ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

मेरे पिता महान थे फिर भी कभी बनी नहीं क्यों- सुनें-भाग -38-ज्योतिषी झा मेरठ


 मेरे पिता महान थे फिर भी कभी बनी  नहीं क्यों- सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ 


"मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें - -ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -38
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

जगत की रचना क्यों हुई एवं नियमावली क्या थी -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 
जगत की रचना क्यों हुई एवं नियमावली क्या थी -पढ़ें-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ



 --वत्स --तुमने उत्तम प्रश्न किया- क्योंकि प्रत्येक निर्माणकर्ता की उत्सुकता रहती है -कि हमारी बातें या चीजें जन -जन तक पंहुचे तभी कार्य की सार्थकता मानी जाती है | ----अस्तु --जैसे प्रत्येक माता पिता संतानों के बिना अधूरे रहते हैं ,या प्रत्येक गुरु उत्तम शिष्य के बिना अधूरे रहते हैं ठीक इसी प्रकार से -जगतपिता भी जगत रचना के बिना अधूरे थे | क्योंकि परमतत्व और परमात्मा की पहचान तो केवल मानव से ही संभव था | संसार में तीन प्रकार के जीव हैं --अण्डज --जो अण्डों से उत्पन्न होते हैं | स्वेदज -जो पसीनों से उत्पन्न होते हैं | उद्भिज --जो उदर से जन्म लेते हैं | इनमें सभी जीव कहलाते हैं सबकी जीने की प्रक्रिया एक जैसी होती हैं किन्तु उदर में भी जो मनुष्य योनि है -उससे अवतरित होने वाले ही परमतत्व को जानने वाले होते हैं | यहाँ यह समझने वाली बात है कि प्रत्येक माता पिता या गुरु अपने से उत्तम पुत्र या शिष्य पाकर ही गदगद होते हैं अन्यथा ये असंतुष्ट रहते हैं | ऐसे ही जगत रचयिता ब्रह्मा ,पालनकर्ता श्रीहरि या संहारकर्ता शिव भी जगत के बिना अधूरे थे साथ ही उन देवों की भी मनसा थी हमें चुनौती देने वाले या हमारी प्रसन्नता को देने वाले केवल मानव ही है | अतः जगत में चौरासी लाख हजार योनियों में नियंत्रण करने की शक्ति केवल मनुष्य को मिली | आज भी प्रत्येक व्यक्ति अपनी अंगुली से चौरासी

अँगुलियों का होता है | साढ़े तीन हाथ का प्रत्येक व्यक्ति होता है | ---इस जगत का नियंत्रण एक छोटा कद का व्यक्ति कैसे करें --इसके लिए मन्त्रों के निर्माण हुए जो अदृश्य शक्ति के रूप में मानवों की सहायता करते हैं | बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना करने में मदद करते हैं | यह मन्त्र भी तीन प्रकार के हैं -तंत्र -अर्थात असंभव को संभव बनाने में काम आते हैं | यंत्र --जो कम श्रम से शीघ्र कार्य करें | मन्त्र -ये भी तीन प्रकार के हैं --वैदिक मन्त्र जो केवल सत्य पर आधारित हैं --इनको पाने के लिए अत्यधिक कठिनाइयां झेलनी होती हैं | इसे पाने के लिए सत्पात्र बनना होता | इसका प्रभाव अचूक होता है यह निष्फल नहीं होते हैं | पौराणिक मन्त्र का प्रयोग यंत्रों में होते हैं इसे कोई भी साध सकते हैं | तांत्रिक मन्त्र -ये केवल कुमार्गगामी ही इन मन्त्रों को अपनाते हैं ये तत्काल तो कार्य सिद्ध करते हैं किन्तु अंतिम परिणाम हानि भी पंहुचाते हैं | ---यथा राजा तथा प्रजा ---जैसा राजा होगा प्रजा भी वैसी ही होगी | जगत में उपभोग की अत्यधिक चीजें पतन की ओर ले जाती हैं | बिना उपभोग किये जीव रह भी नहीं सकते -इसलिए दिनों दिन नियमावली बदलती गई |--
जो परमात्मा की ओर बढ़ता है उसे परमात्मा गोद में बिठाते हैं जो अधम की ओर बढ़ता है उसे पुनः इसी संसार में भटकते रहना पड़ता है | ध्यान दें --हम प्रत्येक चीजों का अविष्कार कर सकते हैं किन्तु -विधाता के मन्त्रों का पुनः अविष्कार नहीं कोई कर सकता वो अभेद्य हैं अडिग हैं वो अचल हैं यही नियमावली में जगत के जन -जन को अपने में समेटे हुए हैं तभी तो संसार में जब हम आये तभी परमात्मा थे जब चले जायेंगें तब भी रहेंगें | जब हम आये तो तमाम सगे सम्बन्धी मिलते गए और छूटते गये पर वो परमात्मा सदा हमारे साथ थे हैं और रहेंगें यही जगत की नियमावली है | ---आगे की चर्चा आगे करेंगें "ॐ "--दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -38 -ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -38 -ज्योतिषी झा मेरठ

