ज्योतिष जगत में सूर्यदेव को सम्राट और चंद्रदेव को मन्त्री आचार्यों ने कहा है | सनातन संस्कृति में सूर्यदेव +चंद्रदेव दोनों को भगवान की उपाधि दी है --मुस्लिम जगत या पारसी जगत दोनों ने भी चंद्रदेव मानते हैं |---अस्तु --
----मुहम्मद पैगम्बर ईस्वी सन -622 तारीख -15 के दिन मक्के से मदीना आ गये थे ---उसी दिन से हिजरी सन की शुरुआत हुई | इसका प्रारम्भ मौहर्रम मास की पहली तारीख से होता है | इनका वर्ष चंद्रमास का माना जाता है | अमावस्या के बाद जिस दिन प्रथम चन्द्रदर्शन होता है -उस दिन को मास का पहला दिन माना जाता है | -
चूकि चन्द्रदर्शन रात को होता है --अतः वार का आरम्भ भी रात को होता है | अर्थात हमारी सोमवार की रात्रि उनकी भौमवार -मंगलवार -की रात्रि मानी जाती है | दिन का व्यवहार प्रथम चंद्र ,द्वितीय चन्द्र --इत्यादि रूप से अथवा तारीख के नाम से किया जाता है | इनका वर्ष 354 दिन का होता है | यह वर्ष चंद्र दिन का होने के कारण हरेक तीसरे वर्ष इनका मौहर्रम हमारे मास से एक दिन पहले होता है | इस तरह 32 व 33 वर्ष पर इनके सन का एक अंक बढ़ता जाता है |
------पारसी सन को एजदी जर्द कहते हैं ---का प्रारम्भ ईस्वी सन 630 के अनन्तर आरम्भ हुआ | इनके मास 30 सावन दिन के रहते हैं | अतः सौर वर्ष -से सम्बन्ध रखने के लिए प्रतिवर्ष के अंत में 5 दिन अधिक मानते हैं |
---पाठकगण --विश्व का कोई भी वर्ष हो --सभी में कुछ न कुछ अन्तर है --आज विश्व को अंग्रेजी वर्ष के साथ -साथ ही चलना होता है --कोई भी भाषा हो या कोई भी देश हो --सबकी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है --आधुनिक समय में भारतीय पंचांग --संवत ,शाके ,हिजरी ,सन और एजदी जर्द के साथ --कदम से कदम मिलाकर चलता है --जिसकी झलक पंचांग में देखने को मिलता है | ---अगले भाग में मासों का फलादेश समझाने का प्रयास करेंगें ----- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

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