ज्योतिष का कला दाता " बुध"पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ
सूर्य के अति समीप रहने वाला ग्रह बुध ही है । सूर्य के सान्निध्य के कारण बुध का प्रकाश प्रखर और प्रवल है किन्तु अपना अस्तित्व छिपाए रखता है । बुध सबसे छोटा ग्रह है ,सूर्य की परिक्रमा करने में बुध को केवल 88 दिन लगते हैं । बुध ग्रह वायु रहित ,सूर्योदय से पहले उदित होने वाला और सूर्यास्त के बाद अस्त होता है । ---बुध -उत्तर दिशा का स्वामी ,नपुंसक एवं त्रिदोषकारी है ,श्याम एवं हरे रंग वाला ,बहुभाषी ,कृष शरीर ,रजोगुणी ,पृथ्वीतत्व वाला ,पित्त व कफ प्रकृति वाला ,शूद्र जाति और स्पष्टवादी है --ये तमाम गुण इस राशि के जातक में विद्यमान होता है । जातक की जिह्वा ,कंठ ,तालु ,बुद्घि ,शिल्प ,विद्या ,और कला का विचार बुध से ही किया जाता है । यदि कुण्डली के प्रथम भाव को बुध पूर्ण रूप से देखता हो तो -जातक को व्यापर से अपार धन का लाभ होता है । किन्तु जातक को कुटुम्ब विरोधी स्वतंत्र विचारक ,हठी और अभिमानी भी बनाता है । यही प्रभाव दूसरे भाव कुण्डली में भी होता है । तीसरे भाव को देखने पर जातक को अत्यंत भाग्यवान ,प्रवासी ,सत्संगी फल से ओत प्रोत करता है । चतुर्थ भाव में जातक को राज्य से लाभ ,भूमि ,वाहन -सुख ,प्रकांड पंडित और पांचवे भाव में गुणवान ,शिल्पकार ,छठे भाव में वात रोगी ,कुकर्मी ,शत्रु पीड़ित और जीवन के अंतिम दिनों में धन संचित करने वाला बनाता है । सातवें भाव में हो तो व्यक्ति सुशील पत्नी वाला ,गणित विशेषज्ञ होता है । आठवें भाव में व्याकुल ,प्रवासी ,परिवार विरोधी ,अपयश भागी ,---नवें भाव में गायनप्रिय ,विलासी ,मातृद्रोही ,सुखभोगी ,दशवें भाव में कीर्तिमान ,ग्यारहवें भाव में -विद्वान ,कला -विशारद बनाता है । परन्तु जब बारहवें भाव को बुध देखता है पूर्णदृष्टि से तो व्यक्ति को अपंग ,निर्धन ,बुद्धि हीन और दूसरे के धन का लोभी भी बना देता है । -----सच तो कुण्डली का सही आकलन से ही जाना जा सकता है फिर भी चाहे कोई भी कुण्डली क्यों न हो बुध की स्थिति ऐसी होने पर फलादेश अवश्य मिलेगा परखकर देखें !---- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें ---------https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें