ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुधवार, 4 अक्टूबर 2023

पति पतनी का समागम से कैसी संतान निर्धारित होती है -सुनें -27-ज्योतिषी झा मेरठ

विवाह के लिए संस्कार क्यों --सुनें -भाग -27--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ-
---कर्मकाण्ड जगत में प्रत्येक व्यक्ति को षोडश संस्कारों गुजरना होता है | सभी संस्कारों के अलग -अलग महत्त्व हैं | विवाह संस्कार प्रत्येक व्यक्ति का दशवां संस्कार होता है | इस विवाह संस्कार के बाद प्रत्येक व्यक्ति अपने -अपने सुखों से वंचित होते जाते हैं | विवाह संस्कार प्रत्येक व्यक्ति का एक सुखद संस्कार है | ज्ञानी पुरुष अपनी जिम्मेदारी की पूर्ति कर वैराग की ओर चलने लगते हैं | अज्ञानी पुरुष विवाह संस्कार के बाद मोह माया में विशेष रम जाते हैं | ---वास्तव में संसार के प्रत्येक व्यक्तियों का विवाह संस्कार एक सुखद संस्कार होता है जिसे हर्षोल्लास से मनाते हैं और मनाने भी चाहिए किन्तु --ब्राह्मणों {द्वीज }का विशेष खुशी का संस्कार यज्ञोपवीत संस्कार होता क्योंकि इस संस्कार के बाद जो अलौकिक ज्ञान गुरुजनों के सान्निध्य में मिलता है --उस ज्ञान की वजह से द्विज केवल माता पिता की मर्यादा का पालन करने हेतु विवाह संस्कार में बंधते हैं --इसलिए ब्राह्मणों का विवाह संस्कार अति सरल और भव्यता विहीन होता है किन्तु मन्त्रों की विधियों की अत्यधिकता होती है | पर आज इस बात का भान ही नहीं होता -जिस कारण से विवाह संस्कार में कहीं कोई न तो अंतर दिखता है न ही किसकी शादी हो रही है इसका पत्ता रंग रूप से दिखता है | अगर दिखती है तो विवाह की भव्यता | -----अब सबसे पहले यह समझें कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी बेटी दूसरे को देता है और दूसरे की बेटी को खुद स्वीकार करता है | क्यों --?--क्योंकि एक तो इस प्रक्रिया से समाज का विस्तार होता है, प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से जुड़ते हैं ,प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे के सुख -दुःख में सहभागी बनते हैं -साथ ही अत्यधिक धन खर्च और परिश्रम भी करते हैं | दूसरा ---यदि यह प्रक्रिया नहीं हो तो प्रत्येक व्यक्ति जानवरों की भांति अपने -अपने घरों में सिमट कर रह जायेंगें | न माँ का न बहिन का न ही किसी संबंधों जान पायेंगें न ही इंसान बन पायेंगें | यही विवाह एक ऐसा संस्कार है --जो प्रत्येक व्यक्ति को जीने का ढंग सीखता है ,उसको एक सामाजिक प्राणी बनाता है साथ ही आने वाली पीढ़ी को एक नियमावली बताता है | अतः प्रत्येक व्यक्ति को इस बात पर विचार करना चाहिए ---न कि मदोन्मत होकर वही बोलना या करना चाहिए जो न तो आपको सुख दे पाए न ही समाज की प्रेरणा बन सके | ---आगे की चर्चा आगे करेंगें |-----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

विषाक्त" नामक कालसर्प योग की विशेषता -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "-


  विषाक्त" नामक कालसर्प योग की विशेषता -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "-

