मकर राशि --चर -संज्ञक ,स्त्री जाति ,पृथ्वी तत्व ,वात प्रकृति ,पिंगल वर्ण ,रात्रि बली ,वैश्य बली ,शिथिल शरीर और दक्षिण दिशा की स्वामिनी है | इसका प्राकृतिक स्वभाव उच्च दशाभिलाषी है | इससे घुटनों का विचार किया जाता है | इस राशि को मृग भी कहा जाता है और कहीं -कहीं अज संज्ञा भी दी गई है | यह सेवा की प्रतीक राशि है | कुछ विद्वान इस राशि की कल्पना नर्क और मकर रूप भी करते हैं |
---यह समदेह वाली राशि है | रजोगुणी है ,भूतत्व प्रधान है और शूद्र जाति की है | इसका अधिकार राजसत्ता और राजसी आकांक्षा एवं महती भावनाओं की ओर रहने का संकेत देता है | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीन चरण ,श्रवण और धनिष्ठा के दो -दो चरण इसमें व्याप्त हैं |
--मकर राशि में उत्पन्न और श्रवण नक्षत्र का आविर्भाव वाला व्यक्ति किया हुआ उपकार जानने वाला ,सुन्दर ,दानी ,सभी गुणों से युक्त ,लक्ष्मीवान और विपुल संतान वाला होता है | धनिष्ठा जब मकर राशि से संपर्क जोड़ता है --तब उसका जातक संगीत प्रिय ,धन से परिपूर्ण ,पराई स्त्री की सेवा करने वाला और निरर्थक होता है | इस राशि का प्रमुख द्रव्य स्वर्ण के अतिरिक्त लोहा ,टिन ,शीशा ,ताम्बा एवं कोयला आदि हैं | --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

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