"शंखनाद "नामक कालसर्प योग का प्रभाव पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
किसी भी जन्मकुण्डली में अगर भाग्य स्थान अर्थात नवमभाव में राहु हो एवं पराक्रम क्षेत्र अर्थात तृतीय भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सातों ग्रह दोनों मध्य स्थित हों तो "शंखनाद "नामक कालसर्प योग बनता है । प्रभाव -"शंखनाद "नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक प्रायः अपने दाम्पत्य जीवन से या परिवार से दुखी रहता है । भाग्य एवं कर्म क्षेत्र उत्तम होने पर भी किसी को स्त्रीकष्ट तो किसी को पुरुषकष्ट तो किसी को संतान कष्ट या फिर परिवार कलह से ही पीड़ित रहता है जातक । ऐसे जातक को जीवन में जाने -अंजाने कुछ गलतियां खुद से हो जाती है ,और अन्त में कठिन पश्चाताप ही हाथ लगता है । ऐसे जातक के गुप्त शत्रु बहुत होते हैं और शत्रुता घर से ही शुरू हो जाती है । इस कारण वही शत्रुता बाहरी जीवन में बिस्तार रूप ले लेती है । ऐसे जातक का नाम और लोकप्रियता विशेष होती है । ---निदान ---अपने -अपने ज्योतिषाचार्यों से निर्णय लें --धनाभाव या सरल उपाय यह है -पंचमी ,सप्तमि ,अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दर्शी तिथियों में दक्षिण मुखी हनुमानजी की उपासना करें साथ ही नारियल +प्रसाद + दक्षिणा के साथ यथा योग अर्पण करें केवल शुक्लपक्ष की तिथियों में -विजयी अवश्य होंगें । -- ------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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