 किसी भी जन्मकुण्डली में अगर एकादश भाव में राहु एवं पंचम भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सभी ग्रह इनके बीच के भावों में स्थित हों तो "विषाक्त "नामक कालसर्प योग बनता है । "विषाक्त "नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले लोग निर्माण कार्य ,नई खोज और उन्नतिशील जीवन लिए विशेष संघर्ष करते हैं । विद्या ,धन और पुत्र सम्बन्धी पूर्ण सुख की प्राप्ति में भी विशेष तकलीफ झेलनी पड़ती है ऐसे जातकों को । अर्थात इन तीनों सुख में किसी न किसी एक सुख की कमी अवश्य रहती है । ऐसे जातक का स्वभाव सरल और व्यवसायिक होता है । ऐसे जातक को काका ,चाचा ,ताऊ आदि के परिवार से भी प्रायः दुःखी रहना पड़ता है । --निदान -अपने -अपने आचार्य की बातों का अमल करना ही उचित लाभ देता है । फिर भी धनाभाव में पंचमी तिथि को स्वेत पुष्प माँ शारदे को प्रसाद एवं दक्षिणा अर्पण करें । अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दशी तिथियों में देवीसूक्त का पाठ करें । -----------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -27--ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?---"भाग -{27}--ज्योतिषी झा मेरठ

2012 -यह वर्ष मानों तमाम खुशियों की सौगात लेकर आया | हमने एक शलाइड शो नेट पर बनाया जिसकी मुझको भी जानकारी नहीं थी ----अस्तु --अमेरिका से एक फोन आया सुनीता अरोड़ा जी का जो केश सज्जा का काम करती थी -उन्होंने मेरी तारीफ के पूल बना दिए -बोली क्या फिल्म बनाई है आपने ,मैं अपने सभी अमेरिकन साथियों को बता रही हूँ कि मेरे यहाँ के शास्त्री ऐसे होते हैं | लगभग 2 घंटे तक बात होती रही--इस प्रोत्साहन के बदले हमने उनके परिवार की समस्त ज्योतिष की जानकारियां और सलाह दी | मुझको ऐसा लगने लगा हम सही राह चल रहे हैं क्योंकि मैं तो अंग्रेजी दुनिया से अनभिज्ञ था इसी तरह मुझको राह मिलती गई | हमने 5000 मित्रों का कोटा पूरा कर लिया फेसबुक पर साथ ही लगभग 120 साइडो पर जुड़ा -जैसे -आईबीबो ,एच आई 5 ,लिंकेड ,ट्वीटर ,ब्लॉगर ,हॉटमेल ,जीमेल ,याहू ,जिरोपीय ,ऑरकुट -स्काईप -इत्यादि | हम सोचने लगे जिन मित्रों को एकबार फ्री सेवा दे चुके हैं उनको दोस्ती से हटाकर उनको मौका दें जिनको सेवा नहीं मिली है | इसका नतीजा यह निकला फेसबुक ने हमारी ज्योतिष सेवा सदन प्रोफाइल को पेज बना दिया | अब हम अकचका गए क्योंकि कोई गुरु नहीं थे जिनसे पूछता था वो कहते थे हिन्दी नहीं अँग्रेजी में बता सकता हूँ --मैं सोचने लगा -उत्तर प्रदेश हिन्दी भाषी लोग, हिन्दी ही मातृभाषा ,पर हिन्दी में नहीं बता सकते तो कौन बतायेगा | इतने में फेसबुक की ओर से फ़ोन आया -कोई मुसलिम व्यक्ति जम्मू के रहने वाले थे मुम्बई से बोल रहे थे | इन्होने भी मेरी बहुत तारीफ की -आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं -कुछ पैसा खर्च करके और भी अच्छा कर सकते हैं --पर हम पैसा खर्च करके नाम नहीं कमाना चाहते थे | अतः दूसरी प्रोफाइल बनाई -ज्योतिष विभाग झा मेरठ | मेरे मन में एक बात आयी -सेवा पेज पर दें -इससे सभी व्यक्तियों को एकबार सेवा का लाभ मिल सकता है साथ ही अभी तक हम मुर्ख बन रहे थे सेवा देने के बाद तो अब नहीं बन पायेंगें -जब भी कोई व्यक्ति यह कहेगा सेवा नहीं मिली है तो उनका सन्देश यह साबित करेगा कब सेवा ली | -अब हमने 100 रूपये शुल्क का रख दिए -फ्री सेवा के बाद सेवा का शुल्क 100 रूपये दें | साथ ही आजीवन शुल्क -500 रूपये --यह सेवा इतनी जची लोगों को कि हमें यह सेवा बंद करनी पड़ी -क्योंकि मेरा उदेश्य पैसा नहीं नाम कमाना था | इतने लोगों ने पैसे दिए कि अंत में हमने सभी से अनुरोध किया जिन्होंने 500 दिए हैं उनको 3 वर्ष फ्री सेवा मिलेगी या अपने -अपने पैसे वापस ले लें | पर भारतीय लोग बड़े ही दयालु होते हैं किसीने न तो पैसे लिए न ह-- ही कुछ कहा हम इसके लिए आभार व्यक्त करना चाहते हैं | अब हम अखबार में आना चाहते थे -मेरठ के जनवाणी ,अमरउजाला ,दैनिक जागरण सभी जगह गए पर इन्होंने मुझको इस योग्य नहीं समझा | हम उदास हो गए, साथ ही हमारा कम्प्यूटर बेकार हो गया | फिर मेरे आराध्य गुरु सरकार ने मानों फिर से जगाया बोले -श्री अटलबिहारी बाजपेयीजी को प्रधान मन्त्री बनने के लिए 50 वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ी -जबकि योग्य व्यक्ति थे ,भले ही कोई पद नहीं था पर सबके दिलों में राज करते थे | इनको नेहरूजी ने कहा था एकदिन तुम प्रधानमंत्री बनोंगे -और बने यह मेरा प्रत्यक्ष उदाहरण था | ----अतः फिर से हम जागे --आगे की चर्चा कल करेंगें |---ॐ |--आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |

