"पातक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
किसी भी जन्मकुण्डली में पातक नामक कालसर्पयोग तब बनता है -यदि दशमभाव में राहु एवं चतुर्थ भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सभी सातों ग्रह इनके मध्य स्थित हों -तो "पातक "नामक कालसर्प योग का निर्माण होता है । ---पातक नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले जातक वैवाहिक जीवन में अन्य कुटुम्बियों की दखलन्दाजी के कारण अशांत रहते हैं । ऐसे जातक को पूर्वजों की सम्पति मिल जाय तो कुटुम्बीजनों से क्षतिग्रस्त हो जाती है । ऐसे जातक या जातिका के सन्तान और घरेलु जीवन ठीक रहा तो कर्मक्षेत्र ठीक नहीं रहेगा ,किन्तु जिन लीगों का कर्मक्षेत्र प्रभावशाली रहता है तो उनका घरेलु जीवन ठीक नहीं रहेगा । ऐसे जातक को ह्रदय रोग ,मधुमेह ,श्वासावरोध आदि काष्ठकारी राजरोग लगजाने की सम्भावना विशेष होती है । ---निदान -----वैसे अपने -अपने आचारों से राय लें -किन्तु धनाभाव में -देवी की उपासना एवं पंचमी ,सप्तमी ,नवमी एवं चतुर्दशी की तिथियों में पंचगव्य का पान करने से तथा रुद्राभिषेक से रोग एवं मनकी शान्ति प्राप्त कर सकते हैं । -----ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज में-https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
उपलब्ध है|--आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई

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