ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

तृणमूल कांग्रेस का प्रभाव -2024 -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी मेरठ


ॐ तृणमूल कांग्रेस के सर्वेसर्वा मुख्यमन्त्री महोदया -सुश्री ममता बनर्जी के बारे में यह दूसरा अवसर है जो लिखने का प्रयास कर रहा हूँ | पहला आलेख -2018 में लिखा था -वह   फलादेश मेरे लिखने के अनुकूल नहीं था -वैसे हमने  कहा था --यह अन्तिम राजनीति के उच्तम शिखर का कालखण्ड दीदी का चल रहा है --यह 2028 तक चलेगा | --अस्तु -----------  तृणमूल कांग्रेस -की मूल राशि तुला है | साथ ही पार्टी की सर्वेसर्वा  मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी हैं जिनकी खुद की राशि सिंह है | सिंह का स्वामी सूर्य नूतन -2024 वर्ष कुण्डली में केन्द्र में चतुर्ग्रही योग में अति विकल अवस्था में बैठा हुआ है | ---भावार्थ --2024 +25 के मार्च तक की ग्रहचाल --राजा मन्त्री मंगल +शनि तथा राहु तीनों सूर्य को परेशान कर रहे हैं ----प्रस्तुत योगायोग के कारण सुश्री ममता दीदी के लिए -2024 +25 अनुकूल नहीं रहेगा | गठबन्धन का फायदा किसी राजनैतिक दल के प्रभावी व्यक्ति विशेष को मिलेगा | --अतः यह चिन्ता अपनी सीट बचाने की विशेष रहेगी | पश्चिम बंगाल की राजनीति में भारी उठा -पटक के योग बन रहे हैं | राज्य में तोड़ -फोड़ ,मारपीट ,सत्ता हस्तान्तरण की लड़ाई आर -पार की लड़ी जायेगी | कांग्रेस पार्टी भी विरोधी की भूमिका निभायेगी | 

-----सबसे बड़ी बात अभी दीदी का सर्वोत्तम समय --2028 मार्च तक रहेगा | इसके बाद राजनीति अवकाश की ओर ईशारा कर रही है | ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com




रविवार, 11 फ़रवरी 2024

जनतादल यू का प्रभाव -2024 -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ संवत -2081 शाके -1946 --सन 2024 +25 के मार्च तक --जनतादल यू पार्टी की ज्योतिष भविष्यवाणी की बात करें ---ध्यान दें --बिहार के मुख्यमन्त्री श्री नितीश कुमार जी के बारे में -2018 में लिखा था --श्री नितीश जी कहीं भी रहें सत्तासीन रहेंगें ---यह हो भी रहा है --भले ही परिस्थिति कैसी भी हो --| -----अस्तु -------

---जनतादल यू --की राशि मकर है | इस दल के सर्वेसर्वा --वर्तमान एकबार फिर से मुख्यमन्त्री श्री नितीश कुमार जी ही हैं --जिनकी राशि वृश्चिक है  | मकर राशि का स्वामी शनि वर्ष --2024 में मन्त्री बना  है  | साथ ही वृष्चिक राशि का युवराज मंगल राजा होगा ----प्रस्तुत योगायोग से निश्चित है बिहार प्रान्त में श्री नितीश जी का वर्चस्व बना रहेगा | पार्टी के अन्तर्विरोध को कम करने में मुख्यमन्त्री श्री नितीशजी को सफलता मिलेगी | --भले ही पूर्ण रूपेण सफल न हों | श्री नितीशजी को चौदह दलों के संगठन में सक्रिय भूमिका नहीं निभाकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने की सही कोशिश की हैं | --2024 में श्री नितीश जी के लिए ग्रहचाल अन्तर्विरोध को बढ़ाने वाली  है | सम्भव है --अभी आगे भी अलट -पलट का योग चलेगा | ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



राष्ट्रीय जनता दल -प्रभाव -2024 पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ-संवत -2081 -शाके 1946 -सन -2024 +2025 के मार्च तक -राष्ट्रीय जनता दल -का प्रभाव कैसा रहेगा  -ज्योतिष भविष्यवाणी की बात करें तो --इस दल के प्रभावी नेता श्री तेजप्रताप यादव जी की तुला राशि है और इस दल से राशि सामंजस्य बना हुआ है | --2024 नूतन वर्ष प्रवेश कुण्डली में शुक्र चार ग्रहों के चक्र में अतिविकल है | --भाव --इससे स्पष्ट है कि श्री तेजस्वी यादव जी को पार्टी के झगड़े -झमेले सुलझाने भीतरघाती समस्या सुलझाने में काफी व्यस्त रहना पड़ेगा | सरकार में सामञ्जस्यता न के बराबर हो पायेगी | पार्टी को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ेगा | -प्रस्तुत योगायोग के कारण  श्री तेजप्रताप यादव जी का मन स्वतः नकारात्मक रुख की ओर अग्रसर होने लगेगा -----ज्योतिष की दृष्टि से --राष्ट्रीय जनता दल + श्री तेजप्रताप यादवजी का परस्पर मेल है साथ ही लोगों में भरोसा भी रहेगा ---किन्तु प्रगति के लिए --सकारात्मक सोच और अकेले चलने में ही उत्तम रहेगा | --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

आम आदमी पार्टी का प्रभाव -2024 -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ --- पाठकगण --महोदय श्री अरविन्द केजरीवाल जी  के बारे -2013 -से लिखते आ रहे हैं | एक नया भारत -उत्तम भारत का निर्माण  -2013 के बाद शुरू होने वाला था --उस समय बहुत से ऐसे नेता रहे जिनका पदार्पण होने वाला था साथ ही प्रमुख योगदान करने वाले थे ---जैसे श्रीमोदीजी ,श्रीराहुलगांधी जी ,श्री केजरीवालजी ,श्री अखिलेशजी ---हमने सबसे ज्यादा जो आलेख लिखे --उसमें प्रमुख रूप से --श्रीमोदीजी ,श्रीराहुल जी ,श्री केजरीवालजी --लिखने का अभिप्राय था -हम भी नये -नये -ज्योतिष की नेट की दुनिया में 2010 में आये थे | जब चैनलों पर आने के लिए धन माँगा गया तो हमने सोचा --क्यों न खुद ही बिना विज्ञापन के आगे बढ़ें और बढ़ते गये | 