सीमन्त संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु -सुनें -भाग -26- ज्योतिषी झा मेरठ


 

सीमन्त संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु --सुनें -भाग -26--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
---प्रत्येक देश की सुरक्षा हेतु सीमा की व्यवस्था होती है |सीमा को आर- पार करने हेतु दोनों देशों को कुछ नियमावली का पालन करना पड़ता है | तभी मित्रता बनी रहती है | इसी प्रकार से जब माँ का गर्भ सातवां माह पूर्ण करता है तब जच्चा -बच्चा दोनों को अंदर और बाहर से खतरा रहता है -इस अनहोनी की घटना से माँ को बहुत ही सतर्क और सावधान रहना होता है --इसी का नाम महर्षियों ने सीमन्त संस्कार रखा है | नियमावली --वैसे यह संस्कार आज भी सभी माताएं तो नहीं करती है किन्तु -कुछ सतर्कता जरूर रखती हैं | -----अस्तु ---जब गर्भ सात माह का हो जाय तो सास को चाहिए -पुरोहित जी को बुलाकर पंचांग पूजन करायें पुत्रवधु से एवं घर की सीमा के बाहर न जायें साथ ही अपने आप को परमात्मा में तल्लीन करें जिससे गर्भ के अंदर शिशु की रक्षा परमात्मा करें और बहरी सुरक्षा माँ करें इससे दोनों का कल्याण होता है | ----ध्यान दें --प्रत्येक जातकों के तीनों संस्कार अवश्य होने चाहिए | आज हमलोग आधुनिकता में विशेष खो रहे हैं प्राचीन को विस्मृत करते जा रहे हैं ----क्योंकि जब हम आज भी -सूर्य ,चंद्र,अग्नि ,पवन ,वरुणदेव के बिना जी नहीं सकते हैं तो इन संस्कारों को कैसे भूल सकते हैं | जब हम आज भी उन्हीं मन्त्रों को मानते हैं अपनी -अपनी तमाम मनोरथों को उन्हों मन्त्रों से पूर्ण करने का प्रयास भी करते हैं तो भला सोचें हम अपने संस्कारों के बिना इनका सामना कैसे करेंगें | ---अतः इस पर अवश्य विचार करें | ---आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"पातक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "पातक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में पातक नामक कालसर्पयोग तब बनता है -यदि दशमभाव में राहु एवं चतुर्थ भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सभी सातों ग्रह इनके मध्य स्थित हों -तो "पातक "नामक कालसर्प योग का निर्माण होता है । ---पातक नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले जातक वैवाहिक जीवन में अन्य कुटुम्बियों की दखलन्दाजी के कारण अशांत रहते हैं । ऐसे जातक को पूर्वजों की सम्पति मिल जाय तो कुटुम्बीजनों से क्षतिग्रस्त हो जाती है । ऐसे जातक या जातिका के सन्तान और घरेलु जीवन ठीक रहा तो कर्मक्षेत्र ठीक नहीं रहेगा ,किन्तु जिन लीगों का कर्मक्षेत्र प्रभावशाली रहता है तो उनका घरेलु जीवन ठीक नहीं रहेगा । ऐसे जातक को ह्रदय रोग ,मधुमेह ,श्वासावरोध आदि काष्ठकारी राजरोग लगजाने की सम्भावना विशेष होती है । ---निदान -----वैसे अपने -अपने आचारों से राय लें -किन्तु धनाभाव में -देवी की उपासना एवं पंचमी ,सप्तमी ,नवमी एवं चतुर्दशी की तिथियों में पंचगव्य का पान करने से तथा रुद्राभिषेक से रोग एवं मनकी शान्ति प्राप्त कर सकते हैं । -----ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज में-https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




