जन्म -कुण्डली उस समय का आकाश का नकशा है ,जिस समय कोई मनुष्य उत्पन्न हो , तथा -प्रश्न -कुण्डली उस समय का आकाश का नक्शा है ,जिस समय प्रश्न किया जाय ? यदि 23 /09 /1958 को दिल्ली में सायंकाल 5 /30 मिनट पर कोई बालक जन्मा तो उसकी जो जन्म कुण्डली हो ,उसमें और 23 /09 /1958 को सायं 5 /30 पर दिल्ली में कोई प्रश्न करे ,तो उस समय की प्रश्न -कुण्डली में कोई अंतर नहीं होगा | पाठक ध्यान दें ,हमें तो 23 सितम्बर 1958 को दिल्ली से आकाश का जो नकशा दिखाई दे ,या दिखाई दे सकता है ,उसका नकशा कागज पर बनाना है |
---जिस समय की जन्म -कुण्डली या प्रश्न कुण्डली बनाई जाती है ,उसे इष्टकाल या इष्टम कहते है | भारतीय ज्योतिष में काल -गणना प्रायः सूर्योदय से की जाती है | इस कारण इस इष्टकाल को सूर्योदय से कितने घटी कितने पल हुए ,पहले यह निकालना चाहिए | शुद्ध लग्न -कुण्डली बनाने के लिए सबसे पहले उस स्थान के शुद्ध सूर्योदय का ज्ञान होना चाहिए ,जहाँ बालक का जन्म हुआ | यदि दिल्ली में जन्म हुआ है तो दिल्ली का सूर्योदय -काल जानना बहुत आवश्यक है | प्रायः बहुत से ज्योतिषी इसका विचार नहीं करते कि जन्म किस स्थान से हुआ ,वहां सूर्योदय कितने बजकर कितने मिनट पर हुआ था | मान लीजिये ,बच्चा पैदा हुआ दिल्ली में ,ज्योतिषी जी बैठे हैं बंगाल में और उनके पास पंचांग है काशी का ,अब उस पंचांग के द्वारा जो फल निकला जायेगा ,उसमें इष्टकाल निसंदेह अशुद्ध ही तैयार होगा | यह ध्यान रखने वाली बात है कि जिस स्थान में जन्म हुआ है ,उस स्थान का शुद्ध पंचांग ही पास में होना चाहिए | विस्वविजय पंचांग दिल्ली के अक्षांश -देशांतर पर बना है।,इस कारण बंगाल में बैठे ज्योतिषी के पास भी वो ही पंचांग होना चाहिए |
--यदि बालक का जन्म -स्थल दिल्ली है ,तो विश्वविजय पंचांग में देखें कि सूर्योदय का समय क्या था ? सम्वत -2015 सन 1958 के पंचांग का पृष्ठ 51 वां खोलकर देखेंगें ,तो पायेंगें कि 23 सितम्वर को सूर्योदय 6 बजकर 15 मिनट पर हुआ था | जहाँ कोई शुद्ध पंचांग उपलब्ध न हो,वहां किसी अन्य स्थल के पंचांग से शुद्ध सूर्योदय निकालने का प्रयास करना चाहिए | अभीष्ट स्थान का सूर्योदय निकालने की विधि पंचांग में दी हुई होती है |
----पाठकगण -इस बात को एकबार फिर जान लें कि जन्म -कुण्डली के प्रत्येक घर में एकेक मास रहकर सूर्य 12 मास में एक चक्र पूरा करता है | चूंकि सूर्य एक पूर्ण वृत्त -360 अंश --365 दिन अर्थात एक वर्ष में चलता है ,अतः प्रतिदिन लगभग एक अंश चलता है | इसलिए जन्म -कुण्डली का प्रत्येक घर 30 अंशो की अवधि का द्योतक है | यही कारण है कि सूर्य एक मास में एक घर घूम लेता है | ---अगले भाग में कुछ और ज्योतिष का विवेचन करेंगें | भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
