ज्योतिष के ज्ञान दाता "गुरु -ग्रह "पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"
ज्योतिष के ज्ञान दाता गुरु-ग्रह सभी सभी ग्रहों से विशाल है । गुरु का आकार पृथ्वी से एक हजार गुना से भी अधिक -1312 गुना है । इसका ऒसत व्यास पृथ्वी से 11 गुना {1 . 41 . 900 कि०मी०}और द्रव्यमान 318 . ४ गुना है । परन्तु इसका औसत धनत्व पृथ्वी की अपेक्षा केवल एक चौथाई {केवल 1 . 33 ग्राम प्रति वन से० मी० }है । इसका द्रव्यमान समस्त ग्रहों का 71 प्रतिशत और आयतन शेष अन्य ग्रहों के आयतन की तुलना में डेड़ गुना है । -----अस्तु -----गुरु अपनी धुरी पर 9 घंटे 55 मिनट में एक चक्कर लगा जाता है । गुरु पृथ्वी के 4 . 333 दिनों या 11 . 86 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है । पुराणों के अनुसार यह अंगिरा पुत्र है । अंगिरा ऋषि की संज्ञा ब्रह्मा ही मानते हैं । ब्रह्मा के तुल्य ही अंगिरा महान विचारक ,मननशील ,उदार चरित्रवान ,परोपकारी और मेधावी मुनि थे । उन्हीं के सदृश उनके पुत्र गुरु हुए और उन्हें भी वो ही सम्मान और प्रतिष्ठा मिली । देवताओं ने अपना मार्गदर्शक ,शुभचिंतक और आचार्य उन्हें ही स्वीकारा । गुरु विद्या और बुद्धि के भंडार ,सुख -सौख्य के दाता हैं और प्रतिभा के सिद्ध और प्रसिद्ध ग्रह है । गुरु ग्रह सुवह में बलवान ,पुरुष -संज्ञक ,शुभ फल प्रदाता ईशान दिशा का स्वामी ,ब्राहण वर्ण ,पीत रंग ,द्विपद जीवों के स्वामी ,गोल आकार मनुष्यादि - जीवों का अधिपति ,वाणिज्य कर्मों का कर्ता ,मधुर -प्रिय ,देवालय स्वामी ,वृद्धावस्था ,सुन्दर रत्नों का स्वामी ,वात -पित्त ,कफात्मक प्रवृत्ति ,सतोगुणी आदि दिव्याकृति गुरु का स्वरुप है । गुरु अतिबलशाली और शुभ माना जाता है । यह सुख -समृद्धि ,सम्पदा और प्रतिमा का अधिष्ठात्री ग्रह माना जाता है । सम दृष्टि वाला गुरु ग्रह 5 और 9 भावों को अपनी पूर्ण दृष्टि से देखता है और लग्न में अधिक बलवान माना जाता है । इसका प्रतिनिधि पशु अश्व है । इसका स्वभाव उदार ,सिद्धांतवादी ,जिज्ञासु नेतृत्वकर्ता ,उच्चाभिलाषी ,दृढ प्रतिज्ञ एवं शांति मूलक है । इसके द्वारा शारीरिक रोग ,मंदाग्नि ,अतिसार ,सिरदर्द ,क्षय ,मानसिक रोग ,नेत्र विकार ,उदासी की जानकारी की जाती है । गुरु ग्रह से संदेह ,अपमान ,और कलह आदि की जातक की जानकारी की जाती है । साथ ही पिता से सम्बन्ध का विचार किया जाता है । गुरु ग्रह को ह्रदय की शक्ति का कारक भी माना जाता है । ---गुरु -लग्न में बैठा हो तो बली होता है और यदि चन्द्रमा के साथ कहीं भी बैठा हो तो चेष्टाबली होता है । यह शुभ ग्रह है । इसके द्वारा पारलौकिक एवं आध्यात्मिक सुखों का विशेष विचार किया जाता है । आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें --------https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई
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