उपलब्ध है|--आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -26-ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--भाग -{26}-ज्योतिषी झा मेरठ

2010- में --ऑरकुट पर निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार की शुरुआत की थी जो आज तक चल रही है | ---अस्तु --नेट की दुनिया उत्तम भी है और अधम भी, केवल ये व्यक्ति की सोच पर निर्भर करती है कि आप क्या चाहते हैं | मेरे जैसा साधारण द्विज या कर्मकाण्डी ब्राह्मण को क्या मिलता --तो सोचने लगे -क्यों न अपने हृदय में जो मन्त्र हैं या ज्ञान है उनको लिखें | इससे दो बातें होंगीं पहली -फ्री सेवा देकर आप किसी व्यक्ति के ह्रदय में तभी समा सकते हैं जब आप वस्तुतः सत्य बातों को उकेरने की कोशिश करेंगें | दूसरी बात- बाल्यकाल से जब भी शिक्षा मिली केवल बोलने की मिली तो लिखना भी सीख जायेंगें | --ध्यान दें -कम्प्यूटर के न तो कोई गुरु मिले न ही वेसिक शिक्षा ही ली हमने अतः टाईपिंग मुझको आज भी नहीं आती है --पर हम लिखने में सक्षम हैं -हाँ तरीके से नहीं लिख पाता हूँ इस बात का मुझको खेद है |उस समय गूगल टॉक था लोगों से बातें बहुत होती थीं | दोस्त भी बड़े सभ्य होते थे ,आज भी उन दोस्तों में से कुछ दोस्तों का प्रेम मिलता रहता है | उस समय केवल ऑरकुट पर हिन्दी लिखने की सुविधा थी जो मुझ जैसे हिन्दी भाषी व्यक्ति को मिली | हमने कम से 500 लेख लिखे जो थे तो छोटे पर बड़े काम के थे --इन लेखों और सेवा के प्रभाव से केवल तीन मास में एक हजार दोस्तों की संख्या पूरी कर ली | एक दिन हमने देखा एक जेल का कैदी कोई व्यक्ति मुझको लिखा -श्रीमान आपके लेखों को नित्य पढता हूँ कभी मेरे जैसे व्यक्ति के बारे में भी लिखें | यह मुझको भी पत्ता नहीं था कि हम ब्लॉगर में जो लिखते हैं वो सभी पढ़ते हैं-इसका असर यह हुआ हम पहली बार समझें नेट की दुनिया में आप अपनी कला को ब्लॉगर के द्वारा जन -जन तक पहुंच सकते हैं वो भी निःशुल्क | फिर क्या था -हमने ब्लॉगर को तमाम लिंकों से सजाया साथ ही कोशिश करते रहे और हम क्या कर सकते हैं | यहाँ हमने -1000 आलेख लिखे | घीरे -धीरे नेट की दुनिया को समझने लगे | 2011 में हम पहलीबार फेसबुक पर आये | उस समय फेसबुक पर अच्छे लोग हुआ करते थे भारत के --अच्छे से मतलब एक दिन में बिना निमंत्रण दिए बहुत दोस्त बनते थे साथ ही सबकी प्रोफाइल सही होती थी इतना ही नहीं सक्षम व्यक्ति ही ज्यादा होते थे -हम जैसे अनपढ़ नहीं होते थे | अनपढ़ का अभिप्राय अंग्रेजी विहीन | यहाँ मेरा प्रभाव कैसे बढियां बने इसके लिए हमने चैटिंग से सेवा शुरू की --हम पूछते थे ज्योतिष की जानकारी चाहिए -वो बोलते थे जी जरूर -भविष्य बताएं हम लिखकर सेवा उन तक पंहुचाते थे | पर दिक्क्त थी सभी लोग या तो नेपाल ,बांग्लादेश ,--पाकिस्तान ,या जो भारतीय थे वो सभी दूर देश में रहते थे | साथ ही यह सेवा मुझको खलने लगी कई -कई बार एक ही व्यक्ति सेवा लेने लगे | आगे की कथा की चर्चा आगे करेंगें | |---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023

