ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शनिवार, 4 नवंबर 2023

अब यह कथा एक किताब का प्रारूप ले चुकी है --पढ़ें - भाग -67 ज्योतिषी झा मेरठ


 



मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -67 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी आत्मकथा -मेरा कल आज और कल में हमने जीवनी रूपी कथा सुनाई है | अब यह कथा एक किताब का प्रारूप ले चुकी है | जो आगे चलकर किताब छपेगी और जन -जन तक पहुंचे यही सोच है | आज मैं उन बातों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ जो वास्तविक होते हुए भी सच बहुत दूर होता है | भगवान का प्रसाद भले ही पुजारी की समझ में न आये पर भक्तों के लिए अमृत होता है | हॉस्पिटल में रोगी को भले ही देखने बहुत लोग जाते हों पर दर्द का अहसास सिर्फ दर्द वालों को ही होता है | ज्योतिष की जानकारी भले ही सभी रखते हों पर योग का अबलोकन सिर्फ मर्मज्ञ ज्योतिषी ही कर सकते हैं | --अस्तु --मेरे पिता धन की कामना न करते हुए सिर्फ मुझे शिक्षाविद देखना चाहते थे बाल्य काल में यही वो नींव थी जो मुझे आजतक निरन्तर पढ़ने पर मजबूर करती है | बाद में समय बदला तो सभी बदल गए पर आजतक मैं स्वयं नहीं बदल सका इसलिए आज भी अधूरे हैं | मेरे जीवन में बहुत सी बातें अनुभव करने योग्य हैं --दूर के लोग बहुत सम्मान देते हैं किन्तु जहाँ रहता हूँ वो सबसे ज्यादा तिरस्कार करते हैं | मेरे ज्ञान के मुरीद बहुत से लोग हैं पर अपने परिवार में आज भी मैं वैसा ही दीखता हूँ जैसा बाल्यकाल में था | मेरे आलेखों को दूर देश में रहने वाले बड़े ही श्रद्धा से पढ़ते हैं किन्तु अपने पड़ौसी हों ,परिजन हों ,मित्र हों परिवार हो उन्हें पागल दिखता हूँ | मेरी ज्योतिषी से सभी को भी लाभ मिलता है --चाहे अपने हों या पराये जरुरत पर हम ही समझ में आते हैं --पर प्रभाव क्षणिक देर तक ही रहता है | --कर्मकाण्ड जगत में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसको लाभ न मिला हो उस व्यक्ति को उसकी कामना की पूर्ति अवश्य हुई है पर मेरे प्रति श्रद्धा तबतक रहती है जबतक वो व्यक्ति अपनी मंजिल तक न पहुंच जाय --फिर काहे के गुरूजी | मेरठ क्षेत्र में 1988 में आया था शिक्षा से परिपूर्ण था पर --दरिद्र योग चल रहा था तो जीविका के लिए मित्रों से सहायता लेनी पड़ी --पर मेरी सोच ये थी, मेरे द्वारा भी लोगों को काम मिले --जब राजयोग शुरू हुआ तो हम भी लोगों को कार्य देने लगे यह सोचकर की यह मेरा धर्म है | पर मैं जन्मजात न तो कर्मकाण्डी था न ही दान लेना ,मेरे हुए का खाना या मंदिर में रहना ये मेरी सोच में न था न है पर कहते हैं | दान लेने वाले से देने वाले महान होते हैं --अतः मैं तो एक पत्रकार या शिक्षक या फिर उत्तम दर्जे का ज्योतिषी बनना चाहता था --जो किसी पर आश्रित न हो सिर्फ भगवान पर आश्रित रहे | यही सोच मुझे नेट की दुनिया में आने का कारण है | -इस राह में जो दूर देश में रहते हैं उन्हें मैं विभद्र व्यक्ति दीखता हूँ | जो मेरे परिजन हैं या पड़ौसी हैं उन्हें या तो ठगने वाला दीखता हूँ या एक साधारण सा पण्डित | इन तमाम बातों का मुझपर कभी भी कोई फर्क नहीं पड़ा --मुझे जो करना है वो ईस्वर को साक्षी मानकर चलता हूँ --वही मेरे प्रेरणा के श्रोत हैं --यही वो आशीष है जो मेरे अडिग स्तम्भ है | ऐसा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होता है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार पर अडिग रहना चाहिए ---अब आगे के भागों में यही दिखाना चाहता हूँ --व्यक्तिगत जो खूबी व्यक्ति में होती है उसे सिर्फ व्यक्ति ही जनता है --परिजन भी नहीं जानते है ---आत्मकथा की अगली बात को --आगे के भाग में पढ़ने हेतु लिंक पर पधारें - https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

कनकधारा स्त्रोत्र सुनें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


 दोस्तों -हमें हिन्दी भाषा शुद्ध -शुद्ध लिखनी या बोलनी आज भी नहीं आती है | हिन्दी भाषा सीखने के लिए मैं किसी कक्षा में नहीं गया बल्कि लोग ,पत्रिका ,अख़बार में क्या और किस प्रकार से लिखते या बोलते हैं --इस प्रक्रिया से हिन्दी सीखने का प्रयास किया था | --इसी प्रकार से बहुत सी सुतियाँ हमें याद नहीं थी तो अपने बालक को सिखाते -सिखाते ही हमने याद किया मेरी उम्र थी -48 वर्ष ,साथ ही पिता होने के नाते विद्या का प्रचार और प्रसार करना भी शिक्षक का धर्म होता है तो सुनें कनकधारा स्तोत्र भाषा संस्कारित है --रचनाकार स्वयं श्री आदि शंकराचार्य हैं | 


