भारतीय मास कार्तिक और अंग्रेजी मास नवम्बर कैसे पड़ा पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
भारतीय मास कार्तिक का नामकरण कृतिका नक्षत्र के ऊपर पड़ा | ज्योतिष जगत में कृतिका नक्षत्र को तीसरा स्थान मिला किन्तु जब भारतीय मांसों की रचना हुई तो --कृतिका नक्षत्र के स्वामी अग्निदेव हैं | अग्निदेव के बिना सृष्टि का चलना असंभव है ये प्रत्यक्ष देवता जीवों के हैं ,साथ ही भगवान श्रीहरि कार्तिक मास में ही जागते हैं ,समस्त शुभ कर्मों की शुरुआत कार्तिक मास से ही होती है | अग्नि तीन जगह विद्यमान रहती है --जठराग्नि ,दावाग्नि और उदराग्नि ---अग्निदेव के बिना यज्ञ नहीं हो सकते ,अग्निदेव के बिना जीवों की उत्पत्ति नहीं हो सकती है ,अग्निदेव के बिना पाचन क्रिया नहीं हो सकती है --अतः ऐसे कार्तिक मास को भारतीय पंचांग में एग्यारहवाँ स्थान मिला | ---------अंग्रेजी मास नवम्बर --की उत्पत्ति की बात करें तो --नोवेम शब्द भी लैटिन शब्द है | इस मास को रक्त मास नाम से पुकारते हैं ,क्योंकि इसी मास में मुख्यतः पशु संहार किया जाता था पूर्वकाल में | अतः इस कारण से इस मास का नाम नवम्बर रखा गया | ---ध्यान दें -कोई भी भाषा हो --सभीने अपने यहाँ मासों की रचना में संस्कृति को वही स्थान दिया जो भारतीय पद्धति में दिया गया है | - -दोस्तों -इस पेज -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- में ज्योतिष से सम्बंधित नवीन{शास्त्र सम्मत } बातों का हलचल रोज होता है -जो आपको ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रति कुभाव को मिटाकर -श्रद्धा ,स्नेह और आस्था तो जगाता है ही -आप इस भारतीय सत्य धरोहर "ज्योतिष "से विमुख नहीं हो सकेंगें । आप चाहे बालक हों ,युवा हों ,अभिभावक हों या फिर ज्योतिषाचार्य सबके योग्य है ---यकीं नहीं आता तो इस पेज को अपनाकर देखें|

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