---अस्तु ----आम आदमी पार्टी -के प्रमुख या ये कहें सर्वेसर्वा महोदय श्री अरविन्द केजरीवाल जी मुख्यमन्त्री दिल्ली सरकार ---की जन्मकुण्डली के अनुसार --कुण्डली में जन्मजात कालसर्पदोष योग बना हुआ है | यह योग आय ,शिक्षा ,सन्तान और बौद्धिक क्षेत्रों में प्रभाव डालता है | इस कालसर्पयोग के प्रभाव से श्री केजरीवाल जी के अगले कदम  का अन्दाज का तो उनके विरोधी तो क्या कहें --साथ रहने वाले भी नहीं भांप पायेंगें | श्रीकेजरीवाल जी के भाग्येश तथा कर्मेश शनि को वर्ष -2024 में मन्त्री पद मिला है --अतः -शनिदेव के प्रभाव से अनेक स्थानों पर सफलता मिलेगी | आम आदमी पार्टी का अमेक्षित विस्तार होता जायेगा | अन्य पार्टियों  के साथ गठजोड़ में आम आदमी पार्टी को सफलता तो मिलेगी --किन्तु न के बराबर-- अतः अकेले चलने में ही उन्नति होगी | श्रीमनीष सिसोदिया जी और श्री सतेन्द्र जैन जी जैसे नेता के लिए आने वाला -2024 वर्ष भी उत्तम नहीं  रहेगा  | सबसे बड़ी बात श्री केजरीवाल जी की कुण्डली में स्वराशि का मंगल और नीच का शनि बारहवें भाव में --ये ऐसा योग है --गढे  में गिरने के बाद भी व्यक्ति को एक सशक्त बनाता है --इसका लाभ जीवन पर्यन्त मिलता रहेगा | --एक और विशेष योग --पराक्रम क्षेत्र में सूर्य +चन्द्र की युति --यह योग प्रभाव क्षेत्र ,सगे -सम्बधियों से लाभ निरन्तर देता रहेगा | --मेरी एक सलाह है --चतुर्थ भाव में गुरु +शुक्र +बुध --यह ऐसा योग है -सम्पत्ति ,वाहन ,माता --इनसे बचे रहें या इन क्षेत्रों पर सतर्कता रखें --तो कभी हानि नहीं होगी --किन्तु यही वो कमी है --जो निरन्तर चिन्ता प्रदान करता रहेगा | ----भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

समाजवादी पार्टी -का प्रभाव -2024 -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ - पाठकगण  समाजवादी पार्टी के बारे में लिखने का यह दूसरा अवसर है -पूर्व 2018 में लिखा था  -तब भी सर्वेसर्वा श्री अखिलेश जी ही थे --समस्या तब भी थी --समस्या आज भी है | --ध्यान दें --ज्योतिष वो कक्षा है जिसमें सभी का लेखा -जोखा तो होता है -पर कोई भी ज्योतिषी भाग्य नहीं बदल सकते हैं --सिर्फ व्यक्ति ही अनुकरण या अनुशरण से अपने में निखार ला सकता है | ------अस्तु ---

---समाजवादी पार्टी --वर्तमान समय में पार्टी के सर्वेसर्वा फिर से एकबार श्री अखिलेश यादव जी हैं जिनकी राशि मेष है |  समाजवादी पार्टी की राशि कुम्भ जिसका स्वामी शनि है | दोनों में समानान्तर नहीं है इसलिए इस पार्टी में सदा प्रगति और अवनति बनी रहेगी | सिंह राशि का स्वामी सूर्य ,मेष का मंगल और कुम्भ का स्वामी शनि है | यह ऐसा योग है जिसका परस्पर तालमेल उत्तम नहीं है  | एक कहावत है --तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा -तत्काल इस पार्टी पर यह उक्ति सही बैठती है  | श्री अखिलेशजी पार्टी को उच्च शिखर पर ले जाना चाहते हैं किन्तु गठबन्धन के प्रभावी नेता उन्हें ऐसा करने के लिए हतोत्साहित करते रहेंगें | श्री अखिलेशजी नये रास्ते पर कदम रखने के लिए विवशतावश तैय्यार हो जायेंगें | --ज्योतिष की नजर में अकेले चलने में ही साथ ही -अपनों के साथ चलने में उत्तम रहेगा --इससे ही पार्टी आगे बढ़ेगी | श्री अखिलेश जी अपने बलबूते पर आगे बढ़ेंगें -- तब तो प्रगति पथ पर चलते जायेंगें -अन्यथा हानि होगी -सर्वहारा वर्ग को साथ लेकर आगे बढ़ना ही फायदे में रहेगा | --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com


बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

आई कांग्रेस -अध्यक्ष - श्री खड़केजी का प्रभाव -2024 --पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक्टर श्री मनमोहन सिंहजी ,श्रीलाल कृष्ण अडवाणी जी ,श्रीमती सोनिया गांधीजी --महाभाग श्रीमोदी जी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष  युवराज राहुल गांधीजी के बारे में कई बार लिखने मौका मिला --किन्तु --महोदय श्री खड़के जी के बारे में पहली बार लिखने की कोशिश कर रहा हूँ | ---सबसे बड़ी बात कुछ ऐसे महान विभूतियां हमारे देश में हैं -जो बड़े भी हैं साथ ही पहली कतार के नेता हैं --इनका प्रभाव स्वतः ही है -लिखने की जरुरत नहीं है -- ज्योतिषी होने के नाते भविष्य की कामना में ललचा जाता हूँ ---अस्तु ---

