पाठकगण-- ध्यान दें ---चन्द्रमा जब सूर्य से ठीक 180 अंश पर पहुंच जाता है तो दोनों का फासला कम होना शुरू हो जाता है | ---जिस समय चन्द्रमा व सूर्य का अन्तर 96 अंश से कम होना प्रारम्भ होता है --उसी समय से कृष्ण पक्ष की अष्टमी प्रारम्भ हो जाएगी | इसी को प्रदर्शित करने के लिए पंचांग में लिखा रहता है --आज सप्तमी 32 घटी 15 पल --कल अष्टमी 29 घटी 27 पल ---इसका अर्थ हुआ कि जिस स्थान के हिसाब से पंचांग बनाया गया है ---उस स्थान पर सूर्योदय के उपरान्त 32 घटी 15 पल पर सूर्य व चन्द्रमा का अन्तर 96 अंश हो जायेगा और दूसरे दिन --उसी पंचांग के स्थान पर --- सूर्योदय के उपरान्त 28 घटी 27 पल पर सूर्य -चन्द्रमा का अन्तर 84 घटी रह जायेगा --अर्थात अष्टमी समाप्त हो जाएगी |
---तिथि ------------------------------ --- तिथियों क्र स्वामी
---1 ---------प्रतिपदा -------------------------------------------- अग्नि
--2 -------द्वितीया --------------------------------------------------ब्रह्मा
---3 --------तृतीया -------------------------------------------------गौरी
---4 -------चतुर्थी ---------------------------------------------------गणेश
----5 -------पंचमी --------------------------------------------------शेषनाग
---6 ----------षष्ठी ---------------------------------------------------कार्तिकेय
--- 7 ----------सतमी -----------------------------------------------------सूर्य
--8 ---------अष्टमी ----------------------------------------------------शिव
----9 --------नवमी -----------------------------------------------------दुर्गा
--10 ----------दशमी ---------------------------------------------------काल
---11 ----------एकादशी ----------------------------------------------विश्वेदेवा
---12 -----------द्वादशी ---------------------------------------------------विष्णु
-----13 -------त्रयोदशी --------------------------------------------------कामदेव
---14 --------चतुर्दशी -----------------------------------------------------शिव
----15 -------पूर्णिमा ------------------------------------------------------चन्द्रमा
---1 6 ----- अमावस्या ------------------------------------------------------पितर
---तिथियों का फलादेश परैत करते समय पाठकों को उनके स्वामियों के सम्बन्ध में विचार अवश्य करना चाहिए | जिस तिथि के स्वामी का जैसा स्वभाव है ,वो ही स्वभाव उस तिथि और जातक का भी होगा | --अगले भाग में तिथियों के फलादेश पर प्रकाश डालने का प्रयास करेंगें ------ ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com




















