दोस्तों --आज मैं अपनी आत्मकथा में जो कुछ कहना चाहता हूँ वो सत्य होते हुए भी असत्य सा प्रतीत होता है | ऐसा हर व्यक्ति के साथ होता है --ऐसी स्थिति में मेरा अनुभव है -केवल गुरु ही हर व्यक्ति का सही मार्गदर्शन कर सकते हैं --जिसपर भारत भूमि पर सबसे विशेष मतान्तर देखने को मिलता है | हर व्यक्ति का प्रथम गुरु माता पिता होते हैं किन्तु इनका लाभ आज के समय में बहुत कम लोगों को मिल पाता है --इसका कारण है सही शिक्षा और सही अनुभव --इन कसौटी पर बहुत से माता पिता खड़े नहीं उतरते हैं --जिसका परिणाम यह होता है केवल तार्किक बुद्धि जो संतान और माता पिता के बीच सही सेतु का काम नहीं करती हैं | --दूसरा उदहारण जो माता पिता से भी बड़े होते हैं -मार्गदर्शन देने वाले सदगुरु -जिनका केवक सार्थक प्रयास यह होता है -सही शिष्य का निर्माण करना -जिसमें लोभ ,अर्थ काम ,मद और मोह से पड़े बनाना | यह मार्ग बड़ा ही कठिन होता है -सबसे पहले गुरु त्याग करना सिखाते हैं -केवक एकबार कह देने से शिष्य गुरु के लिए सबकुछ समर्पित कर देता है | इस संसार में धन हो, मन हो या फिर सांसारिक वस्तु इन्हें छोड़ना सहज नहीं होता है -अगर कोई छोड़ता है तो सिर्फ डर के कारण डर न हो तो काहे का दान ,काहे का त्याग सबकुछ मेरा है --ऐसी स्थिति में सिर्फ विवेक ही काम आता है -जिसपर केवल गुरु की कृपा से ही विवेक संभव है जो आज सबसे असंभव है | अस्तु --हम वैसे एक निम्न परिवार से आते हैं किन्तु मेरे पिता दक्षिणा अवश्य चढ़ाते थे किसी भी मन्दिर में यह सत्संग पिता का मेरे जीवन में केवल 13 वर्ष तक ही रहा | मेरा 13 वर्ष से 29 वर्ष तक का जीवन अति दरिद्र योग में बीता किन्तु -गुरुजनों के सत्संग से हमने यह अनुभव किया धन दान करने से धन अवश्य मिलता है | अतः अमीर बनने का सबसे बड़ा सपना था पर गरीबी चरम सीमा पर थी फिर भी जो भी धन दान में मिलता था उसे हमने किताब खरीदने पर या दान -यज्ञ करने पर लगाया --यह मेरा परम विस्वास था -जबकि गुरुजनों का सत्संग तो जब हम -18 वर्ष के हुए तभी छूट चूका था | पर आत्म विस्वास से लबालव था --मुझे धन दान देने में आनन्द आता था ,कभी गम नहीं होता था | आगे चलकर कई यजमान मेरे रहे जिन्होनें हमारा धन खा गए पर हम कभी मांगने नहीं गए | जब भी हम धन से या मन से दुःखी हुए तो किसी व्यक्ति के पास नहीं गए --उस परमात्मा भोलेनाथ के पास गए जो सबके दाता हैं --उन्होनें कईबार उठाया | मुझे कईबार लगा अब आगे नहीं बढ़ पायेंगें पर भोलेनाथ ने खुद उठाया -इस संसार में सबसे ज्यादा अपनों ने ही गिराया --चाहे सगे -सम्बन्धी हों या शिष्य सबने अपना -अपना भरपूर लाभ उठाया --जब तक लाभ नहीं मिला गुरूजी थे ,अपने थे ,सर माथे पर थे पर लाभ मिलते ही काहे के गुरु --पर फिर भी हमने याचना न तो अपनों से की न ही शिष्यों से --अगर याचना की तो सिर्फ भोले नाथ से और मानों मेरे साक्षात् गुरु के रूप में मार्ग भी दिखते हैं और लाज भी बचाते हैं | --अगले भाग में कुछ और बातों का जिक्र करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
शुक्रवार, 1 अगस्त 2025
