कुम्भ राशि --इस राशि वाले व्यक्ति का शरीर ऊंचा ,अवयव बड़े ,चेहरा सुन्दर ,प्रेम तरंगी ,पापरत ,विद्या व्यवसायी ,कुटिल युक्तिकार ,प्रतिभाशाली ,परस्त्री बन्धनप्रिय ,सुगन्धित पदार्थों का अनुरागी ,जुआरी ,कठोरात्मा ,बन्धुओं से पृथक होता है |
--उक्त राशि वाला व्यक्ति बहनों से टंटा करने वाला ,सतत धन -संपदा का अभाव और अधिवाक्य का अनुभव करने वाला ,अल्पतम कारणों से असंतुष्ट रहने वाला ,न्यून संगति वाला ,कभी -कभी बेतुके सारहीन कार्य कर बैठने वाला ,कोमल और दुर्बल मानस तथा स्पर्धाशील होता है | धनिष्ठा के दो चरण ,शतभिषा और पूर्वाभाद्रपद के तीन चरण इस राशि में होते हैं | आचार्यों का अभिमत है कि उक्त राशि और नक्षत्र का व्यक्तिगत कृपण ,धन से सम्पन्न और प्रदेश में जाकर रहने वाला होता है |
---पूर्वाभाद्रपद के फल आयाम पर विद्वान कहते हैं कि जातक सभाओं में बोलने वाला ,सुखी ,संतान से युक्त ,अधिक सोने वाला और निष्क्रिय होता है | विषुवत रेखा से दक्षिण में 20 डिग्री से 12 डिग्री तक इसका स्थान नियत है |
--यह मूल संज्ञक राशि है | इसकी अभिष्ट दिशा पश्चिम है | यह स्वामी भक्ति और सुज भक्ति की परिचायक है | क्रूर ,शांत ,गंभीर ,वासना -पुंज और वायु तत्व है | दिन में बली रहती है ,इसकी जाति शूद्र है ,विषम है ,लंपट है --इससे पिंडली -जांघों -का विचार किया जाता है | यह सामाजिक प्राणी होता है | कुछ अन्य विद्वानों ने इस राशि को विचारशील ,धर्मभीरु और नवीन बातों का अविष्कारकारक ,कलाकार ,सफल शिल्पी ,कवि और नाट्यकार भी कहा है | --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

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