----आई कांग्रेस --की वस्तुतः प्रभाव राशि ज्योतिषाचार्यजन मिथुन मानते हैं | पार्टी अध्यक्ष पद आसीन श्री मल्लिकार्जुन खड़के जी की राशि सिंह है --एवं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष  और सर्वाधिक प्रभावशाली नेता श्री राहुल गांधी जी है --जिनकी राशि तुला है | वर्ष प्रवेश -2024 की कुण्डली में मिथुन का स्वामी बुध पंचम भाव  में गुरु बृहस्पति के साथ विराजमान है ,----इसका भाव यह है --इस वर्ष -2024 में आई कांग्रेस पार्टी को अपेक्षित सफलता मिलती रहेगी | देश का  चुनाव हो या राज्य की  पार्टी  अपने प्रदर्शन में निरन्तर सुधार करती जायेगी साथ ही देश में खोई हुई प्रतिष्ठा को पाने का भरसक प्रयत्न करेगी | अन्य दलों से टूटकर आये नेता टिकट पाने में सफल होंगें | ---कहीं -कहीं पार्टी को भीतरघात का सामना भी करना पड़ेगा | पार्टी अध्यक्ष जी की राशि का स्वामी सूर्यदेव सुख स्थान में राहु +चन्द्र एवं सुख के साथ युति बना रहे हैं | पार्टी में संघर्ष बढ़ता चला जायेगा ,प्रमुख नेता के साथ विवाद बड़ा रूप धारण करेगा | ----प्रस्तुत योगा -योग के कारण मुख्य चुनावों के बाद पार्टी अध्यक्ष पद पर आसीन रहना --वर्तमान अध्यक्ष जी के लिए उत्तम नहीं रहेगा | भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024

श्री जे पी नड्डा अध्यक्ष भाजपा -ज्योतिष विशेष -2024 -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ -भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष  श्री जे पी नड्डा जी कुण्डली में गुरु केन्द्रेश होकर भाग्य क्षेत्र में शुक्र की राशि में बैठा है | एक देवगुरु तो दूसरे दानव गुरु -दोनों का सम्बन्ध गुरुओं का भी है  | मन का कारक चन्द्रमा तथा आत्मबल करने वाले सूर्यदेव केन्द्रेश बुध के साथ कुण्डली  क्षेत्र  में हैं | ---प्रस्तुत --ग्रहों के अनुसार श्री नड्ढाजी पार्टी स्तर पर राजनीति  के संदर्भ में  बोलने और आगे बढ़ने की अद्भुत कला विशेष प्रखर होगी -2024 +25 में | श्री नड्ढाजी आम चुनावी सभा में जो भी कहेंगें --उसका विशेष प्रभाव जनता जनार्दन पर जमाने में सफल होंगें | ---2024 --में चुने गए राजा मंगल एवं मन्त्री शनिदेव दोनों ग्रह शनिदेव की कुम्भ राशि में विराजमान हैं | साथ ही शनिदेव को इस वर्ष -२०२४ में संचार सञ्चालन हेतु मन्त्री चुना गया है | देश के केन्द्र में जितने भी अधिकारी जन होते हैं --उनमें सर्वाधिक मन्त्री पद पर आसीन व्यक्ति की ही चला करती है | इस वर्ष -मन्त्री शनिदेव सभी देशों से गोला -बारूद ,अति आधुनिक हथियार खदीद करवायेंगें --क्योंकि शनिश्चर की इनमें आस्था रमी हुई है | शनिदेव की आस्था --आसमान में उड़ने वाले वायुयान ,ऊपर से बरसाने वाले गोला -बारूद ,जल ,थल ,नभ पर भरमार अजीब तरह के अश्त्र -शस्त्र की होड़ बढ़ायेंगें | महाभारत काल से पहले भी ऐसा हो गया था | उस समय परमपिता परमात्मा को पृथ्वी पर आना पड़ा था ---जब -जब होहि धर्म की हानि बाढ्य  अधम असुर अभिमानी "--इस समय संसार में जो कुछ हो रहा है --वह किसी से छिपा नहीं है --अतः आने सनातन का आने वाला वर्ष -2024 +24 में विशेष उत्पात देखने को मिलेगा | ---एक उक्ति पर गौर करें ----उत्तर -पश्चिम देश बहु ,रूद्र बीसी माहि ,क्रूर दृष्टि शनि की पड़े ,कालबली में जीव समाहि ,,

विश्व युद्ध तृतीय जगत ,बीजा रोपड़ माहि ,कालबली मुख खोले ,अन टोके जीव समाहि ,,---नूतन सम्वत 2021 अर्थात 2024 से 2025 के मार्च तक भारतीय जनता पार्टी में बड़ा फेर बदल होगा | किसी बड़े नेता के निष्कासन के लिए पार्टी पदाधिकारियों  में झगड़ा बढ़ जायेगा | दूसरे दलों से आये हुए नेता पार्टी की मुसीबतों में बढ़ोत्तरी ही करते नजर आयेंगें और जनमानस से पार्टी की छवि खराब करेंगें | --हमने श्री नड्ढाजी के बारे में गतवर्ष -2023 में भी लिखने की कोशिश की थी --इनके सान्निध्य में पार्टी आगे बढ़ेगी | नूतन वर्ष -2024 भी यही ईशारा कर रहा है | --- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com


सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

महाभाग श्री मोदीजी और भाजपा का प्रभाव -2024 पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ भारतीय जनता पार्टी -पार्टी के सर्वेसर्वा वर्तमान यशस्वी महाभाग श्री मोदीजी ---आपका जन्म 17 /09 /1950 मेहसाणा गुजरात प्रान्त {भारत } का है | आपकी वृश्चिक लग्न की जन्मकुण्डली उपलब्ध है | लग्न में स्वग्रही मंगल नीच का चन्द्रमा मित्रक्षेत्री है | ज्योतिष जगत में इसे तर्क -वितर्क का सर्वोत्तम योग कहा जाता है --क्योंकि भाग्येश चन्द्रमा लग्न यानि त्रिकोण में विराजमान है --साथ ही शनि +शुक्र का  योग बृहस्पति से प्रभावित है | --वस्तुतः --महाभाग श्रोमोदी जी प्रधानपद पर आसीन हैं तत्काल अपने ऊपर लगे आरोपों को भी अपने पक्ष में भुनाने में माहिर हैं | --आगे 2024  में होने वाले आम चुनाव में भाजपा का सम्पूर्ण देश तथा प्रदेशों में विशेष वर्चस्व बढ़ेगा | यह भी संभव है कि महाभाग श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदीजी तीसरी बार आर्यावर्त "भारत " का नेतृत्व संभालने में कामयाब होंगें | नूतन संवत 2081 का प्रभाव -29 /03 /2025 तक रहेगा | सन -2024 की ग्रहचाल चुनावी वर्ष का राजा मंगल तथा मन्त्री शनि है | 9 /04 /2024 -चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा मंगलवार में मेष का चन्द्रमा पूर्ण बलवान बनकर नेतृत्व करेगा | चन्द्रमा मित्रक्षेत्री पूर्ण बली होकर --अग्रिम आम चुनाव 2024 में तीसरी बार भी श्री महाभाग मोदीजी के लिए अनुकूल रहेंगें --साथ ही जीवन का अन्तिम सुखद मंगल महादशा भी चल रही है --इसका लाभ -2028 तक रहेगा | आम चनाव में गोचर की अनुकूलता -प्रतिकूलता ही उत्थान -पतन का कारण बना करती है | --भाजपा के लिए वर्ष -2024 में होने वाला आम चुनाव अनुकूल रहेगा ---पूर्व की अपेक्षा सीटें भी उम्मीद के करीब रहेंगीं | दिल्ली में भौतिक विकास को बल मिलेगा | भाजपा को शान्ति सूत्र ,विकासशील कामकाज में मोदीमंत्र -जन -जन में हृदयंगम होने लगेगा | भाजपा अपने बल पर बहुत आगे बढ़ेगी | निष्पक्ष भावना को ध्यान में रखकर काम करेंगें | किसी का सम्मान अथवा अपमान --श्री महाभाग की दिनचर्या में शामिल नहीं है | ---नोट ध्यान दें -- 2013- जब सिर्फ श्रीमोदीजी मुख्यमन्त्री थे तबसे लिखता आ रहा हूँ साथ ही अपनी कसौटी पर ज्योतिष को परखने की भी कोशिश करता रहता हूँ --ज्योतिष तो सच है गलती हमसे ही होती है | --- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com





शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

ज्योतिष कक्षा पाठ-17 -अंग्रेजी मास और उनकी उत्पत्ति -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


रोमन तथा आंग्ल भाषा  साहित्य में ही नहीं ,संप्रदाय में भी उग्र संक्रांतियां हुई हैं | देवार्चन -को वहां भी महत्व और प्रधानता दी गई है | उसी के आधारभूत देवताओं पर उनके मास प्रस्तुत हैं --

{1 }--जनवरी -जेनस नामक एक रोमन देवता के नाम पर वर्ष के प्रथम मास का नाम जनवरी रखा गया | इस देवता के सम्बन्ध में यह प्रसिद्धि है कि इसके दो मुख थे | एक सामने की ओर तथा दूसरा पीछे की ओर --इस तथ्य में यह  औचित्य है कि जब हम बीते हुए वर्ष की सफलताओं और असफलताओं पर विचार करते हैं --तो हमें आगे आने वाले नववर्ष की नूतन योजनाओं का भी विवेचन करना पड़ेगा | भाव यह है कि जेनस आदि और अंत का देवता समझा जाता है | 

---{2 }--फरवरी --प्राचीन रोमन जगत में फेबुआ नामक एक बहुत बड़ा भोज हुआ करता था ,जो अति पवित्र तथा पुण्यतम माना जाता था --इसी के नाम पर वर्ष के दूसरे मास को फेबुरी कहा गया | 

---{3 }--मार्च ---रोमन के एक देवता का नाम मार्स था | वो देवता युद्ध का प्रतीक माना जाता था | उसी के गुणों के आधार पर तीसरे मास का नाम मार्च रखा गया | 

----{4 }---अप्रैल ---रोमन भाषा में दो शब्द हैं --अमोनिया और एपारि जिनका अर्थ है --सब कुछ खोल देना | उसी पर वर्ष के चौथे मास का नाम अप्रैल पड़ा और यह भी कितना सार्थक नाम  है  --क्योंकि अप्रैल के मास में ही यूरोप की धरती पल्ल्वित होती है | यह अप्रैल ही है --जो धरती पर से बर्फ और कुहासा का आवरण उठा देता है और प्रकृति को सर्व सुन्दर रूप प्रदान करता है | 

---{5 }---मई --इस मास का यह नाम एटलस की कन्या "मइया " से उपलब्ध हुआ है | मइया अपनी सातो बहनों से अति सुन्दर थी और वर्ष के बारहो महीनों में भी मई का महीना प्रकृति को सर्व सुन्दर रूप प्रदान करता है | 

----{6 }--जून --यह शब्द जुपिटर की पत्नी जूनों से प्राप्त हुआ है | यह अपरिमित सुंदर और सुकोमल थी | इसके रथ के वाहक घोड़े नहीं बल्कि मयूर थे | 

---{7 }--जुलाई ---इसका नाम रोमन के महान शासक जूलियस सीजर से मिला | वो यशस्वी और लोकप्रिय शासक थे | 

---{8 }---अगस्त --आक्टेवियस  का ही एक रूप अगस्त है | यह नाम जूलियस के पोते का था | वो साहित्य और कला के लिए प्रख्यात था इसी के नाम पर अगस्त नाम रखा गया | 

----{9 }--सितंबर --सेप्टेम्बर -"सेप्टेम "यह शब्द लेटिन भाषा का शब्द है --जिसका अर्थ सातवां  है | वर्ष का आरम्भ जब मार्च से हुआ करता था --तब यह सातवां था | किन्तु जूलियस सीजर के जनवरी को वर्ष का प्रथम मास का स्थान देने के कारण इसका क्रम नवां हुआ | 

----{10 }---अक्टूबर -यह भी लेटिन भाषा का शब्द है --जिसका अर्थ आठ है ,किन्तु जनवरी मास को प्रथम  स्थान देने से इसका क्रम दसवां हो गया | 

---{11 }----नवंबर ---नोवेम भी लेटिन शब्द है | इस मास को रक्त मास नाम से पुकारते हैं ,---क्योंकि इसी मास में मुख्यतः पशु संहार किया जाता था | इस कारण इसका नाम नवंबर रखा गया | 

---{12 }---दिसंबर ---लैटिन भाषा के इस शब्द का अर्थ दसवां है | जूलियस ने मासक्रम में इसका स्थान बारहवां रखा है | ईसामसीह का जन्म इसी मास में हुआ था | 

