भचक्र में स्थित 12 राशियों के समस्त राशि -मंडल को एक बृहत् -विराट -काल पुरुष मानते हुए मेष को सिर ,वृष को मुख ,मिथुन को बाहु तथा गला या वक्षस्थल ,कर्क को हृदय ,सिंह को कांख या पेट ,कन्या को पेट का नीचे का भाग कटि -कमर -तुला को वास्ति तथा जनेन्द्रिय ,वृश्चिक को गुदा ,धनु को कूल्हे तथा जांघ ,मकर को घुटने , कुम्भ को पिंडिलिया और मीन को पैर माना है | यह शरीर के बाहरी अवयवों का विभाग है |
----भीतरी अवयवों पर 12 राशियों का क्रमशः निम्नलिखित प्रकार से अधिपत्य है ---
---1 --मेष --मस्तिष्क --दिमाग
--2 ---वृष ---कंठ की नली
--3 ---मिथुन --फेफड़े --स्वास की नली
--4 --कर्क --पाचन -शक्ति
--5 --सिंह --हृदय --दिल
--6 --कन्या --अंतरिया -पेट के भीतर का निचला भाग
--7 --तुला --गुर्दे
--8 -वृश्चिक ---मूत्रेंद्रिय ,जनेन्द्रिय
--9 --धनु --स्नायु -मंडल तथा नसें जिनमें रक्त प्रवाहित होता रहता है |
--10 --मकर --हड्डियां तथा अंगों के जोड़
--11 --कुम्भ ---रक्त तथा रक्त प्रवाह
--12 -- मीन --- शरीर में सर्वत्र कफोत्पादन
नोट --जन्म के समय जिस राशि में शुभ ग्रह होते हैं ,शरीर का वो भाग पुष्ट होता है ,जिस राशि में पाप ग्रह होते हैं ,शरीर का उससे सम्बंधित भाग कृष ,रोगयुक्त ,बृणाङ्कित व पीड़ित होता है | --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com
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