पुंसवन संस्कार क्यों होता है --सुनें -भाग -25--- ज्योतिषी झा मेरठ


 


पुंसवन संस्कार क्यों होता है --सुनें -भाग -25--- ज्योतिषी झा मेरठ--
--उत्तर ----वत्स -इस प्रकृति में जो भी वस्तु या चीजें हैं -सभी का विस्तार होता रहता है | जो छोटा है वो बड़ा होगा जो बड़ा होगा वो एक दिन समाप्त होगा | एक जैसा कोई भी इस प्रकृति में नहीं रहता है | एक जैसा केवल श्री हरी ही इस प्रकृति में रहते हैं | पर मानवों में वो कला है जो चाहे बन सकता है ,बना सकता है --वो चाहे तो असंभव हो संभव बना सकता है | ----मानवों के पूर्वज रिषि -महर्षियों ने -मानवों के हित के लिए षोडश संस्कार की रचना की | इन संस्कारों के बल पर ही असंभव को संभव किया जा सकता है | पर दुर्भाग्य यह है --इनमें से बहुत से संस्कार जातकों के होते ही नहीं हैं या माता पिता -उन संस्कारों से अनभिज्ञ हैं | वत्स हम भी इन संस्कारों को संतान होने के बाद जाना -अतः हमारे भी बहुत से संस्कार नहीं हुए किन्तु हम चाहते हैं --तुम सब इन संस्कारों को समझों और अपनाने की कोशिश करो | ------अस्तु ---जब माँ का गर्भ तीन माह का होता है -तो पूर्व के विधियों का परित्याग कर पुंसवन संस्कार --यानि जातक कैसे हृष्ट -पुष्ट हो-इस संस्कार से जातक हृष्ट -पुष्ट ही नहीं होता बल्कि ---नियमावली -यह है -जब गर्भ तीन माह का हो तो सास को पुरोहित जी को बुलाकर पहले पंचांग पूजन करना चाहिए फिर बट वृक्ष के पास जाकर उत्तम संतान यानि निरोगी संतान की कामना करनी चाहिए इतना ही नहीं -कृपया ध्यान दें आप सभी के मन में एक शंका आ सकती है कि इतने वृक्षों में बट वृक्ष ही क्यों -आम क्यों नहीं तो ध्यान दें --बट वृक्ष एक ऐसा वृक्ष इस जगत में है जो बिना खाद पानी के सभी वृक्षों से बलिष्ठ होता है --तो संतान कैसी होनी चाहिए बलिष्ठ या दुबला -पतला ----इसलिए इस वृक्ष से यह कामना करनी चाहिए -हे बटवृक्ष आपकी तरह हमारी संतान बलिष्ठ हो और प्रार्थना के बाद इस वृक्ष के दूध को मां के वायी नाक में दूध डालने से कन्या और दायीं नाक में दूध डालने से पुत्र की प्राप्ति होती है | ---आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"शंखनाद "नामक कालसर्प योग का प्रभाव पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "शंखनाद "नामक कालसर्प योग का प्रभाव पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में अगर भाग्य स्थान अर्थात नवमभाव में राहु हो एवं पराक्रम क्षेत्र अर्थात तृतीय भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सातों ग्रह दोनों मध्य स्थित हों तो "शंखनाद "नामक कालसर्प योग बनता है । प्रभाव -"शंखनाद "नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक प्रायः अपने दाम्पत्य जीवन से या परिवार से दुखी रहता है । भाग्य एवं कर्म क्षेत्र उत्तम होने पर भी किसी को स्त्रीकष्ट तो किसी को पुरुषकष्ट तो किसी को संतान कष्ट या फिर परिवार कलह से ही पीड़ित रहता है जातक । ऐसे जातक को जीवन में जाने -अंजाने कुछ गलतियां खुद से हो जाती है ,और अन्त में कठिन पश्चाताप ही हाथ लगता है । ऐसे जातक के गुप्त शत्रु बहुत होते हैं और शत्रुता घर से ही शुरू हो जाती है । इस कारण वही शत्रुता बाहरी जीवन में बिस्तार रूप ले लेती है । ऐसे जातक का नाम और लोकप्रियता विशेष होती है । ---निदान ---अपने -अपने ज्योतिषाचार्यों से निर्णय लें --धनाभाव या सरल उपाय यह है -पंचमी ,सप्तमि ,अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दर्शी तिथियों में दक्षिण मुखी हनुमानजी की उपासना करें साथ ही नारियल +प्रसाद + दक्षिणा के साथ यथा योग अर्पण करें केवल शुक्लपक्ष की तिथियों में -विजयी अवश्य होंगें । -- ------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -25ज्योतिषी झा मेरठ


