ज्योतिष जगत में मासों की रचना का आधार तीन हैं --{1 }-नक्षत्रों के आधार पर चन्द्र मास ,--{2 }--संक्रान्तियों के आधार पर सौरष मास ,--{3 }--ऋतुओं के आधार पर आर्तव मास -----पाठकगण --वास्तव में आचार्यों ने सर्वसम्मति से नक्षत्रों के आधार पर मासों की रचना को ठीक माने हैं --अब देखें यह रचना क्रम से कैसी है -साथ ही एकदम सटिक फार्मूला है -क्रम से देखें और अनुमान लगायें -
--------------नक्षत्र ----------हिन्दूमास -----अंग्रेजीमास ------मुसलमानीमास ------------परसीमास
{1 }---------- चित्रा -------------चैत्र ,---------अप्रैल ------------रबिलाखर -------------------तीर
{2 }----------विशाखा ----------वैशाख -----------मई ------------जमादिलावर --------------अमरवाद
-{3 }-------------ज्येष्ठा =--------ज्येष्ठ ,-----------जून ----------------जमादिलाखर ----------शेहरेवर
{4 ----------- ----पूर्वाषाढ़ा =---आषाढ़ --------जुलाई ----------------रज्जय ---------------------मेहर
{5 }------श्रवण---= --------------श्रावण ---=-----अगस्त -----------------साबान --------------आबान
{6 }--------पूर्वाभाद्रपद -----------भाद्रपद ---------सितंबर ----------------रमजान -------------आजूर
{7 }-------अश्विनी------ --------------आश्विन ------अक्टूबर ----------------सब्बाल ---------------दय
{8 }-----कृतिका -------------कार्तिक ---------------नवंबर ------------------जिल्काद -----------बहमन
{9 }-------मृगशिरा ---------मार्गशीर्ष ----------------दिसंबर ---------------जिल्देज़ -----------इंसपिदाद
{10 }-----पुष्य -----------------पौष -------------------जनवरी ----------------मोहर्रम ---------फरपरदिन
{11 }-------मघा ---------------माघ ----------------------फरवरी ---------------सफ्फर ----------अर्दीबेस्त
{12 }----पूर्वाफाल्गुनी ---------फाल्गुन -------------------मार्च -----------------रविलावल ----------खोरदाद
----प्रिय पाठकगण --आपने देखा नक्षत्रों के आधार पर चाहे -भारतीय मास हों ,अंग्रेजी मास हों या हिजरी मुसलमानी मास हों या फिर पारसी मास ----ध्यान दें --पंचांग में --हिजरी मासों का भी जिक्र होता है और अंग्रेजी मासों का भी --क्योंकि सनातन संस्कृति पर -जिन -जिन शासकों ने शासन किया उन्होनें -सनातन को या तो मिटाने की कोशिश की या अपनी -अपनी छाप छोड़ी ---इसलिए पंचांग संस्कृत में है --तो हिजरी या सन लिखने की जरुरत क्यों पडी --भाव यह है --इनके साथ सनातन को चलना पड़ा तो --आज भी लिखना पड़ता है ---हो सकता है --एक दिन आचार्यजन --इन बातों पर भी एक न एक दिन विचार करेंगें --तब -यह पंचांग भी स्वतंत्र होगा | ---अगले भाग में हिजरी सन और पारसी वर्ष पर बताने का प्रयास करेंगें ----भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

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