ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

रविवार, 17 सितंबर 2023

अंग्रेजी मास "दिसंबर " की रचना कैसे हुई -पढ़ें ---ज्योतिषी झा मेरठ



 अंग्रेजी मास "दिसंबर " की रचना कैसे हुई -पढ़ें ---ज्योतिषी झा मेरठ

 



लैटिन भाषा के इस शब्द का अर्थ है दसवां । जूलियस ने वर्ष के इस मास का अथान बारहवां रखा है । प्राचीन समय में इस मास का दसवां स्थान था । ईसामसीह का जन्म इसी मास में हुआ था । ---आपका ज्योतिष सेवा सदन मेरठ भारत -ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

अंग्रेजी मास "नवंबर "की रचना कैसे हुई -पढ़ें --ज्योतिषी झा मेरठ


  अंग्रेजी मास "नवंबर "की रचना कैसे हुई -पढ़ें --ज्योतिषी झा मेरठ

 


अंग्रेजी मास "का नवम्बर अर्थात नोवेम  भी लैटिन शब्द है । इस मास को रक्त मास नाम से पुकारते हैं ,क्योकि इसी मास में मुखयतः पशु संहार किया जाता था । इस कारण इसका नाम नवंबर रखा गया । 
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अंग्रेजी मास "अक्तूबर "की उत्पत्ति जानते हैं -पढ़ें ---ज्योतिषी झा मेरठ



  अंग्रेजी मास "अक्तूबर "की उत्पत्ति जानते हैं -पढ़ें ---ज्योतिषी झा मेरठ

 

अक्तूबर मास की उत्त्पत्ति में अक्तूबर यह शब्द भी लैटिन भाषा का है -जिसका मतलब आठ होता है । किन्तु जनवरी को वर्ष का प्रथम मास का स्थान देने से यह क्रम बदल गया और अब इसका क्रम दसवां हो गया है । 
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अंग्रेजी मास "सितम्बर "की रचना कैसे हुई --पढ़ें ---ज्योतिषी झा मेरठ


  अंग्रेजी मास "सितम्बर "की रचना कैसे हुई --पढ़ें ---ज्योतिषी झा मेरठ

 -----सेप्टेम्बर {सेप्टेम }--यह शब्द वास्तविक रूप में लैटिन शब्द है ,जसका अर्थ सातवां है । वर्ष का आरंभ प्राचीन समय में मार्च से हुआ करता था ,तब यह मास सातवां था । किन्तु जूलियस सीजर के जनवरी को वर्ष का प्रथम मास का स्थान देने से इस सितंबर मास का क्रम नवां हुआ ।----ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


अंग्रेजी मास "अगस्त " की उत्पत्ति जानते हैं --पढ़ें --ज्योतिषी झा मेरठ


 अंग्रेजी मास "अगस्त " की उत्पत्ति जानते हैं --पढ़ें --ज्योतिषी झा मेरठ


 



आक्टेवियस का ही एक रूप अगस्त है । यह नाम जूलियस के पोते का था । वो साहित्य एवं कला के क्षेत्र में विशेष विख्यात थे । अतः इन्हीं के नाम पर अंग्रेजी मास अगस्त का नाम रखा गया । 
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अंग्रेजी मास "जुलाई "की रचना कैसे हुई --पढ़ें ?-ज्योतिषी झा मेरठ


 अंग्रेजी मास "जुलाई "की रचना कैसे हुई --पढ़ें ?-ज्योतिषी झा मेरठ

 


जुलाई ---मास अर्थात वर्ष के सातवे महीने की रचना रोमन के महान शासक "जूलियस सीजर"के नाम पर हुई । अभिप्राय था जूलियस यशस्वी के साथ -साथ लोकप्रिय शासक भी थे । ---ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"अंग्रेजी मास "जून "की रचना कैसे हुई -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


  "अंग्रेजी मास "जून "की रचना कैसे हुई -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

 ----जून मास की रचना जूपिटर की पत्नी जनों के नाम पर हुई । मान्यता है कि जुपिटर की पत्नी जूनो अत्यधिक सुन्दर एवं सुकोमल थी । इनके रथ के वाहक घोड़े नहीं बल्कि मयूर थे । इस कारण वर्ष के छठे महीने कि रचना इनके नाम पर हुई ।
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"अंग्रेजी मास "मई "की रचना कैसे हुई --पढ़ें -----ज्योतिषी झा मेरठ


  "अंग्रेजी मास "मई "की रचना कैसे हुई --पढ़ें -----ज्योतिषी झा मेरठ

 



