ज्योतिष के न्याय कर्ता "शनि देव "पढ़ें
-ज्योतिषी झा "मेरठ
----ज्योतिष के न्याय कर्ता शनि ग्रह ब्रहस्पति ग्रह से आकार में कुछ छोटा है । आज के वैज्ञानिक शनि की आकृति पर मुग्ध हैं । आकाश और ज्योतिष का सबसे सुन्दर ग्रह बताया जाता है । ज्योतिषियों के मत से शनि ग्रह को देखने से आँखों को बड़ी शान्ति मिलती है । परन्तु शनि की यह वास्तविक शोभा और महिमा उसके आसपास के कंकड़ों से है अर्थात वलय यानि कंकड़ 10 मील मोटे और काफी चौड़े हैं । ये दूरबीन से ही दिखाई देते हैं । यह धुंधले प्रकाश वाला और मंद गति से चलने वाला शनि ग्रह है । यह लगभग साढ़े उन्नीस वर्ष में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है । सूर्य से इसकी औसत दूरी 88 करोड़ 64 मील है । ----शनि सूर्य का पुत्र है । सूर्य की दूसरी पत्नी छाया के उदर से उत्पन्न हुआ । चित्ररथ इसकी पत्नी है । काल और यम इसके भाई हैं । इसका रंग श्याम और असित है । बड़े -बड़े बलकारी और बलिष्ठ देवता भी शनि से संघर्ष और स्पर्धा करने से डरते हैं । शनिदेव जिससे प्रसन्न हो निहाल कर देते हैं और जिससे अप्रसन्न होते हैं उसका विनाश करके ही छोड़ते हैं । इनका स्मरण -अर्चना अगाध दुःख ,सघन आपत्ति ,घोर निराशा और असह्य विफलता में किया जाता है । दार्शनिक के प्राणाधार और सन्यासी के अनुराग कर्ता हैं । ऐश्वर्य के दाता भी हैं । किसानों का गौरव ,सर्वहारों का जीवन तथा मननशील मनुष्यों के सेतु हैं ।कठिन आपत्तियों में शनि दुःख हर्ता और जीवन का स्रोत्र हैं । -----शनि ग्रह नपुंसक जाति ,कृष्ण वर्ण ,पश्चिम दिशा का स्वामी ,वायु तत्व एवं वातश्लेष्मिक प्रकृति का है । इसके द्वारा आयु ,शारीरिक बल ,दृढ़ता ,विपत्ति ,प्रभुता ,मोक्ष ,यश ,ऐश्वर्य ,नौकरी ,योगाभ्यास,विदेशी भाषा एवं मूर्छा आदि रोगों का विचार किया जाता है । यदि जातक का जन्म रात्रि में हुआ हो तो यह माता -पिता का कारक होता है । -----शनि सप्तम स्थान में बली होता है तथा वक्री ग्रह अथवा चन्द्रमा के साथ रहने पर चेष्टाबली होता है । शनि क्रूर तथा पापग्रह है ,किन्तु इसका परिणाम सुखद होता है । यह मनुष्य को दुर्भाग्य तथा संकटों के चक्कर में डालकर ,अंत में उसे शुद्ध तथा सात्विक बना देता है ।आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें - --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- उपलब्ध है|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई

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