ज्योतिषाचार्यों के मत से "मास " शब्द फारसी भाषा का "माह "शब्द से बना है | फारसी भाषा में सकार हकार में बदल जाता है --जैसे मास का माह रह गया ,--जिसका अर्थ चन्द्रमा होता है | हिन्दी भाषा का महीना शब्द भी इसी फारसी माह शब्द से माहीना तथा महीना बना है | संभव है --आंग्लभाषा का मूल शब्द जिसका अर्थ चन्द्रमा होता है --वो भी बिगड़ कर मुंथ अथवा मंथ शब्द बना हो --जिसका अर्थ भी महीना है |
----मासों का वर्गीकरण ---भारतीय संस्कृति के अनुसार निम्न तीन प्रकार का वर्गीकरण है ---
{1 }---नक्षत्रों के आधार पर चान्द्रमास ,---{2 }---संक्रान्तियों के आधार पर सौरष मास ,--{3 }--ऋतुओं के आधार पर आर्तव मास ---|
----वेदों में मासों के नाम ऋतु पुरक सिद्ध किये हैं --कुछ आर्ष -ग्रंथों में नक्षत्रों की संज्ञा ग्रहण की है | वेदों का मत स्पष्ट नहीं है ,भ्रान्ति -मूलक है | आचार्यों का अभिमत है कि हिन्दू मासों का नाम नक्षत्रों के नाम पर ही रखे गए हैं | --ध्यान दें --भारतीय संस्कृति आद्य संस्कृति है --कई शासक हुए --इस संस्कृति पर बहुत से शासकों ने प्रहार किये -- चूकी पहले मौखिक भाषा थी तो -श्रावण करने में कहीं न कहीं त्रुटियां रही जिसे --आचार्यजनों ने ठीक किया --और यही सच भी संभव है | ---आगे मास तालिका दिखाने का प्रयास करेंगें साथ ही मास शब्द पर कुछ और विवेचन करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

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