी पापक्रूर ग्रह बैठे हों तो भी मंगली दोष  के समान हानि देते हैं जैसे -सूर्य ,शनि ,राहु ,केतु इत्यादि 1
   ध्यान दें --सप्तम भाव का कारक शुक्र है और मन का कारक चंद्रमा है | अतः शुक्र +चंद्रमा से भी योग कारक ग्रहयोगों का विचार अवश्य करना चाहिए 1
    निवेदक -ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



विषकन्या योग होता है- तो विषवर योग क्यों नहीं --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 



 विषकन्या योग होता है- तो विषवर योग क्यों नहीं --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
---ज्योतिष और ज्योतिषियों के लिए - चाहे पुरुष हो या महिला सब एक सामान होने चाहिए किन्तु लोग विषकन्या योग की चर्चा तो करते हैं किन्तु विषवर की चर्चा नहीं करते हैं क्यों ----
    भद्रा सर्पानल वरुणभे भानु मन्दारवारे । यस्या जन्म प्रभवति तदा सा विशाख्या कुमारी । । {भावकुतूहल }
भौजंगे कृतिकायाम शत भिषजितथा सूर्य मंदवारे । भद्रा संज्ञे तिथौ या किल जनन मियात्सा कुमारी विशाख्या । । {जातकालंकार}---------अर्थात ----2 /7 /12 ,कृतिका , आश्लेषा , विशाखा ,शतभिषा नक्षत्र और रवि ,मंगल तथा शनिवार का समागम होने से तो विषाख्य योग बनता है । ग्रन्थ -भावकुतूहल -में लिखित पद्य में केवल भद्रा शब्द का ही उल्लेख हुआ है न कि तिथि का ---इससे यह समझना चाहिए कि भद्रा {विष्टि }निहितकाल में -कृतिका , आश्लेषा ,विशाखा ,शतभिषा नक्षत और रवि ,मंगलवार या शनिवार आ पड़े तब किसी जातिका का जन्म हो तो उसे विषकन्या कहा जाता है । ----तो इस कुयोग में यदि किसी लड़के का जन्म हो तो उसे भी विष वर  कहा जाना चाहिए ।--   भाव ---ज्योतिष की रचना स्त्री -पुरुष ही नहीं समस्त के लिए सामान रूपेण है ---अतः इस विषय में हमलोगों को पक्ष पात रहित विचार अवश्य ही करना चाहिए । लग्न एवं चंद्रमा से सातवें घर में शुभ ग्रह बैठें हों या लग्नेश सातवें घर में हो तो वैधव्य योग समाप्त होकर कन्या सुभगा अर्थात भाग्यवान होती है ।---ॐ--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ (झा मेरठ झंझारपुरऔर मुम्बई)----- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...