 


""मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--"भाग -{25}-ज्योतिषी झा मेरठ

-2010 -अब हम 40 वर्ष के हो गए | एक दिन मेरी दूसरी कन्या {बालिका }बोली पिताजी मैं कम्प्यूटर सीखना चाहती हूँ -मैंने कहा अच्छी बात है | वेसिक सीख रही थी सीख भी ली पर घर में कम्प्यूटर नहीं होने के कारण सीखने में दिक्कत हो रही थी -पर मेरे जैसे साधारण पंडित के घर में इस यंत्र की क्या जरुरत थी तो -नहीं लेना चाहते थे साथ ही मंहगा भी था | पर एक दिन जहाँ सीख रही थी उसने विशेष समय सीखने नहीं दिया -इस बात की जानकारी मुझको दी | हम अपना कुछ स्वभाव बताना चाहते हैं ---हम कभी भी नवीन चीज लेना पसंद करते हैं ,सस्ती वस्तु मुझको पसंद नहीं है ,खराब वस्तु का हम शीघ्र त्याग कर देते हैं | हमारा रहन -सहन सात्विक और उत्तम दर्जे का होता है | नियम का पालन करना मेरा कर्तव्य है | संध्या -गायत्री के जाप हम बाल्यकाल से करते रहे हैं | जो मेरे पास है उससे मैं संतुष्ट रहता हूँ | याचना करना भिखारी जैसा समझता हूँ | अगर कोई कार्य ठीक नहीं होता है तो दोष हम अपना मानते हैं न कि भाग्य या पमात्मा का | हमें जो चीज चाहिए चाहे जितनी मेहनत करनी पड़े उस वस्तु को श्रम से या आराधना से प्राप्त कर लेता हूँ | ज्योतिष सत्य है -गलती मुझ जैसा व्यक्ति करता है | भोजन साधारण चाहिए | कोई मुझसे याचना न करें | शिक्षाविद एवं संतलोग तथा आचरणवान व्यक्ति मुझको परमात्मा जैसा दीखते हैं | माता पिता को प्रथम भगवान मानता हूँ | किसी का उपकार भूलता नहीं हूँ | समय का सदुपयोग मुझको पसंद है | मेरी हर वस्तु चीरकाल तक एक जैसी रहती है | क्रोध आने पर सबका नाश कर सकता हूँ | सत्य का अपमान करने वाला मुझको पसंद नहीं है | दुश्मनी आजीवन निभाता हूँ | वैसे शत्रुता पसंद नहीं है | मेरी सोच है व्यक्ति चाहे तो अपने श्रम से संसार की हर वस्तु प्राप्त कर सकता है | मेरे लिए -चाहे नेता हो या अभिनेता या प्रधान पद पर आसीन व्यक्ति हमें साधारण सा सभी दीखते हैं | चाकरी पसंद नहीं है | प्रेम एकबार ही और एक से ही करता हूँ | अपनी पतनी को सर्व सुन्दर मानता हूँ | प्रवचन ,उपदेश ,नियमावली ,शास्त्रीय संगीत ,लिखना ,याद करना तथा शिष्टाचार ,दान करना ,यज्ञ करना ,शास्त्रों को पढ़ाना ,सत्य बोलना ,भ्रमण अल्प करना ये सब ठीक लगता है |----अस्तु --अतः २७ हजार में जेनिथ कम्पनी का कम्प्यूटर खरीदा और मैं अपनी बेटी से कहा मुझको केवल खोलना और बंद करना सीखा दो | उसके बाद ईमेल बनाया और ऑरकुट पर पहलीबार आया 