ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

मेरी चाची इतनी ताकतवर कैसे हुई - प्रकाश डालना चाहता हूँ --पढ़ें भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ



---मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ-----

मेरी चाची इतनी ताकतवर कैसे हुई --इस पर प्रकाश डालना चाहता हूँ |
मेरा समाज चाहे शिक्षा हो ,संस्कार हो ,रोजगार हो या फिर उन्नतिशील --ऐसा कुछ भी नहीं था ऐसा आज भी नहीं है | सिर्फ है तो नाम बड़े और दर्शन छोटे --झंझारपुर शहर था आज भी है | --अस्तु --मेरे समाज में गिने चुने चार लोग धनाढ्य थे | इसमें एक मेरे दादा भी थे ,उनके सात पुत्र हुए ,मेरे पिता पांचवें और चाची छठे नंबर | मेरे दादा बैद्य थे प्रख्यात थे और समाज में उनका अस्तित्व था --जब मैं 8 वर्ष का था तभी दादाजी चल बसे | सातो पुत्र अनपढ़ और रोजगार विहीन हो गए | कुछ जमीन चाचा ने छीन ली --सभी सातों पुत्रों को जमीन जायदाद दादा ने अपने सामने बाँट दी | मेरे पिता को एक बंजर भूभाग मिला था --वहां रहने को कहा था- जिस पर आज भी हमलोग हैं | मेरे पिता मल्ल युद्ध में दक्ष और प्रवीण थे --दादाजी के अंगरक्षक सदा रहे थे | उस बंजर भूमि को शारीरिक श्रम से सुन्दर बनाया मेरे पिता ने | हमारे चाचा अनपढ़ तो थे ही लाडले भी थे इसलिए दादा के साथ रहते थे |--दादा के देहावसान के बाद जो जमीन थी उसे बेचकर गुजारा किये | गरीबी और अनपढ़ता की वजह से भिक्षाटन से गुजारा करने लगे | चाची का सत्संग एक ऐसे व्यक्ति से हुआ जो राज्य सभा सांसद का चाकर था | एक रात रंगे हाथ समाज के लोगों ने देख लिया -उसी समय घर में आग लगा दी | घर तो जल गया चाची बच गयी | इसके बाद जो काम छुपके होता था --वो सबके सामने होने लगा | उस व्यक्ति ने चाची का संपर्क एक वकील से कराया -अब पुलिस का भी रोल शुरू हो गया | अब समज में एक ही काम था जो बोले उसे जेल में डाल दो | मैं बहुत छोटा था एवं गांव से 1981 में ही चला गया था | चाचा रोज भिक्षाटन से अच्छा कमा लेते थे | सारा धन चाची उड़ाने लगी और -कभी थाना तो कभी वकील साहब के साथ तो कभी लोगों के साथ रमन करती रही --सारा समाज मूक दर्शक बनकर देखता रहा | एक सरकारी साहब थे सबसे पहले इनसे युद्ध शुरू हुआ --बहुत ही धनाढ्य ,संगठित परिवार था पर नाको चने चबा दिए --चाची ने -हार मान ली अमीन साहब ने बदले में जमीन भी देनी पड़ी | इसके बाद नंबर चार ताऊ के नाको चने चबा दिए --कारण दोनों का घर आमने सामने था --चाची से जो मिलने वाले आते थे --वो ताऊ देख लेते थे --अतः ताऊ भी बर्बाद हो गए अंत में घर छोड़कर बहुत दूर चले गए | इसके बाद उस परिवार में मेरे पिता धनिक थे --पहले तो कभी राशन तो कभी कपडे तो कभी व्याज पर पैसे लिए चाची ने देना तो दूर --वकील जो मुस्लिम था ,सहायक जो कियोट {धानक }था ,--पुलिस का पता नहीं सभीने उकसाया -और पिता से लड़ाई शुरू हुई | मेरी माँ ठीक होती तो शायद 24 मुकदमें नहीं होते पर अन्दर ही अन्दर देनी -लेनी चलती रही | हम भी कमाते थे ,माता पिता की आय बढियाँ थी ,अनुज की कमाई भी अच्छी थी ,दीदी के पैसे भी बहुत चाची ने खा लिए | जब मुझे यह ज्ञात हुआ तो हमने समझौता करना उचित समझा --50000 देकर | पर मुझे तो अपनों ने ही मारा --इसलिए चाहकर भी अपनी हिफाजत नहीं कर सका और अलग रहने में ही भलाई समझा | किन्तु --दुनिया को समझना इतना सरल नहीं होता है | मेरे परिजन मेरे ही पीछे पड़ गए | -जिनका उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"


  भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"



----यम द्वितीया ---------------------------
-------कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करना चाहिए। जानिए यमराज के पूजन का महत्वपूर्ण मंत्र -----------
------यम पूजा के लिए : ------------------
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।

पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
----------यमराज को अर्घ्य के लिए -----------
एह्योहि मार्तंडज पाशहस्त यमांतकालोकधरामेश।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
-----------भाई दूज --------------------------------------:
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाईदूज पर्व मनाया जाता है ।
भाईदूज के दिन बहनों को अपने भाइयों को आसन पर बैठाकर उसकी आरती उतारकर एवं तिलक लगाकर उसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन अपने हाथ से बनाकर खिलाना चाहिए।
-----भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को द्रव्य, वस्त्र, स्वर्ण आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
-----इस दिन भाई का अपने घर भोजन न करके बहन के घर भोजन करने से उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ एवं सुख की प्राप्ति होती है।
-------भाई दूज पर्व की पौराणिक कथा --------
सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा।
----तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए।
----ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं, उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
---चित्रगुप्त पूजा ----------------
भैयादूज के दिन चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। यमराज के आलेखक चित्रगुप्त की पूजा करते समय यह कहा जाता है- लेखनी पट्टिकाहस्तं चित्रगुप्त नमाम्यहम् ।
वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त का पूजन लेखनी के रूप में किया जाता है।
---चित्रगुप्त की प्रार्थना के लिए --
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।----------- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...