ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

ज्योतिष कक्षा पाठ -18 -तिथियां क्यों -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


"ज्योतिषशास्त्र "में चन्द्रमा की एक कला को तिथि माना जाता है | तिथियों की गणना -शुक्लपक्ष -से आरम्भ होती है | -अमावस्या -के बाद की प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियां --शुक्लपक्ष -की तथा पूर्णिमा के बाद की प्रतिपदा से आरम्भ करके अमावस्या तक की तिथियां -कृष्णपक्ष -की होती हैं | --इस प्रकार एक माह में दो पक्ष होते हैं --{1 }--शुक्लपक्ष ,----{2 }---कृष्णपक्ष ---| 

--------------------------------------तिथि अंक तालिका -----------------------------------------------------

   तिथियों के अंक  -----       कृष्णपक्ष    ---      तिथियों के अंक     -      शुक्लपक्ष  

-------1 - --------            --- प्रतिपदा    ----        --  -1  -----                 प्रतिपदा 

--1 -  -------------                   द्वितीय               -2   ------                       द्वितीय 

--3 --- ------------                   तृतीया           ---  ---3 ----                       तृतीया 

--4 -- -------------                      चतुर्थी             ---4 -----                       चतुर्थी 

--5 ----   ---------------                   पंचमी          ----5 ------                    पंचमी 

---6 -------------------------            षष्ठी            -----6 --------             --- षष्ठी 

---7 -----------------------              सप्तमी          -----7 -----------              सप्तमी 

---8 -----   ------------------            अष्टमी        -----8 ----------                  अष्टमी 

----9 ------ ---------------------          नवमी            ---9 -----------                 नवमी 

---10 ----------------------------         दशमी           ----10 ---------                दशमी 

----11 ----  ------------------------       एकादशी        ------11 ---------           एकादशी 

----12 ------------------------------        द्वादशी            -----12 ---------           द्वादशी 

----13 ----  --------------------------      त्रयोदशी           ----13 -------              त्रयोदशी 

----14 ----- ----------------------------       चतुर्दशी        ------14 ----------    --- चतुर्दशी  

--15-------------------------------     ------ पूर्णिमा          ----15  ---------- पूर्णिमा

--उक्त दोनों पक्षों की पूर्णिमा और अमावस्या के अतिरिक्त अन्य तिथियों के नाम एक जैसे होते हैं | ये निम्नलिखित हैं --प्रतिपदा ,द्वितीया ,तृतीया ,चतुर्थी ,पंचमी ,षष्ठी ,सप्तमी ,अष्टमी ,नवमी ,दशमी ,एकादशी ,द्वादशी ,त्रयोदशी ,चतुर्दशी ----चतुर्दशी के बाद शुक्लपक्ष की पंद्रहवीं तिथि को पूर्णिमा तथा कृष्णपक्ष की तीसवीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है | तिथियों की 1 ,2 ,3 ,4  आदि अंकों के रूप में लिखा जाता है | पूर्णिमा तक यह क्रम 15 तक की संख्या तक चलता है ,--किन्तु उसके बाद पुनः 1 ,2 ,3 और 4 लिखा जाता है | --जिस दिन अमावस्या होती है ,उस दिन अमावस्या तिथि को 30 अंक के रूप में लिखा जाता है | उपरोक्त तालिका में दोनों पक्षों के अंक के अंक निर्धारित किये गये हैं | 

----हमारे पाठकगण -तिथियों की विशेष जानकारी अगले भाग में लिखने का प्रयास करेंगें ---- -- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



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