"ग्रहण के समय "सूतक" का विचार जानते हैं -पढ़ें ---ज्योतिषी झा मेरठ
--सूर्य ग्रहण में -12 घंटे पहले सूतक लगता है तथा "चन्द्र ग्रहण "में 09 घंटे पहले सूतक लगता है । ग्रहण के समय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक काल में भोजन ,शयन इत्यादि कर्म वर्जित हो जाते हैं ।इसका भाव -यह है कि ग्रहण के समय सौर मंडल में बहुत प्रदूषण होता है । इससे जड़ -चेतन सब प्रभावित होते हैं । समस्त प्राणी {जीव }भयभीत रहते हैं । प्राकृतिक दृश्य भी बदले -बदले से रहते हैं । बहुत से ज्योति-कणों प्रति सेकेण्ड सैकड़ों मील की गति से चलते हैं । ग्रहण के कारण रुक जाते हैं तथा कणों की छाया की तरह प्रतीत होने लगते हैं । भूमि पर इन कणों की छाया सी बन जाती है एवं थोड़ी ही देर में दिखने लगती है । ग्रहण के समय उन कणों का जीव के मस्तिष्क के कोमल तंतुओं पर जो प्रभाव पड़ता है --उससे प्राणी के आचार -विचार तथा स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है । इस भय से भोजन -शयन पर प्रतिबन्ध होता है तथा ग्रहण के पहले एवं बाद में नहाने की व्यवस्था है ।-- इस बात से लगता है हमारे ऋषियों ने कोई भी नियम कपोल -कल्पित नहीं बनाये हैं ।
--प्रेषकः ज्योतिष सेवा सदन {मेरठ -भारत }--ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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