---पाठकगण --आधुनिक समय में कोई भी देश हो सबको आंग्लभाषा के साथ -साथ चलना पड़ता  है | जबकि सभी देशों में अपने -अपने अनुसार पंचांग हैं किन्तु --सभी ने आंग्लभाषा में समाहित किया है --अतः ज्योतिष की दुनिया में यह ज्ञान हमें अवश्य होना चाहिए --अगले भाग में तिथियों पर चर्चा करेंगें ----- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



ज्योतिष की दृष्टि में -मुस्लिम राष्ट्र -2024 -पढ़ें --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ -हिजरी सन 1946  का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण के स्थान पर जाकर विराजमान है ----इसकी वजह से मुस्लिम देशों की  स्थिति बद से बदतर होती चली जायेगी | मुस्लिम राष्ट्रों पर ऋण का वजन बढ़ता चला जायेगा | अनेक प्रकार की बिमारियों से जनता पीड़ित रहेगी |  सहायता मांगने पर भी मिलना अत्यधिक कठिन संभव है |मुस्लिम  किसी देश  में राष्ट्राध्यक्ष का पतन अराजक स्थिति उत्पन्न करेगा | सरकार को आपात काल की घोषणा करनी पड़ सकती है | प्रजा के विरुद्ध दमनकारी नीतियों का सहारा लेना पड़ सकता है | शनि पर मंगल की दृष्टि के प्रभाव अनुसार किसी देश को युद्ध जैसी स्थितियों से गुजरना पड़ेगा | भयंकर अस्त्र -शस्त्रों  का प्रयोग  खुद  के लिए भी विनाश की वजह बनेगी | तत्काल की कुण्डली के तृतीय भाव से लेकर सभी ग्रह क्रम से विराजमान हैं ----जिससे सारे मुस्लिम समाज में एकता का प्रसार होगा | सभी मुस्लिम देश मिलकर किसी देश के खिलाफ एक हो सकते हैं | ---- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com




शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

पश्चिम +उत्तर के देशों पर शनिदेव की दृष्टि का प्रभाव पढ़ें -2024 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04  /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही है | वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है --जिसे वर्ष का राजा चुना गया है | मन्त्री पद शनिदेव के साथ उसी चतुर्थ  घर में  विराजमान है | शनि +मंगल ने आपस में दोस्ती भी कर ली है | विश्व कुण्डली के केन्द्र में दोनों ग्रहों का वर्चस्व बना हुआ है | --भाव --दोनों ग्रह एक- दूसरे के विचार से काम करेंगें | 

-----मंगल ग्रह स्वभाव से अग्नितत्व का अंगारक है ,--जिसे समस्त आचार्यों ने युद्धप्रिय ,गोला ,बारूद बरसाने वाला स्वभाव का ग्रह मान रखा है | शनिदेव ग्रह का इतिहास और भूगोल तो सबकी जानकारी में है ही --भाव --जिस पर नजर पड़ जाए उसकी खैर नहीं | जैसे शनिदेव आँखों पर पट्टी बांधकर श्री गणेशजी को देखने गए थे --माँ आदिशक्ति पार्बती जी के कहने पर पट्टी खोलते ही जो हुआ उसे सभी जानते हैं | 

----तत्काल संवत्सर की गणना के अनुसार 60 में से 20 संवत रूद्र के चल रहे हैं --शनिदेव की नजर अभी चार साल --यानि 26 /03 /2028 तक उत्तरी गोलार्ध के पश्चिमी भूभाग के कुछ देशों पर पड़ती रहेगी | --अर्थात --शनिदेव की दृष्टि से स्थिति उत्तम नहीं रहेगी विश्व के कुछ देशों की | 

---ध्यान  दें --यह भारतीय ज्योतिष की मान्यता रही है ,---सब स्वीकार करें या न करें | जिस संवत में जो ग्रह चुन लिए जाते हैं ,उनकी मनमर्जी से वर्ष पर्यन्त सब कुछ चलता रहता है | इस वर्ष -2024 +25 मार्च तक बुद्धि स्थान कुण्डली का पंचमभाव में शुक्र +बुध मलेच्छ ग्रह राहु के साथ हैं | तामसी प्रवृत्ति  वाले अपने ज्ञान का सदुपयोग धर्म सम्मत नहीं करते हैं | न चाहते हुए भी दो वर्ग विशेष आपस में लड़ते -झगड़ते रहेंगें | सत्ता की छीनाझपटी में कोई प्रभावशाली व्यक्ति काल के गर्त में समा जायेगा | 

---कर्मक्षेत्र का स्वामी सूर्य तथा नौवें भाव का अधिनायक चन्द्रमा त्रिक स्थान में बैठे हैं | साथ ही बुद्धि +धन स्थान का स्वामी बृहस्पति सौर कुण्डली में त्रिक स्थान में कर्मक्षेत्र के स्वामी सूर्य को लेकर बैठे हैं | --प्रस्तुत योग से स्पष्ट है कि संसार की सर्वाधिक धन ,सम्पत्ति ,ऐस्वर्य क्षमता ,युद्धोत्पाति मारक हथियार ,दूरगामी शस्त्र ,गोला बारूद ,भवन निर्माण अर्थ व्यवस्था  सही करने में लगेगी | 

---नोट -2024 तथा 2025 में आकाशीय ग्रहगोचर संसार में सभी जगह शान्ति स्थापना का संकेत दे रहे हैं | विश्व में कोई देश सबसे शक्तिशाली बनकर उभरेगा | इसकी वजह से सर्वत्र शान्ति की कोशिश होगी | 2024 में अत्याधुनिक हथियार गोला बारूद अनेक प्रकार की मशीनरी बहुत तेजी से निर्माण --एवं नए सिरे से अविष्कार होंगें | संसार की सोच नया कुछ करने में सक्षम रहेगी | बहुत तेजी से विकास की गति बढ़ेगी | --- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com




ज्योतिष कक्षा पाठ -16 - हिजरी सन और पारसी मास -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


 ज्योतिष जगत में सूर्यदेव को सम्राट और चंद्रदेव को मन्त्री आचार्यों ने कहा है | सनातन संस्कृति में सूर्यदेव +चंद्रदेव दोनों को भगवान की उपाधि दी है --मुस्लिम जगत या पारसी जगत दोनों ने भी चंद्रदेव मानते हैं |---अस्तु --

