विषाक्त" नामक कालसर्प योग की विशेषता -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "-
किसी भी जन्मकुण्डली में अगर एकादश भाव में राहु एवं पंचम भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सभी ग्रह इनके बीच के भावों में स्थित हों तो "विषाक्त "नामक कालसर्प योग बनता है । "विषाक्त "नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले लोग निर्माण कार्य ,नई खोज और उन्नतिशील जीवन लिए विशेष संघर्ष करते हैं । विद्या ,धन और पुत्र सम्बन्धी पूर्ण सुख की प्राप्ति में भी विशेष तकलीफ झेलनी पड़ती है ऐसे जातकों को । अर्थात इन तीनों सुख में किसी न किसी एक सुख की कमी अवश्य रहती है । ऐसे जातक का स्वभाव सरल और व्यवसायिक होता है । ऐसे जातक को काका ,चाचा ,ताऊ आदि के परिवार से भी प्रायः दुःखी रहना पड़ता है । --निदान -अपने -अपने आचार्य की बातों का अमल करना ही उचित लाभ देता है । फिर भी धनाभाव में पंचमी तिथि को स्वेत पुष्प माँ शारदे को प्रसाद एवं दक्षिणा अर्पण करें । अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दशी तिथियों में देवीसूक्त का पाठ करें । -----------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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