ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 9 अक्टूबर 2023

सर्पशाप से भी कालसर्पयोग होता है -पढ़ें ?-ज्योतिषी झा मेरठ


  सर्पशाप से भी कालसर्पयोग होता है -पढ़ें ?-ज्योतिषी झा मेरठ

 



मित्रप्रवर -जब प्रसंग कालसर्पयोग का ही चल रहा है तो सर्पशाप से युक्त कुंडलियों का जिक्र करना भी अनिवार्य समझता हूँ । वास्तविक रूप से 14 प्रकार से श्रापित कुण्डलियों का निदान कालसर्प योग विधि से ही हो जाता है । केवल संकल्प द्वारा किन्तु मन्त्रों में अंतर होता है -सही बात तो यह है सर्पशाप युक्त जन्मपत्रिकाओं की शान्ति भी कालसर्प योग विधि से निदान हो जाता है । ---सर्पशाप युक्त कुण्डलियों की पहचान हम ऐसे कर सकते हैं । ---{1 }-सुते राहौ भौम दृष्टे सर्पशापात सुतक्षयः -अर्थात पंचम भाव के राहु को मंगल यदि पूर्ण दृष्टि से देखता हो ! {2 }-यमे सुते चन्द्र दृष्टे सुतेशे राहुयुते सर्पशापात विपुत्रः -अर्थात -पंचम भाव में शनि हों और पंचमेश राहु के साथ हो साथ ही चन्द्रमा भी देखता हो ! {3 }-सुतेशे भौमे सुते राहौ सौम्यादृष्टे सर्पशापात विपुत्रः -भाव -पंचमेश मंगल का कर्क या धनु लग्न हो और पंचम भाव में राहु शुभ युक्त हों ! {4 }-स्वांशे भौमे पुत्रेशेग्ये पापयुते सर्पशापात विपुत्रः -अभिप्राय -पंचमेश मंगल का -कर्क या धनु लग्न हो साथ ही मानल अपने ही नवमांश में हों या पंचम भाव में हों और पंचम भाव में राहु या अन्य पाप ग्रह हों ! {5 }-सुतकारक युतौ राहु तुंगेशयुते ,पुत्रेशे त्रिके,सर्पशापात विपुत्रः -अर्थात -पुत्र कारक -गुरु ,मंगल से युत हों ,लग्नेश राहु से युत हो या लग्न में राहु हो और पंचमेश त्रिक स्थानों में 6 . 8 . 12 में हो ! {6 }}-पुत्रकारक गुरु राहु से युक्त हो एवं पंचम भाव को शनि भी देखता हो ! {7 }-कर्क या धनु लग्न में पंचम भाव का राहु ,बुध से युत या दृष्ट हो ! {8 }पंचम भाव में सूर्य ,मंगल ,शनि या राहु हो एवं पंचमेश तथा लग्नेश दोनों बलहीन हों ! {9 }-लग्नेश राहु से युत हो ,पंचमेश मंगल से युत हो एवं गुरुको राहु देखता हो ! --अस्तु ---- अगर अनुभव हम और आप करें तो राहु एवं गुरु की युति जन्मपत्रिका में कहीं भी हो ,सर्प के शाप से संतति अर्थात संतान को कष्ट जरूर होता है । चन्द्रमा से राहु -केतु आठवें भावगत हो तो वह पत्रिका पूर्व जन्म कृत शाप को भी दर्शाती है -ऐसी स्थिति होने पर कालसर्प योग का निदान उत्तम रहता है । कल हम कालसर्पयोग की परिभाषा पर चर्चा करेंगें ।--आपका ज्योतिषी झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई से ज्योतिष की विशेष जानकारी हेतु इस लिंक पर पधारें,----- -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




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