2015 --नेट की दुनिया में अब नया क्या करें जिससे लोगों के दिल में मेरे प्रति और श्रद्धा बढे | क्योंकि जो आलेख ज्योतिष और कर्मकाण्ड के थे जिनको हम ठीक से जानते थे सभी लिख चुके थे | कई दिन सोचता रहा एक दिन फिर मेरे मन में विचार आया --क्यों न अपनी जीवनी को झांककर देखूं --कहाँ से चला था और कहाँ आ गया | पिता से मैं स्नेह बहुत करता थाऔर पिता भी मुझसे बहुत स्नेह करते थे | जब भी पिता का और मेरा आमना -सामना होता था तो युद्ध बहुत होता था | पिता के अपने तर्क थे जो अनपढ़ता की होती थी --मेरे अपने तर्क थे --जो केवल शिक्षा पर आधारित थे ---ये उसी तरह था जैसा सूर्यदेव +शनिदेव हैं | पिता पुत्र हैं --सभी पूजते दोनों को हैं किन्तु दोनों के जीवन में मतान्तर बहुत हैं | मैंने अपने पिता की जनमपत्री देखी तो पता चला मेरे भाग्य क्षेत्र में और पिता के संतान क्षेत्र में नीच का शनि है ---साथ ही शनि की महादशा मेरी चालू हुई ही थी | रोग और शत्रुता अति बढ़नी थी | --मेरी जन्मपत्री में लिखा हुआ था --44 से 47 मृत्यु योग ----इस बात को मैं 1990 से जनता था पर कभी इस ओर ध्यान इसलिए नहीं दिया --गुरूजी ने अपनी जन्म पत्री देखने के लिए मना कर दिया था | अतः ईस्वर अधीन ही हम रहने लगे | जब शनि दशा चालू हुई तो मेरे मन में मरने का विचार आया कि आत्महत्या कर लूँ --पिता के स्वभाव के कारण --सबकुछ था पर जिस घर को बनाने में जीवन लगा दिया --उस घर में सबसे विशेष तिरस्कार मेरा ही हो रहा था | तो मेरे मन विचार आया अपनी जीवनी लिखूं तो शायद कोई मार्ग मिल जायेगा | मुझे सबसे बड़ा दुःख होता था --धन है ,मकान ,पुत्र है सभी परिजन हैं ,--जिस घर में कभी रोटी नहीं थी --आज सभी लखपति हैं ---सभी परिपूर्ण हैं --परन्तु मुझे ही सबने अलग कर दिया --अतः --2017 में हमने जीवनी लिखनी शुरू की | और मैं देखना चाहता था --कमी कहाँ रह गयी ---इसी बीच --2018 --फरबरी माह में सुखद समाचार आया --बड़ी पुत्री को पुत्र {धेबता } हुआ | नेट की दुनिया में अपनी कला दिखाने के लिए हारमोनियम से कई भजन गाये हैं जो बिडियो युटुब पर उपलब्ध हैं | मेरे आलेखों को जब पाठकगण पढ़ते -पढ़ते थक जाते थे तो बीच -बीच में मनोरंजन भी हो जाय जिससे मन में रोमांच होने लगे --तो कभी मैथिली गीत या भजन तो कभी हिन्दी भजन तो कभी उपदेश बिडियो भी मैं प्रसारित करता रहा | जिससे पाठक गण जुड़े रहें ---अतः --2018 जनवरी में सबसे सुन्दर और अन्तिम हारमोनियम खरीदा --पर होनी को किसने देखी है ----आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ-----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 10 अक्टूबर 2023

मेरे जीवन की अन्तिम यह शनि दशा है -सुनें -भाग -37 ज्योतिषी झा मेरठ



मेरे जीवन की अन्तिम यह शनि दशा है -सुनें -भाग -37 ज्योतिषी झा मेरठ 

 "मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें - -ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -37
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"


सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है-पढ़ें ?


 सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है-पढ़ें ?

 



---जिज्ञासु ---सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है -गुरुदेव ! अंक -2--वत्स -वास्तव में परमात्मा की रचना ही सृष्टि है | ऐसी सृष्टि जिसमें रचयिता स्वयं बंधन से मुक्त हैं किन्तु सृष्टि की सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ीं हैं -जैसे -संसार का आधार सृष्टि है | जैसे शरीर के आधार -जल ,वायु ,भोजन और अग्नि हैं | जैसे पति का आधार पतनी होती है | शिष्य का आधार गुरु होते हैं | संतान का आधार माता पिता होते हैं | राजा का आधार प्रजा होती है --इसी प्रकार से प्रजा के बिना राजा अधूरा रहता है | संतान के बिना माता पिता अधूरे रहते हैं | संसार के तमाम वस्तुओं के बिना सृष्टि अधूरी रहती है | --यद्पि सृष्टि का संचालन परमपिता करते हैं किन्तु --सभी सृष्टि में रहने वाले नियम से बंधे होते हैं तथा जिस दिन नियमावली समाप्त हो जाएगी उसी दिन सृष्टि समाप्त हो जाएगी |-----वत्स ---ज्योतिष के बिना सृष्टि अधूरी रहती है क्योंकि वर्तमान ,भूत ,भविष्य की जानकारी जिससे मिलती है उसे ज्योतिष कहते हैं | ज्योतिष की रचना जन हित के लिए हुई है | यह ज्योतिष भी नियमावली पर आधारित है -अर्थात -तमाम बातों को जानने के बाद भी रहस्य को गुप्त रखा जाता है समयानुसार

उपचार का मार्ग बताया जाता है | संसार में केवल मनुष्य ही वो प्राणी है जिसको वर्तमान ,भूत और भविष्य की जानकारी की जरुरत होती है साथ ही सभी कलाओं में निपुण भी होता है |-----वत्स -कर्मकाण्ड का वास्तविक अर्थ कर्म से है चाहे सकाम कर्म हो या निष्काम कर्म दोनों कर्मकाण्ड ही कहलाते हैं | किन्तु जिस कर्मकाण्ड का प्रतिपादन सृष्टि में किया गया है -वो षोडश संस्कारों से युक्त एवं जन -जन का जिससे कल्याण होता है वही वास्तविक कर्मकाण्ड कहलाता है | यह भी नियमावली पर आधारित है |-----यद्यपि ज्योतिष के द्वारा जानकारी मिलती है एवं समय का निर्धारित भी ज्योतिष ही करता है किन्तु निदान कर्मकाण्ड के द्वारा ही संभव है ये दोनों परस्पर एक दूसरे के पूरक हैं | इस संसार में जैसे हमने कहा सभी एक दूसरे से जुड़ें हैं और नियम पर आधारित हैं -कोई भी नियम के विपरीत नहीं कार्य कर सकते हैं अगर करते हैं तो इससे सृष्टि का हनन होता है | जब सृष्टि का हनन होता है तब संतुलन बिगड़ता है फिर सृष्टि नष्ट हो जाती है | फिर कुछ नहीं बचता है न हम न तुम |आगे की परिचर्चा आगे करेंगें- वत्स ?-------आपका--"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज में
https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं कृपया पधारें और

अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है |

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -- भाग -37 -ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -37 -ज्योतिषी झा मेरठ

2014 --नेट की दुनिया इतनी सरल भी नहीं थी | 2 जी से 3 जी हो गयी --अब लिखने में सरलता थी -232 साइडों पर पहुंचे | कई बार उदास हुए ---ऐसा लगा कि आगे नहीं बढ़ सकते हैं --कई ऐसी साइडें आज भी हैं जिन पर मेरी पहुंच नहीं है --वहां फी सेवा लिखी हुई है --पर एक काम अच्छा हो गया था जो हम भी नहीं जानते थे --वहाँ यह लिखा हुआ है इस लिंक पर पधारें --सबकुछ तो है किन्तु --लिंक उपलब्ध नहीं है | फ्री सेवा में लिप्त रहता था ---इस सेवा की वजह से --बड़े दूर -दूर के लोग मुझसे मिलने आते थे | एक व्यक्ति बिहार निवासी मेरठ पल्लवपुरम में रहते हैं --बड़े ऊचे पद पर आसीन हैं --सिर्फ यह देखने आये --जो काम हम जैसे लोग नहीं कर पाये वो आप छोटे से शास्त्री कैसे करते हो | --मानो उठना गिरने के लिए होता है --और गिरना उठने के लिए --सो मैं कई बार गिरा और फिर स्वयं ही उठा भी | हमारे ब्लॉगर को पढ़ने वाले कई लाख लोग रहे --सबसे ज्यादा अमेरिका के --वह ब्लॉगर आज भी उपलब्ध है पर वहां अब लिखना नहीं होता है | ---मैं कुछ बातों को बाल्य्काल से ही जनता हूँ --मेरी कुण्डली पिताजी एक आचार्य के पास गए थे --तब मेरी उम्र --8 वर्ष थी --उन्हौनें कहा था एक दिन राजा बनेगा --फिर कभी पिताजी ने न तो कुण्डली दिखाई न ही कोई उपचार कराये | एकबार मैं आश्रम लगमा बिहार में, खुद हमने आचार्य से निवेदन किया तो बोले तुम एक दिन राजा की तरह होंगे --तब राहु की दशा चल रही थी उम्र थी --16 वर्ष --न उपचार कर पाया न ही ठीक से समझ पाया क्योंकि दरिद्र की सीमा से भी नीचे था | एकबार मेरठ में श्री जगदीश आचार्य थे --उनसे निवेदन किया कुण्डली देखने हेतु --बोले 3 भवन होंगें और शीग्र एक भवन का योग है -------तब मैं पराधीन जीवन --जात्तीबाड़ा मेरठ में जी रहा था --दो कन्या भी थी --यकीन नहीं आया न ही उपचार किये तब उम्र थी --26 वर्ष | --ध्यान दें --ज्योतिष में योग को बिरले ही जानते हैं योग क्या होता है --पर इसके लिए उपचार और समय जरुरत होती है | हमलोग कुण्डली दिखाते तो हैं किन्तु निदान नहीं करते साथ ही समय की प्रतीक्षा नहीं करते हैं | --2014 -मेरा अन्तिम सर्वोत्तम सुखद वर्ष था --जाते -जाते --एक और भवन का योग बना --यह भवन छोटी बेटी की उत्तम शादी हो इसके लिए लिया --पर होनी को कौन टालता है | मेरी कुण्डली में शनि की दशा शुरू हुई --सर्वप्रथम रोग और शत्रुता मिलनी थी ---इसकी चर्चा अगले भाग में करूँगा |---ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

नेट की दुनिया का अनुभव मुझसे सुनें --भाग-36 -ज्योतिषी झा मेरठ


 नेट की दुनिया का अनुभव मुझसे सुनें --भाग-36 -ज्योतिषी झा मेरठ 


"मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें - -ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -36
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

त्रिशूल योग का आधार ही कालसर्पयोग है -पढ़ें --ज्योतिषी झा मेरठ


  त्रिशूल योग का आधार ही कालसर्पयोग है -पढ़ें --



ज्योतिषी झा मेरठ

सहपाठी मित्रप्रवर -अन्वेषण करना अच्छी बात है -हमारे महर्षियों ने हमें ज्योतिष शास्त्र प्रदान किये तप और साधना के बल पर ,इसका सही आधार देवभाषा संस्कृत ही है । हमारे आचार्यों ने पूरी तन्मयता और लगन से इसकी प्रयोगशाला बनाकर नई -नई खोज करते रहे हैं ,और नवयुवक शास्त्री ,आचार्य आज भी कुछ न कुछ खोज कर रहे हैं । आज कालसर्पयोग के ऊपर तरह -तरह की भ्रांतियाँ व्याप्त हैं क्यों न इसे हम सब मिलकर इन भ्रांतियों को दूर करें । ----अस्तु------ज्योतिषाचार्यों के पास कई बार ऐसी जन्मकुंडलियाँ आती हैं -जिसमें ग्रहों की स्थिति तो उत्तम होती है ,योग भी उत्तम दीखता है किन्तु फलित योग के अनुसार नहीं मिलता रहता है । अगर हम ऐसी कुण्डलियों का सही से आकलन करते हैं तो ये कुण्डलियाँ प्रायः शापित होती हैं । बृहत्पराशर ग्रन्थ में 14 प्रकार के शाप बताये गए हैं । जिनमें से प्रमुख -पितृशाप ,प्रेतशाप ,ब्राह्मणशाप ,मातुलशाप ,पत्नीशाप ,सहोदरशाप ,सर्पशाप -हैं । इन शापों के कारण मनुष्य की उन्नति नहीं होती है । उस व्यक्ति को अपने -अपने पुरुषार्थ का सही फल नहीं मिलता है । ऐसे व्यक्ति की संतान या तो जीवित नहीं रहती है या मृत्युतुल्य कष्ट भोगती है । प्रमाण के लिए -महर्षि भृगु -भृगुसूत्र के आठवें अध्याय के श्लोक 11 +12 में लिखते हैं --"पुत्राभावः सर्वशापात सुतक्षयः -11 ---नाग प्रतिष्ठया पुत्र प्राप्तिः -12 ,अभिप्राय -लग्न से पांचवें घर में राहु हो तो सर्प के शाप से पुत्र का आभाव रहता है । एवं नाग की प्रतिष्ठा पूजन करने से पुत्र की प्राप्ति होती है । नोट --वास्तविक बात यह है हमारे ज्योतिषाचार्यों ने अपने अनुभव की कसौटी पर परखा कि शापित जन्मकुंडलियों में जो त्रिशूल योग है उसे एक नया नाम क्यों न दिया जाय जो एकही शब्द में सभी बातों को बता दे -इसलिए कालसर्पयोग का प्रचलन बढ़ा है । -कृपया अपना -अपना मत सभी लेखों को पढ़ने के बाद दें -सभी बातों के ऊपर चर्चा करने के लिए एक माह तक हमसे सभी ज्योतिष प्रेमियों के साथ -साथ मित्र प्रवर जुड़ें रहें ।---आपका ज्योतिषी झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई से ज्योतिष की विशेष जानकारी हेतु इस लिंक पर पधारें,---https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


शूल योग का आधार ही कालसर्पयोग है -पढ़ें --?ज्योतिषी झा मेरठ

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -36 -ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -36 -ज्योतिषी झा मेरठ

2014 -अब हम कुछ और नया ज्योतिष की दुनिया में करना चाहते थे | शेयर बाजार के आलेख ,देश -विदेशों के आलेख ,विश्व के प्रमुख राजनीति हलचल पर ज्योतिष की नजर ,वार्षिक राशि फल ,भारत के राज्यों का प्रभाव और सरकार ---इन तमाम आलेखों से लोग मुझे सम्मान देते गये --और मैं आगे बढ़ता रहा | एक देश है साईप्रस --यहाँ से 21 हजार रूपये मिले --एक पंजाब के रहने वाले थे --उनके द्वारा | सबसे ज्यादा धन अमेरिका से मिला ,ब्रिटेन ,आस्ट्रेलिया ,कनाडा ,तिब्बत से भी पैसे मिले | भारत में प्रथम भूमि धन प्रदान करने वालों में- मध्यप्रदेश सबसे पहला राज्य था | दिल्ली ,उत्तर प्रदेश ,उत्तराखण्ड ,कर्नाटका ,ओडिसा ,राजस्थान ,पंजाब ,हरियाणा ,कलकत्ता,महाराष्ट्र ,गुजरात ये धन देने वाले प्रमुख राज्य रहे | --जहाँ मैं बिहार से हूँ --सबसे बाद में किन्तु सबसे ज्यादा धन इस राज्य के लोगों से ही मिला | ऐसा नहीं है हमलोग अमेरिका का नाम सुनते हैं तो अमीरी दिल के भी है --बहुत से देश ऐसे रहे जो केवल फ्री सेवा चाहते थे --जापान ,रूस ,चीन ,ब्रिटेन ,अमेरिका,जर्मन ,कनाडा ,नेपाल ,पाकिस्तान ,सऊदीअरब ,ओमान ,ईराक -ईरान ---और भी बहुत से देश रहे --पर मुझे तो फ्री सेवा देनी थी --क्योंकि विज्ञापन में धन लगाने से बेहतर किसी व्यक्ति की सेवा मुझे उचित लगता था | ---एक व्यक्ति हरिद्वार से ऐसे थे --न सुन सकते थे न ही बोल सकते थे पर लिख सकते थे --उन्हौनें 1100 दिए --लिखकर बताया मृत्य कब होगी बतायें ---हमने लिखकर दिया --आगे संपर्क नहीं हुआ | पर मुझ से स्नेह बहुत करते थे --कईबार पति -पतनी की जब फोटो देखते थे --तो सदा लिखकर अपना आशीषदेते थे --ऐसा लगता था मानों मेरे पिता थे | नेट की दुनिया ने मुझे सबकुछ अपने आप सिखाया --कभी -कभी लगता है --नेट नहीं होता तो शायद केवल मेरठ तक सीमित होते --पर यह मेरा भाग्य है --यह ईस्वर की कृपा है लाखों लोगों की जनमपत्री देखने के बाद मेरा तजुर्बा बहुत बढ़ गया | अब मैं इतना परिपक्व हो गया कि मुझे केवल जन्मपत्री देखने से ज्ञात हो जाता है --सामने वाले को क्या जानकारी चाहिए ,सामने वाला सच बोलता है या झूठ यह भी ज्ञात हो जाता है | ---पर कहते हैं ---समय की अपनी गति होती है --मेरा हरा- भरा परिवार का सुख समाप्त होने वाला था | मेरे जीवन में --2014 --अगस्त के बाद शनि की दशा शुरू हुई --19 वर्ष चलेगी | --शनि नीच का भाग क्षेत्र में है ---पराक्रम क्षेत्र में बृहस्पति हैं --भाग्य तो फिर भी सबल था --पर भाई -बन्धुओं का स्नेह समाप्त होना था ,प्रभावक्षेत्र कमजोर होना था ,रोग से पीड़ित होना था --अनन्त शत्रुओं का सामना करना था | --जिस भार्या के बल पर सम्पूर्ण सुख मिले वही वही समाप्त होना था | ---आगे की परिचर्चा आगे करेंगें ---ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 9 अक्टूबर 2023

मैं अनपढ़ था फिर नेट की दुनियाँ में क्यों आया सुनें -भाग -35 -ज्योतिषी झा मेरठ



  मैं अनपढ़ था फिर नेट की दुनियाँ में क्यों आया सुनें -भाग -35 -ज्योतिषी झा मेरठ 

"मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें - -ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -35
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ --ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

सर्पशाप से भी कालसर्पयोग होता है -पढ़ें ?-ज्योतिषी झा मेरठ


  सर्पशाप से भी कालसर्पयोग होता है -पढ़ें ?-ज्योतिषी झा मेरठ

 



मित्रप्रवर -जब प्रसंग कालसर्पयोग का ही चल रहा है तो सर्पशाप से युक्त कुंडलियों का जिक्र करना भी अनिवार्य समझता हूँ । वास्तविक रूप से 14 प्रकार से श्रापित कुण्डलियों का निदान कालसर्प योग विधि से ही हो जाता है । केवल संकल्प द्वारा किन्तु मन्त्रों में अंतर होता है -सही बात तो यह है सर्पशाप युक्त जन्मपत्रिकाओं की शान्ति भी कालसर्प योग विधि से निदान हो जाता है । ---सर्पशाप युक्त कुण्डलियों की पहचान हम ऐसे कर सकते हैं । ---{1 }-सुते राहौ भौम दृष्टे सर्पशापात सुतक्षयः -अर्थात पंचम भाव के राहु को मंगल यदि पूर्ण दृष्टि से देखता हो ! {2 }-यमे सुते चन्द्र दृष्टे सुतेशे राहुयुते सर्पशापात विपुत्रः -अर्थात -पंचम भाव में शनि हों और पंचमेश राहु के साथ हो साथ ही चन्द्रमा भी देखता हो ! {3 }-सुतेशे भौमे सुते राहौ सौम्यादृष्टे सर्पशापात विपुत्रः -भाव -पंचमेश मंगल का कर्क या धनु लग्न हो और पंचम भाव में राहु शुभ युक्त हों ! {4 }-स्वांशे भौमे पुत्रेशेग्ये पापयुते सर्पशापात विपुत्रः -अभिप्राय -पंचमेश मंगल का -कर्क या धनु लग्न हो साथ ही मानल अपने ही नवमांश में हों या पंचम भाव में हों और पंचम भाव में राहु या अन्य पाप ग्रह हों ! {5 }-सुतकारक युतौ राहु तुंगेशयुते ,पुत्रेशे त्रिके,सर्पशापात विपुत्रः -अर्थात -पुत्र कारक -गुरु ,मंगल से युत हों ,लग्नेश राहु से युत हो या लग्न में राहु हो और पंचमेश त्रिक स्थानों में 6 . 8 . 12 में हो ! {6 }}-पुत्रकारक गुरु राहु से युक्त हो एवं पंचम भाव को शनि भी देखता हो ! {7 }-कर्क या धनु लग्न में पंचम भाव का राहु ,बुध से युत या दृष्ट हो ! {8 }पंचम भाव में सूर्य ,मंगल ,शनि या राहु हो एवं पंचमेश तथा लग्नेश दोनों बलहीन हों ! {9 }-लग्नेश राहु से युत हो ,पंचमेश मंगल से युत हो एवं गुरुको राहु देखता हो ! --अस्तु ---- अगर अनुभव हम और आप करें तो राहु एवं गुरु की युति जन्मपत्रिका में कहीं भी हो ,सर्प के शाप से संतति अर्थात संतान को कष्ट जरूर होता है । चन्द्रमा से राहु -केतु आठवें भावगत हो तो वह पत्रिका पूर्व जन्म कृत शाप को भी दर्शाती है -ऐसी स्थिति होने पर कालसर्प योग का निदान उत्तम रहता है । कल हम कालसर्पयोग की परिभाषा पर चर्चा करेंगें ।--आपका ज्योतिषी झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई से ज्योतिष की विशेष जानकारी हेतु इस लिंक पर पधारें,----- -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




2013 नेट की दुनिया में अब मैं पूर्ण रूप से सशक्त हो चूका था -पढ़ें- भाग -35 -ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल 2013 -नेट की दुनिया में अब मैं पूर्ण रूप से सशक्त हो चूका था |लोग ज्योतिष के अनन्त लेखों को पढ़ चुके थे| अख़बार और चैनलों पर से रूचि उठ चुकी थी| अब कुछ नया लिखना चाहते थे --तो राजनीति के योद्धाओं के बारे में लिखने लगा | इससे पूर्व प्रणवदा ,डॉक्टर श्री मनमोहन सिंह के आलेख लिख चुके थे | भारत की नई राजनीति की दिशा चालू होने वाली थी --तो श्री नरेंद्र मोदी ,श्री राहुल गाँधी ,श्रीमती सोनिया गाँधी --इनके बारे में लिखा --यहाँ मेरी सोच थी दिवंगत नेताओं के बारे में नहीं --जो वर्तमान के धुरन्धर नेतागण हैं --इनके बारे में लिखें साथ ही अपनी कसौटी को परखें --इन आलेखों की वजह से भी मैं प्रचलित हो रहा था | अब मुझे विदेशों से बहुत फोन आते थे साथ ही हमारे आलेखों को पढ़ते भी थे एवं फ्री ज्योतिष सेवा का लाभ भी लेते थे | --यद्यपि हमारा रोजगार कर्मकाण्ड जगत से था एवं लोगों को भी रोजगार दे रहा था | ईस्वर की क्या कृपा है समझ नहीं आया --शादी के बाद लोग कमाने जाते हैं पर मैं सबकुछ बेचकर पढ़ने गया | जब बच्चे हो जाते हैं तो लोग बच्चों को पढ़ाते हैं किन्तु मुझे दो बेटियां थीं- इसके बाद भी हारमोनियम सीखने लगा | आज फिर जब रोजगार से परिपूर्ण था तो फिर नेट की दुनिया में आया ---इसका एक यह कारण था ---धनातधर्मः ततः सुखं --धन से धर्म करना चाहिए तभी सुख मिलता है --अब मैं कोई भूल नहीं करना चाहता था --मेरे पास धन बहुत होता पर बच्चे सुखी नहीं होते तो धन किस काम का --अतः अपनी बेटियों को उतनी ही शिक्षा देना चाहता था --जिससे उसका वर्तमान और भविष्य दोनों सुरक्षित रहे , कार्यरत नहीं बनाना था ,ऐसे घर में देना था जहाँ माता पिता की जिम्मेदारी न हो बल्कि माता पिता ही कुछ दें ,पति कार्यरत ऐसे हों जो अपना भविष्य स्वयं निर्माण करें , धन से धर्म करें ,संस्कारों से युक्त हो कोई उसे यह न कहे कि --पिता घर -घर जाकर सत्यनारायण कथा करता है इसीलिए बेटी ऐसी है | ---यह सोचते हुए मैं एक आधुनिक ज्योतिषी बनना चाहता था --अपने आप को भले ही सरकारी या कम्पनी में कार्यरत न था पर मेरी पहचान इससे कम न रहे मेरा महत्व डॉक्टर ,इंजीनियर इंस्पेकर से कम न हो इसलिए --कर्मकाण्ड की दुनिया से अलग हुआ | --आजकल विवाह करना बड़ी बात नहीं है --बड़ी बात है --अच्छा घर ,अच्छा वर ,अच्छा परिवार ,अच्छा समाज --सुन्दर आदान -प्रदान ---इसको कहते हैं कुण्डली मिलान| आज मेरी बड़ी बेटी ऐसे परिवार में है --तो यह सोच हम दोनों प्राणी की है ,ऐसे हम दोनों के संस्कार हैं तभी संभव है | --मेरी सोच है उपदेश देने से पहले --पालन करना होता है --यथा राजा तथा प्रजा | --ऐसा नहीं है कि मैं दूध का धुला हूँ पर जो मैं कर सकता हूँ या जो मुझे करना चाहिए --इसका एक प्रयास किया है| -----अस्तु ---मैं अपने कर्मकाण्ड जगत से किनारा करता गया और ज्योतिष की दुनिया में बढ़ता गया --अब मैं मेरठ मैं बैठे -बैठे ही समझने लगा --चीन किधर है ,जापान किधर है ,ऑस्ट्रेलिया ,जर्मन ,फ्रांस ,ब्रिटेन ,यानि लोगों को फ्री सेवा देता गया --हमारी बोलने की लिखने की समझने की झमता बढ़ती गयी ---आगे चर्चा करूँगा --2014 की -- --ॐ |-अब शनि दशा की चर्चा आगे करेंगें -ॐ ----आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं

एक पिता का कर्तव्य निभाया कैसे सुनें -भाग -34 --ज्योतिषी झा मेरठ


 एक पिता का कर्तव्य निभाया कैसे सुनें -भाग -34 

"मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें -


-ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -34
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

कालसर्पयोग से क्यूँ है राहु +केतु का सम्बन्ध -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 कालसर्पयोग से क्यूँ है राहु +केतु  का सम्बन्ध -पढ़ें ? 

  -----दोस्तों -सनातन धर्म की संस्कृति एवं आस्था, विस्वास के बल पर चलती है -जो न रुकी है न ही रुकेगी -इसी का नाम सनातन है । किन्तु प्रमाण के बिना कोई बात नहीं कही जाती है न ही मानी जाती है । - अस्तु ------ पौराणिक ग्रंथों के अनुसार "राहु " नामक राक्षस का मस्तक कट जाने पर भी जीवित रहा और उसी का धड़ केतु है । एक ही काया के दो भागों को राहु +केतु कहते हैं । चुगली करने के कारण सूर्यदेव एवं चन्द्रदेव को ग्रसित कर विस्व में भय फैलाते हैं । बृहत्संहिता ग्रन्थ के राहु -चाराध्याय में प्रमाण स्वरूप लिखा है "मुख पुच्छ विभक्तार्गंभुजङ्गकारपुमदिशन्त्यन्ये " अर्थात -मुख एवं पुच्छ से अलग शरीर जिसका सर्प का आकार है -वही राहु का आकार है । कामरत्न ग्रन्थ के अध्याय -64 श्लोक -47 में सर्प को ही काल कहा गया है । "न पश्ये द्विक्षण माणेपि काल दृष्टो न संशयः । सर्प दंशों विषं नास्ति काल दृष्टो न संशयः । । इतना ही नहीं 16 वीं शताब्दी के आचार्य मानसागर ने मानसागरी नामक ज्योतिष ग्रंथ की रचना की -ज्योतिष को पढ़ने के लिए यह ग्रन्थ सभी शास्त्री एवं आचार्यों के लिए कक्षा में आज भी अनिवार्य है । इन्होनें ने इस ग्रन्थ में अरिष्ट योगों की चर्चा करते हुए अध्याय 4 के श्लोक 10 में लिखा है -"लग्नाश्च सप्तम स्थाने शनि -राहु संयुतौ ।सर्पेण बाधा तस्योक्ता शय्यायां स्वपितोती च । । अर्थात -सातवे घर में शनि +सूर्य एवं राहु की युति हो तो बिस्तर पर सोते हुए व्यक्ति को भी सांप काट लेता है । फलित ज्योतिष के विषय पर निरंतर अध्ययन एवं अनुसन्धान करने वाले आचार्यों ने परखा है कि राहु + केतु के मध्य सभी ग्रह अव्यवस्थित होने पर जातक का जीवन ज्यादा पीड़ित रहता है । इस बात को परखने के बाद आचार्यों ने इसका नाम कालसर्प योग रखा है -सही मायने में कालसर्प योग -सर्पयोग से ही बना है -जो आचार्यों की अनुसन्धान की खोज है न कि भ्रमित करने के लिए -यह योग बताया जाता है । ध्यान दें कालसर्पयोग का निदान की प्रक्रिया भी बहुत जटिल है -जो हम क्रम से बतायेंगें । कल हम कालसर्प योग की प्राचीनता पर चर्चा करेंगें -आप दोस्तों अपना -अपना निर्णय तमाम बातों को पढ़ने समझने के बाद दें ।---- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे -https://www.facebook.com/astrologerjha उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका -




ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

आत्मकथा में अपना परिचय देना उचित समझता हूँ - भाग -34 -ज्योतिषी झा मेरठ


 



कृपया ध्यान दें --- मैं अपनी आत्मकथा में आगे की घटनाओं का जिक्र करें पहले अपना परिचय देना उचित समझता हूँ -ज्योतिषी झा मेरठ -का परिचय -जानने हेतु -पढ़ें ! नाम -श्रीकन्हैयालाल झा पिता श्री गंगनाथ झा माता श्रीमती अम्बिका देवी -जन्म २३/24 /09 /1970 समय 5. 30 प्रातः स्थान -कन्होली झंझारपुर जिला मधुबनी {बिहार }-1 -1980 तक प्राथमिक शिक्षा गाँव में ही मिली ।- 1980 में शिक्षा प्राप्त करने हेतु -श्री महर्षी वेद विज्ञान विद्यापीठ -स्थान पातेपुर जिला समस्तीपुर {बिहार }को प्रस्थान किया किन्तु यह अल्प शिक्षा का समय था,---- पुनः 1981 में श्रीमहावीर संस्कृत विद्यालय -महरैल जिला मधुबनी{बिहार }से प्रथमा की उपाधि प्राप्त की तदुपरान्त 1983 में- श्रीजगदीश नारायण संस्कृत महाविद्यालय लगमा जिला -दरभंगा {बिहार },इस आश्रम से मध्यमा एवं उपशास्त्री की उपाधि ज्योतिष विषय से प्राप्त की । --1988 -से 1990 तक श्री विल्वेश्वर संस्कृत महावियालय सदर मेरठ {उत्तर प्रदेश }से शास्त्री एवं शास्त्री संगीत की शिक्षा प्राप्त करने की कोशिश की, किन्तु शिक्षा को अधूरी छोड़कर उत्तम शिक्षा प्राप्त करने हेतु श्री मुम्बादेवी संस्कृत महाविद्यालय गिरी गाँव चौपाटी "मुम्बई "1991 में गमन हुआ । यहाँ से शास्त्री एवं कर्मकाण्ड विशारद की उपाधि प्राप्त की 1994 में इसी संस्था द्वारा विदेश गमन होता -किन्तु घर की परिस्थिति धन की उत्तम नहीं होने के कारण -मंजिल रुक गयी । --1994--पुनः मेरठ में निवास हुआ और यहाँ संगीत क्षेत्र में सफलता प्राप्त की । ----2010 --में पुनः कुछ करने का मन हुआ तो नेट की दुनियां में एकबार फिर से सफलता पाने की कोशिश निरन्तर करता रहता हूँ --जो ज्ञान मुझमें है उसे रोज ब्लॉगर में लिखने की कोशिश करता हूँ -एकबार सभी मित्रों को निःस्वार्थ सेवा 2010 से 2019 तक देता आ रहा था , साथ ही ज्योतिष सम्बंधित ज्ञान से पढता हूँ और ज्योतिष प्रिय मित्रों को लेखों के माध्यम से पढ़ाता हूँ । आजतक एक लाख व्यक्तियों को फ्री सेवा निःस्वार्थ मिल चुकी है । दुबारा सेवा के लिए 500 रूपये लेता हूँ परन्तु आजतक किसी भी व्यक्ति को हमने न तो हमने धन के लिए कहा है न ही सेवा की जगह धन की सेवा की बात कही है । -मेरा सपना था यह निःशुल्क सेवा आजीवन देता रहूँ पर जन -जन के हाथों नेट आने से अनभिग्यता बढ़ती गयी और मेरा मन खिन्न होता गया --क्योंकि मैं चाहता था जो भी मेरे अन्दर है उसे पहले पढ़ें फिर एकबार सेवा लें पर नेट की बहुलता से लोग पढ़ना कम देखना ज्यादा शुरू किया अतः फ्री सेवा बन्द कर दी -----जबकि आज भी लिखता रहता हूँ लोग पढ़ने वाले पढ़ते भी हैं | अब हमारी सेवा महंगी है ताकि वही लोग सेवा लेंगें जो सच्चे प्रसंसक होगें | हमने आजतक इस सेवा से उतना ही धन कमाया है जितना सेवा में खर्च होता है गुजारा तो कर्मकाण्ड होता है | अतः आप सबसे निवेदन है हमारे तमाम लेखों को पढ़ते रहें ,अपना - आशीष देते रहें साथ ही कमियों से रूबरू कराते रहें -----मेरी मातृभूमि -झंझारपुर है ,कर्मभूमि मेरठ है साथ ही शिक्षा का क्षेत्र मुम्बई है इसलिए मेरी पहचान तीनों जगहों से बनी रहे यही सोच है | आपका ज्योतिषी झा मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई से -पत्ता किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ सहायता सूत्र -9897701636 +9358885616 |----ॐ |-अब शनि दशा की चर्चा आगे करेंगें -ॐ ----आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं

शनिवार, 7 अक्टूबर 2023

मेरा कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें --ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -33



 

मेरा कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें --ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -33
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...