2010 में | हमें न तो अनुभव था न ही अंग्रेजी ही आती थी तो भला कैसे आगे बढ़ते फिर एकदिन सोचा क्यों न ऐसी आईडी बनाया जाय जिससे - लोग प्रभावित हों --तो ज्योतिष सेवा सदन के नाम से शुरुआत की --केवल तीन मास में एक हजार दोस्त बन गए | आगे की चर्चा कल करेंगें |---ॐ |-------ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है ------आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई-- - उपलब्ध हैं |

गर्भ और मृत्यु का देह से सम्बन्ध सुनें --खगोलशास्त्री झा मेरठ -भाग 24



 गर्भ और मृत्यु का देह से सम्बन्ध सुनें --खगोलशास्त्री झा मेरठ -भाग 24
कर्मकाण्ड जगत के 16 संस्कार हैं --पहला संस्कार --गर्भाधान संस्कार है | इन संस्कारों का सही अभिप्राय क्या है --ठीक से समझें और सुनें तभी समझ में आएगा --अन्यथा हास्य और उपहास तो मानव की सोच रहती ही है | --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को समझ हेतु --इस लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- -आपका खगोलशास्त्री झा मेरठ

"कर्कोटक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "कर्कोटक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में "कर्कोटक "नामक योग तब बनता है -जबकि अष्टम में राहु और द्वितीय भाव में केतु हो साथ ही सभी सूर्यादि सातों ग्रह इनके मध्य स्थिति हों । कर्कोटक नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले जातक की धन की स्थिति उत्तम नहीं रहती है । ऐसे जातक की जिंदगी में रहस्य्मय ,रोमांचक और आकस्मिक घटनाएँ घटित होतीं रहतीं हैं । जो कुछ होता है वह अकस्मात् ही होता है । चाहे शुभ हो या अशुभ कार्य । ऐसे जातक "प्राण जाय पर वचन न जाय " वाली बात पर अटल रहते हैं । ऐसे जातक के जब भी किसी से अनायास मधुर सम्बन्ध बनता है वह स्थिर नहीं होता है । रोजी -रोटी का उत्तम से उत्तम साधन मिलने पर भी ऐसे जातक असंतुष्ट रहते हैं । ----निदान -वैसे अपने -अपने आचार्य की बात का पालन करें -किन्तु धनाभाव या कुछ करने की कामना हो तो -शिव की उपासना से आयु की प्राप्ति प्राप्त करें और माँ लक्ष्मी की उपासना से धन से सदा युक्त रहें । अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दशी तिथियों में श्री फल और लाल फल माँ लक्ष्मी को अर्पण करने से लाभ अवश्य होगा । ----------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -24-- ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{24}-- ज्योतिषी झा मेरठ

