ज्योतिष जगत के "शुक्र ग्रह"पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ
ज्योतिष जगत में बुध के बाद शुक्र का स्थान है साथ ही बुध से शुक्र में एक भिन्नता भी है । शुक्र के ऊपर बादल बहुत धिरे रहते हैं । ये बादल सूरज का तेज उपने ऊपर लेकर वापस फ़ेंक देते हैं । अतः शुक्र सारे आकाश में अधिक देदीप्यमान {चमकदार }ग्रह के रूप में प्रकाशित होता है । शुक्र -सूर्य से 6 करोड़ 70 लाख मील प्रति सेकेण्ड की गति से चलकर 224 दिन में पूर्ण कर लेता है । इस समय यह पृथ्वी से केवल 20 000 00 मील पर स्थित है और जब भी यह पृथ्वी के निकट आता है ,तो प्रकाश पुंज बनकर अधिक जगमगाता है । शुक्र की चमक से या स्थिति से लोग -मंगल कार्य शुरू करते हैं । जब अस्त होता रहता है तो पृथ्वी निवासी अपने शुभ -मांगलिक कार्य नहीं करते हैं । शुक्र को शुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है । शुक्र को कला -प्रेमी एवं सौंदर्य का जनक माना जाता है । शुक्र -रस ,रूप और शक्ति का देवता है । शुक्र के निर्बल होने से पृथ्वी के लोग तेजोहीन ,शक्तिहीन और सौंदर्यहीन हो जाते हैं । शुक्र प्रेम और सौंदर्य का देवता माना गया है । शुक्र अनूठी एवं विलक्षण कला का निर्माण कर्ता है । शुक्र रजोगुणी और जीवसंज्ञक है ,तथा अपना फल 25 से 28 वर्ष की अवस्था में देता है । इसका जातक मेधावी और बुद्धिमान होता है । अस्तु ----शुक्र स्त्रीजाति ,श्याम गौरवर्ण ,दक्षिण दिशा का स्वामी ,कार्य कुशल तथा जलीय तत्व वाला है । यह कफ ,वीर्य आदि धातुओं का कारक माना जाता है । इसके प्रभाव से जातक के शरीर का रंग गेंहुआ होता है । यह काव्य -संगीत ,वस्त्राभूषण ,वाहन ,शैया ,पुष्प ,आँख ,स्त्री ,एवं कामेच्छा आदि का कारक है । शुक्र से ही जातक की चतुरता एवं सांसारिक सुख -सम्बन्धी बातों का विचार किया जाता है । यदि जातक का जन्म दिन में हुआ हो तो इसके द्वारा माता -पिता के सम्बन्ध में विचार किया जाता है । यदि शुक्र छठे स्थान में बैठा हो ,तो निष्फल होता है और यदि सातवें स्थान में हो तो अनिष्टकर होता है------ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें - --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut --- |आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई<

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