----मुहम्मद पैगम्बर ईस्वी सन -622 तारीख -15 के दिन मक्के से मदीना आ गये थे ---उसी दिन से हिजरी सन की शुरुआत हुई |  इसका प्रारम्भ  मौहर्रम मास की पहली तारीख से होता है | इनका वर्ष चंद्रमास का माना जाता है | अमावस्या के बाद जिस दिन प्रथम चन्द्रदर्शन होता है -उस दिन को मास  का पहला दिन माना जाता है | -

चूकि चन्द्रदर्शन रात को होता है --अतः वार का आरम्भ भी रात को होता है | अर्थात हमारी सोमवार की रात्रि उनकी भौमवार -मंगलवार -की रात्रि मानी जाती है | दिन का व्यवहार प्रथम चंद्र ,द्वितीय चन्द्र --इत्यादि रूप से अथवा तारीख के नाम से किया जाता है | इनका वर्ष 354 दिन का होता है | यह वर्ष चंद्र दिन का होने के कारण हरेक तीसरे वर्ष इनका मौहर्रम हमारे मास से एक दिन पहले होता है | इस तरह 32 व  33 वर्ष पर इनके सन का एक अंक बढ़ता  जाता है | 

------पारसी सन  को एजदी जर्द कहते हैं ---का प्रारम्भ ईस्वी सन 630 के अनन्तर आरम्भ हुआ | इनके मास 30 सावन  दिन के रहते हैं | अतः सौर वर्ष -से सम्बन्ध रखने के लिए प्रतिवर्ष के अंत में 5  दिन अधिक मानते हैं | 

---पाठकगण --विश्व का कोई भी वर्ष हो --सभी में कुछ न कुछ अन्तर है --आज विश्व को अंग्रेजी वर्ष के साथ -साथ ही चलना होता है --कोई भी भाषा हो या कोई भी देश हो --सबकी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है --आधुनिक समय में भारतीय पंचांग --संवत ,शाके ,हिजरी ,सन और एजदी जर्द के साथ --कदम से कदम मिलाकर चलता है --जिसकी झलक पंचांग में देखने को मिलता है | ---अगले भाग में मासों का फलादेश समझाने का प्रयास करेंगें ----- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

ज्योतिष कक्षा पाठ -15 - मासों की रचना कैसे हुई -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ज्योतिष जगत में मासों की रचना का आधार तीन हैं --{1 }-नक्षत्रों के आधार पर चन्द्र मास ,--{2 }--संक्रान्तियों के आधार पर सौरष मास ,--{3 }--ऋतुओं के आधार पर आर्तव मास -----पाठकगण --वास्तव में आचार्यों ने सर्वसम्मति से नक्षत्रों के आधार पर मासों की रचना को ठीक माने हैं --अब देखें यह रचना क्रम से कैसी है -साथ ही एकदम सटिक फार्मूला है -क्रम से देखें और अनुमान लगायें -

--------------नक्षत्र ----------हिन्दूमास -----अंग्रेजीमास ------मुसलमानीमास ------------परसीमास 

{1 }---------- चित्रा -------------चैत्र ,---------अप्रैल ------------रबिलाखर -------------------तीर 

{2 }----------विशाखा ----------वैशाख -----------मई ------------जमादिलावर --------------अमरवाद 

-{3 }-------------ज्येष्ठा =--------ज्येष्ठ ,-----------जून ----------------जमादिलाखर ----------शेहरेवर 

{4 ----------- ----पूर्वाषाढ़ा =---आषाढ़ --------जुलाई ----------------रज्जय ---------------------मेहर 

{5  }------श्रवण---= --------------श्रावण ---=-----अगस्त -----------------साबान --------------आबान 

{6  }--------पूर्वाभाद्रपद -----------भाद्रपद ---------सितंबर ----------------रमजान -------------आजूर 

{7  }-------अश्विनी------ --------------आश्विन ------अक्टूबर ----------------सब्बाल ---------------दय 

{8  }-----कृतिका -------------कार्तिक ---------------नवंबर ------------------जिल्काद -----------बहमन 

{9  }-------मृगशिरा ---------मार्गशीर्ष ----------------दिसंबर ---------------जिल्देज़ -----------इंसपिदाद 

{10  }-----पुष्य -----------------पौष -------------------जनवरी ----------------मोहर्रम ---------फरपरदिन 

{11 }-------मघा ---------------माघ ----------------------फरवरी ---------------सफ्फर ----------अर्दीबेस्त 

{12  }----पूर्वाफाल्गुनी ---------फाल्गुन -------------------मार्च -----------------रविलावल ----------खोरदाद 

----प्रिय पाठकगण --आपने देखा नक्षत्रों के आधार पर चाहे -भारतीय मास हों ,अंग्रेजी मास हों या हिजरी मुसलमानी मास हों या फिर पारसी मास ----ध्यान दें --पंचांग में --हिजरी मासों  का भी जिक्र होता है और अंग्रेजी मासों  का भी --क्योंकि सनातन संस्कृति पर -जिन -जिन शासकों ने शासन किया उन्होनें -सनातन को या तो मिटाने की कोशिश की या अपनी -अपनी छाप छोड़ी ---इसलिए पंचांग संस्कृत में है --तो हिजरी या सन लिखने की जरुरत क्यों पडी --भाव यह है --इनके साथ सनातन को चलना पड़ा तो --आज भी लिखना पड़ता है ---हो सकता है --एक दिन आचार्यजन --इन बातों पर भी एक न एक दिन विचार करेंगें --तब -यह पंचांग भी स्वतंत्र होगा | ---अगले भाग में हिजरी सन और पारसी वर्ष पर बताने का प्रयास करेंगें ----भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com


मंगलवार, 30 जनवरी 2024

2024 +25-की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50  पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बुध के साथ उपस्थित हैं |  लग्न पर किसी पापग्रह की दृष्टि नहीं पड़ रही है -साथ ही उसमें कोई  पापग्रह उपस्थित होकर दोष युक्त भी नहीं  बना रहा है | --इसका फल यह है इस वर्ष -2024 में सब तरफ सुख का संचार होगा | प्रजा सुख शान्ति का अनुभव करेगी | कृषि में समयोचित पैदावार बढ़ने से किसानों में खुशहाली रहेगी | किसानों के सभी रुके हुए काम सम्पन्न होंगें |--प्रजाजनों का  समाज में मान -सम्मान बढ़ेगा | देव् दर्शन की इच्छाशक्ति बढ़ेगी | कारखानों में मजदूरों के सहयोग से उत्पादन बढ़ेगा | भारत देश अब अनेक देशों की आवश्यकताओं की वस्तुओं के निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सबसे आगे रहेगा | 

