ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुधवार, 4 अक्टूबर 2023

सीमन्त संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु -सुनें -भाग -26- ज्योतिषी झा मेरठ


 

सीमन्त संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु --सुनें -भाग -26--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
---प्रत्येक देश की सुरक्षा हेतु सीमा की व्यवस्था होती है |सीमा को आर- पार करने हेतु दोनों देशों को कुछ नियमावली का पालन करना पड़ता है | तभी मित्रता बनी रहती है | इसी प्रकार से जब माँ का गर्भ सातवां माह पूर्ण करता है तब जच्चा -बच्चा दोनों को अंदर और बाहर से खतरा रहता है -इस अनहोनी की घटना से माँ को बहुत ही सतर्क और सावधान रहना होता है --इसी का नाम महर्षियों ने सीमन्त संस्कार रखा है | नियमावली --वैसे यह संस्कार आज भी सभी माताएं तो नहीं करती है किन्तु -कुछ सतर्कता जरूर रखती हैं | -----अस्तु ---जब गर्भ सात माह का हो जाय तो सास को चाहिए -पुरोहित जी को बुलाकर पंचांग पूजन करायें पुत्रवधु से एवं घर की सीमा के बाहर न जायें साथ ही अपने आप को परमात्मा में तल्लीन करें जिससे गर्भ के अंदर शिशु की रक्षा परमात्मा करें और बहरी सुरक्षा माँ करें इससे दोनों का कल्याण होता है | ----ध्यान दें --प्रत्येक जातकों के तीनों संस्कार अवश्य होने चाहिए | आज हमलोग आधुनिकता में विशेष खो रहे हैं प्राचीन को विस्मृत करते जा रहे हैं ----क्योंकि जब हम आज भी -सूर्य ,चंद्र,अग्नि ,पवन ,वरुणदेव के बिना जी नहीं सकते हैं तो इन संस्कारों को कैसे भूल सकते हैं | जब हम आज भी उन्हीं मन्त्रों को मानते हैं अपनी -अपनी तमाम मनोरथों को उन्हों मन्त्रों से पूर्ण करने का प्रयास भी करते हैं तो भला सोचें हम अपने संस्कारों के बिना इनका सामना कैसे करेंगें | ---अतः इस पर अवश्य विचार करें | ---आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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