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2010 से -नेट की दुनिया में हमने जो कुछ भी लिखा या बोला था -पढ़ें - भाग -66 ज्योतिषी झा मेरठ


 


" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -66 ज्योतिषी झा मेरठ

2010 से -नेट की दुनिया में हमने जो कुछ भी लिखा या बोला था --वास्तव में मुझे यह आभाष नहीं था कि मैं शुद्ध बोल रहा हूँ या अशुद्ध साथ ही तनिक सी भूल हमें लाभ से वंचित कर देगी | 2014 तक नेट भारत में कम विदेशों में प्रयोग ज्यादा करते थे ,साथ ही नेट पर हिन्दी भाषा के प्रति विदेशों में जो भी भारतीय थे --वो सुनते भी थे पढ़ते भी थे | स्काइप पर वीडियो कॉल की फ्री सुविधा थी --इसका लाभ सभी उठाते थे --इस स्काइप पर एक महिला जो पाकिस्तान में थी रहने वाली लखनऊ की थी --उन्हौने पहला वीडियो कॉल की | हमने उन्हें फ्री सेवा दी | मेरी समस्त गलतियों को न देखते हुए लोग मेरे आलेखों को पढ़ते रहे ,फ्री सेवा लेते रहे और सुझाव भी देते रहे | हमने अपने जीवन काल में किसी से कभी कुछ बताने के लिए नहीं कहा न ही नेट का बेसिक ही सीखा --पागलपन सवार था --बहुत प्रख्यात होना था भले ही धन बहुत मिले या न मिले --सम्मान बहुत मिले ,बहुत से लोग हमें जानें --यही उत्कंठा से लिखता गया ,बोलता गया | जब 2019 का दिसम्बर ,मास आया तो एक व्यक्ति श्रीसुदर्शन कर्दमजी माले गांव महाराष्ट्र से ज्योतिष की जानकारी लेनी चाही --हमने कहा अब फ्री सेवा बन्द हो चुकी है ,शुल्क 1100 देकर सेवा मिल सकती है | उन्होनें कहा आपका एक वीडियो जो कनकधारा स्तुति है उसे युटुब से 2011 से निरन्तर सुन रहा हूँ और पाठ भी कर रहा हूँ --आज मेरे मन में जिज्ञासा उठी ज्योतिष की जानकारी करने की तो हमने फोन किया है | स्वयं उनका कॉलेज था | बहुत पूजा पाठ कराते थे | मैं कहीं से कहीं तक उनके योग्य नहीं था --पर बोले आपकी स्तुति के शब्द मुझे मोह लेते हैं | अतः उन्हौनें पैसे दिए --हमने जन्मपत्री देखी ,निदान बताया --उन्होनें कहा पूजा आपसे ही करानी है | हमने बहुत कहा आप वहीँ अपने किसी पण्डितजी से करायें --मेरी सेवा महंगी है | बोले पूजा तो आपही करोगे | एक लाख रूपये उनके खर्च हुए मेरठ आये सपरिवार पूजा करायी ,हमने यथा संभव सत्कार करने का प्रयास किया | यहाँ एक शब्द कहना चाहता हूँ --वृथा न होहि देव रिषि वाणी --जो ऋषि -महर्षियों ने बाते कहीं हैं -वो विस्वास करने पर सटीक उतरती हैं --मुझे कनकधारा स्तुति की जानकारी बाल्यकाल से थी पर याद हमने 2011 में किया और युटुब पर डाला तो माँ लक्ष्मी की मुझ पर भी कृपा होनी थी सो 2020 में जब करोना काल था तो यही धन मुझे जीने का सहारा बना | इस कनकधारा स्तुति को मैं अपने बालक को भी कंठाग्र कराया -2018 में | कभी -कभी लोग कहते हैं -फ्री में बता दो या पंडितजी बहुत पैसे लेते हैं ----इसका एक उदहारण देना चाहता हूँ --आज मैं 53 वर्ष का होने वाला हूँ -करीब -करीब 11 वर्ष का था तब से कर्मकाण्ड कराता आ रहा हूँ ,2010 से 18 /02 /2019 तक फ्री ज्योतिष की सेवा एकबार देने की कोशिश की है | बहुत से ऐसे यजमान रहे -जिनके पिता +पुत्र के लिए बहुत से निःशुल्क कार्य किये पर --आजतक किसीने यह नहीं कहा होगा निःस्वार्थ --पण्डितजी -यह धन रखलो ,अपनी पसंद की एक चादर ले लो ,यह मिठाई अपनी पसन्द की खा लेना ,या कुछ अपने योग्य ले लो , सिर्फ अगर कहा है या दिया है तो वो चीज जिसके द्वारा उनकी भलाई होगी और किसी ग्रह के दोष से मुक्त होंगें --यही वो शब्द या बातें हैं --जो फ्री देने से बाध्य करते हैं | आज के समय में चूल में उलझने पर सत्कार होता है अन्यथा भगवान की सत्ता को भी दिल से न स्वीकार करें | आगे परिचर्चा अगले भाग में करूँगा
खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

धनतेरस यानि "भगवान धन्वंतरि" के दिन क्या करें -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 धनतेरस यानि "भगवान धन्वंतरि" के दिन क्या करें -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ



धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए *धनतेरस* का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या?

---दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परंतु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।
--एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन मे यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।
-धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।-------ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...