----भारत की स्थिति संयुक्तराष्ट्र जैसी संस्था में मजबूत होती जायेगी | विश्व में भारत का मान बढ़ेगा | भारत देश की राजनीति स्थिरता से समस्त विश्व प्रभावित होगा | विश्व शान्ति में भारत प्रमुख भूमिका निभाने में सक्षम होगा | अब अनेक देश भारत की ओर देखने लगेंगें | देश के वैज्ञानिक अपनी नवीन खोजों से संसार को चकित करेंगें | देश की प्रतिभा का सम्मान  बढ़ता जायेगा | खेल जगत में उत्कृष्ट प्रदर्शन ख़ुशी का माहौल रहेगा | 

-----चैत्र अमावस्या की ग्रहचाल वर्ष प्रवेश कुण्डली के अनुसार ---इस वर्ष राजा मंगल ने मन्त्री शनि से स्थान सम्बन्ध बना लिया है | इसका अभिप्राय है --जो मन्त्री कहेगा --राजा वही करेगा | एकाबली  योग की कुछ विशेषताएं --भारत के साथ कई देशों की स्थिति बदलेगी अर्थात -2024 +25 में कई देश शक्तिशाली होंगें या रक्त से लहुलहान होंगें | देश में किसी प्रदेश की सरकार लुढ़क जाएगी | --इसका एक प्रमाण देखें --यत्र मासे मही सुणोर्जायन्ते पंच वासराः ,रक्तेन पूरिता पृथ्वी छत्र भंगसतदा  भवेत "-- इस वर्ष -2024 +25 के मार्च तक पृथ्वी पर कहीं ना कहीं झगड़े -झमेले होते रहेंगें | भारत को कुछ पड़ौसियों की हरकतों पर प्रतिक्रिया देनी होगी | पश्चिम के देशों में युद्धोत्पात ,कुछ देशों में हो रहा है --यह घटना विशेष के बाद ही बन्द होगा | तत्काल  विश्व समुदाय में आपसी द्वेषभाव वैर -विरोध ,कटुता इतनी बढ़ गयी है --यह बिना सुलझाये नहीं सुलझेगी | इस पर सभी राष्ट्रनेताओं -बुद्ध जीवियों को विचार करना चाहिए | आतंकवाद ,युद्धोत्पात कभी किसी को कुछ देता नहीं है बल्कि बर्बादी की ओर ले जाता है | ---विशेष --अभी शनिदेव की दृष्ट्रि -तीन वर्ष उत्तर -पश्चिम पर रहेगी --इसका भले ही प्रभाव रहे -कुछ प्रमुख राजनेताओं को ध्यान अवश्य देना होगा अन्यथा --कोई किसी कम नहीं रहेगा - आने वाला समय ईशारा कर रहा है | ---भारत भूमि के लिए सर्वोत्तम वर्ष रहेगा -2024 -राजनीति और देश स्थिर और अडिग -ग्रहों से अनुभव हो रहा है | ----नूतन संवत -2081 वर्ष -- 2024 +25 की समस्त भविष्यवाणी जानने हेतु इस लिंक पर पधारें -भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com


ज्योतिष कक्षा पाठ -14 - मास किसे कहते हैं -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


ज्योतिषाचार्यों के मत से "मास " शब्द फारसी भाषा का "माह "शब्द से बना है | फारसी भाषा में सकार हकार में बदल जाता है --जैसे  मास का माह रह गया ,--जिसका अर्थ चन्द्रमा होता है  | हिन्दी  भाषा का महीना शब्द भी इसी फारसी माह शब्द से माहीना  तथा महीना बना है | संभव है --आंग्लभाषा  का मूल शब्द जिसका अर्थ चन्द्रमा होता है --वो भी बिगड़ कर मुंथ अथवा मंथ शब्द बना हो --जिसका अर्थ भी महीना है | 

----मासों का वर्गीकरण ---भारतीय संस्कृति के अनुसार निम्न तीन प्रकार का वर्गीकरण है ---

{1 }---नक्षत्रों के आधार पर चान्द्रमास ,---{2 }---संक्रान्तियों के आधार पर सौरष मास ,--{3 }--ऋतुओं के आधार पर आर्तव मास ---| 

----वेदों में मासों के नाम ऋतु पुरक सिद्ध किये हैं --कुछ आर्ष -ग्रंथों में नक्षत्रों की संज्ञा ग्रहण की है | वेदों का मत स्पष्ट नहीं है ,भ्रान्ति -मूलक है | आचार्यों का अभिमत है कि हिन्दू मासों का नाम नक्षत्रों के नाम पर ही रखे गए हैं | --ध्यान दें --भारतीय संस्कृति आद्य संस्कृति है --कई शासक हुए --इस संस्कृति पर बहुत से शासकों ने प्रहार किये -- चूकी पहले मौखिक भाषा थी तो -श्रावण करने में कहीं न कहीं त्रुटियां रही जिसे --आचार्यजनों ने ठीक किया --और यही सच भी संभव है | ---आगे मास तालिका दिखाने का प्रयास करेंगें साथ ही मास शब्द पर कुछ और विवेचन करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com


सोमवार, 29 जनवरी 2024

ज्योतिष कक्षा पाठ -13- वर्ष किसे कहते हैं -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


   भचक्र में भ्रमण करता हुआ सूर्य जब एक चक्र पूरा कर देता है ,तो उसे वर्ष की संज्ञा दी जाती है | ऋग्वेद में वर्ष के वाचक शरद और हेमन्त शब्द आये हैं ,वहां इन शब्दों का अर्थ ऋतु न मानकर संवत्सर बताया गया है | 

---गोपथ ब्राह्मण में वर्ष के लिए "हायन " शब्द आया है | बाजसनेयि  संहिता में वर्ष के लिए "समा " शब्द का व्यवहार हुआ है | ऋग्वेद के दसवें मंडल में " समानां  मास आकृतिः --इस मन्त्र में "समा " शब्द के द्वारा ही वर्ष शब्द का प्रतिपादन किया गया है | 