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -110 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों --आज मैं अपनी आत्मकथा में जो कुछ कहना चाहता हूँ वो सत्य होते हुए भी असत्य सा प्रतीत होता है | ऐसा हर व्यक्ति के साथ होता है --ऐसी स्थिति में मेरा अनुभव है -केवल गुरु ही हर व्यक्ति का सही मार्गदर्शन कर सकते हैं --जिसपर भारत भूमि पर सबसे विशेष मतान्तर देखने को मिलता है | हर व्यक्ति का प्रथम गुरु माता पिता होते हैं किन्तु इनका लाभ आज के समय में बहुत कम लोगों को मिल पाता है --इसका कारण है सही शिक्षा और सही अनुभव --इन कसौटी पर बहुत से माता पिता खड़े नहीं उतरते हैं --जिसका परिणाम यह होता है केवल तार्किक बुद्धि जो संतान और माता पिता के बीच सही सेतु का काम नहीं करती हैं | --दूसरा उदहारण जो माता पिता से भी बड़े होते हैं -मार्गदर्शन देने वाले सदगुरु -जिनका केवक सार्थक प्रयास यह होता है -सही शिष्य का निर्माण करना -जिसमें लोभ ,अर्थ काम ,मद और मोह से पड़े बनाना | यह मार्ग बड़ा ही कठिन होता है -सबसे पहले गुरु त्याग करना सिखाते हैं -केवक एकबार कह देने से शिष्य गुरु के लिए सबकुछ समर्पित कर देता है | इस संसार में धन हो, मन हो या फिर सांसारिक वस्तु इन्हें छोड़ना सहज नहीं होता है -अगर कोई छोड़ता है तो सिर्फ डर के कारण डर न हो तो काहे का दान ,काहे का त्याग सबकुछ मेरा है --ऐसी स्थिति में सिर्फ विवेक ही काम आता है -जिसपर केवल गुरु की कृपा से ही विवेक संभव है जो आज सबसे असंभव है | अस्तु --हम वैसे एक निम्न परिवार से आते हैं किन्तु मेरे पिता दक्षिणा अवश्य चढ़ाते थे किसी भी मन्दिर में यह सत्संग पिता का मेरे जीवन में केवल 13 वर्ष तक ही रहा | मेरा 13 वर्ष से 29 वर्ष तक का जीवन अति दरिद्र योग में बीता किन्तु -गुरुजनों के सत्संग से हमने यह अनुभव किया धन दान करने से धन अवश्य मिलता है | अतः अमीर बनने का सबसे बड़ा सपना था पर गरीबी चरम सीमा पर थी फिर भी जो भी धन दान में मिलता था उसे हमने किताब खरीदने पर या दान -यज्ञ करने पर लगाया --यह मेरा परम विस्वास था -जबकि गुरुजनों का सत्संग तो जब हम -18 वर्ष के हुए तभी छूट चूका था | पर आत्म विस्वास से लबालव था --मुझे धन दान देने में आनन्द आता था ,कभी गम नहीं होता था | आगे चलकर कई यजमान मेरे रहे जिन्होनें हमारा धन खा गए पर हम कभी मांगने नहीं गए | जब भी हम धन से या मन से दुःखी हुए तो किसी व्यक्ति के पास नहीं गए --उस परमात्मा भोलेनाथ के पास गए जो सबके दाता हैं --उन्होनें कईबार उठाया | मुझे कईबार लगा अब आगे नहीं बढ़ पायेंगें पर भोलेनाथ ने खुद उठाया -इस संसार में सबसे ज्यादा अपनों ने ही गिराया --चाहे सगे -सम्बन्धी हों या शिष्य सबने अपना -अपना भरपूर लाभ उठाया --जब तक लाभ नहीं मिला गुरूजी थे ,अपने थे ,सर माथे पर थे पर लाभ मिलते ही काहे के गुरु --पर फिर भी हमने याचना न तो अपनों से की न ही शिष्यों से --अगर याचना की तो सिर्फ भोले नाथ से और मानों मेरे साक्षात् गुरु के रूप में मार्ग भी दिखते हैं और लाज भी बचाते हैं | --अगले भाग में कुछ और बातों का जिक्र करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
-
ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
-
ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
-
ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
-
ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
-
ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
-
ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
-
ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
-
ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
-
ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
-
ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...