2009 -हम चाहते थे कि अपने तमाम श्लोकों को संगीत से सजायें और माँ शारदे की कृपा से करने में सफल भी हुए | इस कार्य में मेरी भार्या ने बहुत साथ भी दिया किन्तु 2009 आते -आते सब्र टूट गया भार्या का और उलाहना देने लगी | यद्यपि मेरे घर में किसी वस्तु की कमी नहीं थी -मकान ,वाहन ,प्रेम सबकुछ था पर सगीत के क्षेत्र में मेरी कोई पहचान नहीं थी तो भला मेरे जैसे निकम्मे व्यक्ति का यही हाल होना था | हमने अपने हारमोनियम का परित्याग कर दिया | ऐसा नहीं कि ऐसा व्यक्ति मैं ही संसार में हूँ | बहुत से माता पिता अपनी संतानों पर धन इसलिए खर्च करते हैं कि उनको ज्ञान कम भले ही हो पर ओहदा जरूर मिले क्योंकि आज पढ़ाई धन के लिए पहले होती है ज्ञान के लिए बाद में | ऐसा भोले नाथ के साथ भी हुआ अपने लिए भिखारी रहते हैं तो दूसरों के लिए दानी है | बहुत से छात्र ज्ञान में सक्षम होते हैं किन्तु सफलता नहीं मिलती है तो आत्महत्या भी कर लेते हैं | मेरी ललक शिक्षा थी न कि धन -जब ज्ञान होता है तो धन खुद ही आता है | बहुत से लोग हैं जो जीजान से मेहनत करते हैं किन्तु राजा नहीं बन पाते हैं | ---तो भला मेरे जैसा नाकाम व्यक्ति ज्ञान की बात ही कर सकता है | मैंने अपनी कुण्डली देखने की कोशिश की कि आखिर मुझको सफलता क्यों नहीं मिलती है ऐसी सफलता नहीं जो पद न दिला सके, तो पत्ता चला मेरी कुण्डली में गुरु तृतीय भाव में हैं और शनि भाग्य में इसका मतलब है --मुझसे परिजनों को तो सुख मिलेगा किन्तु मुझको परिजनों से सुख नहीं मिलेगा | आगे मेरा भाग्य तो अच्छा रहेगा किन्तु पद नहीं मिलेगा | तीसरा जीवन में निरन्तर अध्ययन करता रहेगा | अतः हमने सोच लिया जिससे भार्या को कष्ट हो वो कार्य नहीं करेंगें ,संगीत की शिक्षा समाप्त कर दी | ----पर क्या करें गुनगुनाना बंद नहीं हुआ, -- |-------ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है ------आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई-- - उपलब्ध हैं |

सोमवार, 2 अक्टूबर 2023

गर्भाधान संस्कार किसे कहते हैं सुनें -भाग -23 -ज्योतिषी झा मेरठ



गर्भाधान संस्कार किसे कहते हैं सुनें -भाग -23 -ज्योतिषी झा मेरठ

 संस्कार किसे कहते हैं -सुनें -खगोलशास्त्री झा मेरठ --भाग-23
कर्मकाण्ड जगत के 16 संस्कार हैं --पहला संस्कार --गर्भाधान संस्कार है | इन संस्कारों का सही अभिप्राय क्या है --ठीक से समझें और सुनें तभी समझ में आएगा --अन्यथा हास्य और उपहास तो मानव की सोच रहती ही है | --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को समझ हेतु --इस लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- -आपका खगोलशास्त्री झा मेरठ

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मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...