भारतीय संस्कृति में साल के प्रत्येक मासों की रचना महर्षियो ने योगयतानुसार की है और  प्रयोजन भी बताएं हैं जिसका वर्णन हम क्रम से करेंगें ---किन्तु यह परिपाटी विस्व की सभी भाषाओँ देखने को मिलती है ।
   -------अस्तु ----"मई "अंग्रेजी मास का यह नाम एटलस की कन्या "मइया "से उपलब्ध हुआ है । "मइया "अपनी सातो बहनों से अति सुन्दर थी --इसका अभिप्राय यह था वर्ष के बारहों महीनों में मई का महीना प्रकृत को सर्व सुन्दर रूप प्रदान करता है ।---- ॐ आपका ---ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


"अंग्रेजी मास "अप्रैल "की रचना कैसे हुई -पढ़ें ----ज्योतिषी झा मेरठ


  "अंग्रेजी मास "अप्रैल "की रचना कैसे हुई -पढ़ें ----ज्योतिषी झा मेरठ

 


रोमन भाषा में दो शब्द हैं ,अमोनिया और एपारि --जिनका अर्थ है ,सब कुछ खोल देना । इसी के आधार वर्ष की चौथे मास "अप्रैल"की रचना हुई -----और साथ ही यह कितना सार्थक नाम है ,क्योंकि "अप्रैल "मास में ही यूरोप की धरती पल्ल्वित होती है । यह अप्रैल मास ही है ,जो धरती पर से बर्फ और कुहासे का आवरण उठा देता  है । साथ ही नई सतरंगी चुनर में निखर उठती है । --- ॐ आपका - ---ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

अंग्रेजी मास "मार्च "की रचना कैसे हुई -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ



  अंग्रेजी मास "मार्च "की रचना कैसे हुई -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

  -----यूँ तो सबकी संस्कृति और संस्कार अपने -अपने अनुकूल होते हैं --किन्तु किसी भी विशेष कार्य में देवताओं का अनुशरण चाहे रोमन जगत हो या आंग्ल भाषा हो वहाँ भी देखने को ये बात मिलती है ।
  भारतीय संस्कृति में किसी कार्य में मंगलाचरण अवश्य ही होता है परन्तु रोमन जगत में भी यह संस्कृति देखने को मिलती है ।
-------अस्तु ------मार्च ---मास की रचना  रोमन के एक देवता का नाम मार्स था । वो देवता युद्ध का प्रतीक माना जाता था । उसी के गुणों के आधार पर वर्ष के तीसरे मास का नाम "मार्च " रखा गया ।
-ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक झा शास्त्री मेरठ उत्तर पदेश {भारत }-ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



"फरवरी "अंग्रेजी में मास का नाम क्यों पड़ा -"पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


  "फरवरी "अंग्रेजी में मास का नाम क्यों पड़ा -"पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

 ----प्राचीन भाषा संस्कृत ही थी  जानते हैं --इसलिए संस्कार की बात संसार में सभी भाषा -भाषियों में देखने को अवश्य मिलती है ।
    ------अस्तु ----फरवरी मास का नामकरण ---प्राचीन रोमन जगत में फेबुआ नामक एक बहुत बड़ा भोज हुआ करता था ,जो अति पवित्र एवं पुण्यतम माना जाता था । इसी के आधार पर वर्ष के दूसरे मास का नाम फेबुरी रखा गया ।
    --ज्योतिष सेवा सदन प्रबंधक झा शास्त्री मेरठ उत्तर पदेश {भारत }---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


"अंग्रेजी मास जनवरी का नाम क्यों पड़ा -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

  "अंग्रेजी मास जनवरी का नाम क्यों पड़ा -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

 रोमन एवं अंग्रेजी भाषा साहित्य में ही नहीं ,संप्रदाय में भी उग्र संक्रांतियां हुई हैं । देवताओं को वहां भी महत्त्व और प्रधानता दी गई है । अर्थात वहाँ भी देवताओं के नाम पर प्रत्येक मास की शुरुआत हुई ।
    ------  अस्तु ----- जनवरी ---जेनस नामक एक रोमन देवता के नाम पर वर्ष के प्रथम मास का नाम जनवरी रखा गया । इस देवता के विषय में यह विदित है कि इसके दो मुख थे । एक सामने की ओर तथा दूसरा पीछे की ओर ---इसका मतलब यह है कि जब हम बीते हुए वर्ष की सफलताओं और असफलताओं पर विचार करते हैं ,तो हमें आगे आने वाले नववर्ष की नूतन योजनाओं का विवेचन करना पड़ेगा ---इसका प्रतीक जेनस आदि और अंत के देवता माने गए ।
    अभिप्राय  जेनस देवता के दो मुख से ये दोनों बातें विदित होती हैं  ---ये देवताओं को हम  ही नहीं मानते हैं सभी मानते हैं । भवदीय निवेदक -ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut





खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...