"ज्योतिष " की शोभा रत्न होते हैं --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
"ज्योतिष " की शोभा रत्न होते हैं !"
"{काव्य शोभा करान धर्मान अलन्कारान प्रचक्षते }"=
मित्र बन्धु गण -संसार में सादगी किसी को पसंद नहीं आती है-[सिवा -संतों के
]-घर हो किन्तु अलोकिक हो यह सभी चाहते हैं ,रूप हो- परन्तु मनोहारी हो ?-
संसार की कोई भी वस्तु हो हमलोगों की कामना यही रहती है ,कि दिव्य हो
?-कुछ लोगों को ऊपर वाले की कृपा से अच्छी वस्तु प्राप्त हो भी जाती है
||आईये-संस्कृत साहित्य के रचनाकार भी "साहित्य दर्पण" नामक रंथ की रचना की
और उन्होंने भी भी यही कहा -की अलंकार के बिना काव्य की भी शोभा नहीं
होती है | आप चाहे कितने भी सुयोग्य है -किन्तु सुन्दरता के विना अधूरे हैं
||
भला इस स्थिति में -"ज्योतिष "की भी शोभा तो रत्न ही होंगें ,प्राचीन काल
में राजा महराजा लोग रत्न भव्यता के लिये धारण करते थे ,समय बदला हमलोग भी
बदल गये ,"ज्योतिष "बदली -और रत्न भी "ज्योतिष का अभिन्न अंग बन गए
||-वास्तविकता क्या है -हम अपने कृत्य कम का फल या तो "ज्योतिष "के द्वारा
जानते हैं या भोगते हैं ,प्रत्येक दंड का प्रायश्चित करना पड़ता है ,और
उसके लिये-सात्विक कर्म हमें करने चाहिए ,तभी हम सही होंगें या आने वाला
समय सही होगा ,परन्तु हमलोग-उस निदान की उपेक्षा करते हैं ,जो हमें
सुन्दरता तो
प्रदान करते हैं -किन्तु सत्य का प्रतीक नहीं है-आइये हम उस पथ पर चलने
की
कोशिश का संकल्प लें -हमें सुन्दर कर्म करने चाहिए -और यदि भूल हो भी जाये
तो -"तप" करने चाहिए
,आप रत्न जरुर पहनें ,किन्तु देखा देखी में नहीं -स्थिति के अनुरूप चलें
एवं अपने मित्रों को भी सुझाव दें|| हमलोग किसी भी कार्ज़ को करने से पहले
विचार नहीं करते हैं ,कुछ अपने शरीर को कष्ट दें एवं तप करें ||------प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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