ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 18 सितंबर 2023

"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -1-ज्योतिषी झा मेरठ


 "मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -1-ज्योतिषी झा मेरठ

  भूमिका -----ॐ -------मेरे आराध्य पिता अब उपस्थित नहीं हैं --मुझसे मेरे पिता क्यूं महान हैं -जानना चाहेंगें तो -सुनिये ! मेरे पिता का लालन -पालन -दादाजी ने बड़े गर्व से किया | मल्ल युद्ध सिखाया और अपनी सुरक्षा हेतु सदा अपने इर्द -गिर्द रखा | जब हम जैसे नन्हें -मुन्ने आये तो लालन -पालन करने में बड़ी कठिनाई हुई क्योंकि समय बदल चुका था साथ ही दादाजी का साम्राज्य समाप्त हो चूका था | शिक्षा थी नहीं ,बाहरी दुनिया का पत्ता था ही नहीं -इसलिए मुझको शिक्षा विद बनाना ही मकसद था | पर धन होते हुए भी -धन चोर ले गए ,कुछ बाढ़ के कारण खेत वह गए- तो कैसे उत्तम शिक्षा पुत्र को मिले, यह सोचकर एक दिन एक संस्कृत आश्रम में मुझको छोड़ आये | पिता के आने के बाद उस आश्रम में सर्वप्रथम मुझको 50 लोगों का भोजन बनाने का काम मिला उम्र थी मेरी -13 वर्ष -क्योंकि मेरे पिता ने 500 रूपये शुल्क जमा नहीं किये थे |--जब हम थक जाते थे तो गायों को चराने का काम मिलता था ,जब हम फिर थक जाते थे तो सभी बर्तनों को सुबह -शाम मांजने का काम मिलता था | शिक्षा कम यातनाएं अत्यधिक थी ,जैसे -गायों को चराते -चराते मेरे पैरों में बरसात के समय बिना चप्पल होने के कारण तलवों में गड्ढे होने से असहनीय दर्द होता था फिर न तो दवाई मिलती थी न कोई पूछता ही था -तो हमने मरने का सोचा क्योंकि घर की दयनीय स्थिति जो लाचार थी और आश्रम में शुल्क नहीं देने के कारण तमाम कठिनाइयों को सहना ही एक रास्ता था |---1983 से 1988 तक इस आश्रम- नाम -श्री जगदीश नारायण बर्ह्मचर्या आश्रम लगमा जिला दरभंगा {बिहार }में रहा | यहाँ हमने रुद्राष्टाध्यायी ,लघुसिद्धांत कौमुदी ,शिशुबोध ,तर्कसंग्रह ,रधुवंश महाकाव्यम ,मुहूर्तचिन्तामणि ,ताजीकनीलकण्ठी ,मेघदूत ,अभिज्ञानशाकुंतलम ,गीता ,दुर्गासप्तशती ,शाम ,यजुर ,अथर्व और ऋग्वेद ,स्वास्थवृत्तम ,जैसे ग्रंथों के मन्त्रों और सूत्रों को कंठस्थ कर लिया भले ही किसी किसी मन्त्र का भाव नहीं समझा हो | --यहाँ मैं ये बताना चाहता हूँ कि कोई भी पिता अपने पुत्र को इतनी तकलीफ में नहीं देख सकते --आज मैं भी पिता हूँ पर अपने पुत्र को सुखद शिक्षा दे सकता हूँ दुःखद नहीं | --अतः मेरे पिता महान थे जो उन्होंने मुझको बनाया वो आज हम अपने पुत्र को नहीं बना सकते हैं | ----------- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


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