ज्योतिष का "केतु-ग्रह "पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ
-----ज्योतिष जगत में कभी सात ही ग्रह थे और सप्तवार आज भी हैं किन्तु राहु -ग्रह और केतु ग्रह के प्रादुर्भाव होने से नव ग्रह बन गए साथ ही राहु और केतु के स्वभाव और प्रभाव में प्रायः यथाबत समता है । ---अस्तु ----इसके माता+पिता भी वही जो राहु के हैं । केतु -ग्रह का तामसी और तमोगुणी स्वभाव ,मलीन रूप ,आचारहीन ,और अशुभ ग्रह है । वर्णशंकर जाति का है और शास्त्रों का अधिनायक है । यह कृष्णवर्ण दक्षिण दिशा का स्वामी एवं क्रूर ग्रह है । केतु -ग्रह से किसी भी जातक की कुण्डली से नाना ,हाथ -पांव ,क्षुधाजनित{पेट सम्बंधित } कष्ट एवं चर्मरोगादि की जानकारी की जाती है । यह गुप्त -शक्ति ,बल ,कठिन कर्म ,भय ,तथा काम क्षेत्र का कारक है । कुछ स्थितियों में केतु शुभ ग्रह भी माना जाता है क्योंकि छाया कारक ग्रह होने के कारण जिसके साथ होता है वैसा ही फल भी देता है ।---आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें - https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut |आपका -
ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें