सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है-पढ़ें ?
---जिज्ञासु ---सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है -गुरुदेव ! अंक -2--वत्स -वास्तव में परमात्मा की रचना ही सृष्टि है | ऐसी सृष्टि जिसमें रचयिता स्वयं बंधन से मुक्त हैं किन्तु सृष्टि की सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ीं हैं -जैसे -संसार का आधार सृष्टि है | जैसे शरीर के आधार -जल ,वायु ,भोजन और अग्नि हैं | जैसे पति का आधार पतनी होती है | शिष्य का आधार गुरु होते हैं | संतान का आधार माता पिता होते हैं | राजा का आधार प्रजा होती है --इसी प्रकार से प्रजा के बिना राजा अधूरा रहता है | संतान के बिना माता पिता अधूरे रहते हैं | संसार के तमाम वस्तुओं के बिना सृष्टि अधूरी रहती है | --यद्पि सृष्टि का संचालन परमपिता करते हैं किन्तु --सभी सृष्टि में रहने वाले नियम से बंधे होते हैं तथा जिस दिन नियमावली समाप्त हो जाएगी उसी दिन सृष्टि समाप्त हो जाएगी |-----वत्स ---ज्योतिष के बिना सृष्टि अधूरी रहती है क्योंकि वर्तमान ,भूत ,भविष्य की जानकारी जिससे मिलती है उसे ज्योतिष कहते हैं | ज्योतिष की रचना जन हित के लिए हुई है | यह ज्योतिष भी नियमावली पर आधारित है -अर्थात -तमाम बातों को जानने के बाद भी रहस्य को गुप्त रखा जाता है समयानुसार
उपचार का मार्ग बताया जाता है | संसार में केवल मनुष्य ही वो प्राणी है जिसको वर्तमान ,भूत और भविष्य की जानकारी की जरुरत होती है साथ ही सभी कलाओं में निपुण भी होता है |-----वत्स -कर्मकाण्ड का वास्तविक अर्थ कर्म से है चाहे सकाम कर्म हो या निष्काम कर्म दोनों कर्मकाण्ड ही कहलाते हैं | किन्तु जिस कर्मकाण्ड का प्रतिपादन सृष्टि में किया गया है -वो षोडश संस्कारों से युक्त एवं जन -जन का जिससे कल्याण होता है वही वास्तविक कर्मकाण्ड कहलाता है | यह भी नियमावली पर आधारित है |-----यद्यपि ज्योतिष के द्वारा जानकारी मिलती है एवं समय का निर्धारित भी ज्योतिष ही करता है किन्तु निदान कर्मकाण्ड के द्वारा ही संभव है ये दोनों परस्पर एक दूसरे के पूरक हैं | इस संसार में जैसे हमने कहा सभी एक दूसरे से जुड़ें हैं और नियम पर आधारित हैं -कोई भी नियम के विपरीत नहीं कार्य कर सकते हैं अगर करते हैं तो इससे सृष्टि का हनन होता है | जब सृष्टि का हनन होता है तब संतुलन बिगड़ता है फिर सृष्टि नष्ट हो जाती है | फिर कुछ नहीं बचता है न हम न तुम |आगे की परिचर्चा आगे करेंगें- वत्स ?-------आपका--"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज मेंhttps://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं कृपया पधारें और
अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है |

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