----वर्ष या संवत्सर की व्युत्पत्ति करते हुए शतपथ ब्राह्मण में लिखा है --ऋतुभिहि संवत्सरः शकपनोति स्थातुम -- अर्थात जिसमें ऋतुएं  वास करती हैं --वह वर्ष या संवत्सर कहलाता है | वर्ष को दो भागों में विभाजित किया गया है ---{1 }-सौर वर्ष ,---{2 }--चांद वर्ष -------सौर वर्ष --पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने के लिए 365 दिन 15 घंटे और 11 मिनट का जो समय लगता है --उसे सौर वर्ष कहते हैं | 

----चांद वर्ष --चन्द्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए 354 दिन का जो समय लगता है --उसे चांद वर्ष कहते हैं | ----हमारे  ज्योतिष के पाठकगण --ज्योतिष जगत की जानकारी में सूर्य और चन्द्रमा से ही सम्पूर्व ग्रहों की जानकारी संभव है --अतः -पहला सूर्य मास जिसे सौर वर्ष कहते हैं ,---दूसरा चांद वर्ष --चंद्र वर्ष  कहते हैं | --आगे  मास शब्द की व्याख्या करेंगें ------भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com


रविवार, 28 जनवरी 2024

ज्योतिष कक्षा पाठ -12 - सूर्य और काल -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


काल और महाकाल में महान अन्तर है | काल शब्द समयवाची है | सूर्य और पृथ्वी के पारस्परिक दिन संबंध का बोध जिससे होता है --उसे समय या काल कहते हैं | किन्तु महाकाल की सत्ता इससे भिन्न है | उसमें उत्पत्ति ,स्थिति और लय ,---इन तीनों क्रमिक अवस्थाओं का आकलन होता है | 

----महर्षियों ने काल को मुख्यतः पांच भागों में विभाजित किया है ,जो निम्न हैं --{1 }-वर्ष ,--{2 }-मास ,--{3 }-दिन ,--{4 }--लग्न ,--{5 }--मुहूर्त --| --मेरे प्रिय ज्योतिष पाठकगण --अब हम क्रम से इन पांच बातों को क्रम से समझाने का प्रयास करेंगें | ज्योतिष की दुनिया बहुत ही विस्तृत और विशाल है --किन्तु आज के समय में केवल --राशि ,महादशा -योगायोग ,नक्षत्रों पर ही सीमित रह गयी है --इसलिए आज के समय में सभी ज्योतिषी कहलाते हैं ---हम चाहते हैं --आप ज्योतिषी नहीं खगोलशास्त्री बनें -जिसमें समस्त जीव -जन्तु विद्यमान हैं | ---अब अगले भाग में वर्ष किसे कहते हैं पर परिचर्चा करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com



संवत -2081 और सन -2024 +25 संसार की भविष्यवाणी पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ  इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों  के चुनाव में  राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशों में टकराव बढ़ेगा | दोनों शनि +मंगल के प्रभाव में इस वर्ष -2024 +25 विश्व में राजनीति एवं सामाजिक तौर पर बड़े बदलाव होंगें | संसार में युद्धोत्पात समूचे समाज के लिए चिन्ता -व्यथा ,रोगोत्पात का विषय बनेगा | जल ,थल तथा नभ में अत्याधुनिक हथियार ,गोला -बारूद ,अनेक प्रकार के वायुयान ,ड्रोन ,तोप ,नाना प्रकार के नये -नये हथियार संहार में शामिल होते जायेंगें | 

---विश्व के अधिकांश देशों में हा ! हा !! कार मचेगा | मन्त्री शनि नये -नये विश्व विनाशक तथा लम्बी दूरी तक मार करने वाले हथियार अस्त्र -शस्त्र बनवाने में कोताही नहीं बरतेगा | शनि अपने स्वभाव के अनुसार उत्तरी गोलार्ध में नाटो देशों को देखता रहेगा | 

---शनि की दृष्टि अभी तीन साल और उत्तर -पश्चिम के देशों पर पड़ती रहेगी |शनि की भूमिका चालू युद्ध में घी डालने वाली रहेगी |  यह तो सभी जानते हैं - शनि दृष्टि पड़ते ही गणेशजी का सिर धड़ से अलग हो गया था | 

----इस वर्ष -2024 +25 -मेघेश ,फलेश ,दुर्गेश शुक्र के प्रभाव में सभी जगह अधिक वर्षा ,बाढ़ या बांध विखण्डन ,जलप्रलय ,भूकम्प ,झंझाबात ,भूस्खलन ,मेघगर्जना ,बिजली तड़कना ,हिमस्खलन ग्लेशियर पिघलना आम बात रहेगी | फल -फूल ,हरी सब्जियां का उत्पादन कम रहेगा | दुर्गेश शुक्र मन्दिर -मस्जिद ,गुरुद्वारा ,चर्च ,मजार ,अन्य पूजास्थलों की कम ही सुरक्षा कर सकेगा | कहीं दो वर्ग विशेषों  में जमकर झगड़ा होगा | जान -माल की बहुत हानि हो सकती है | 

----धान्येश सूर्य को चुना गया है | अन्नादि वस्तुओं का उत्पादन कम होगा , गन्ना ,हरीसब्जियां ,धान ,आलू ,सोयाबीन ,मूंगफली ,मिर्च -मसाला विभिन्न औषधियों  में उत्पादन क्षमता बढ़ेगी | भाव भी समानान्तर चलते रहेंगें | 

----रसेस  गुरु होने से रसीले फल -फूल ,चीनी ,हरीमटर ,चना ,प्याज ,लहसुन ,अदरख ,निम्बू ,रंगरोगन ,स्टील आदि धातुओं  में बढ़ोत्तरी होगी | -


--नूतन संवत -2081 वर्ष -- 2024 +25 की समस्त भविष्यवाणी जानने हेतु इस लिंक पर पधारें -भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com


शनिवार, 27 जनवरी 2024

ज्योतिष कक्षा भाग -11 -मौसम किसे कहते हैं -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


जैसाकि सभी को ज्ञात है कि पृथ्वी सूर्य के चारो ओर घूमती है और सूर्य के वारों और पृथ्वी की परिक्रमा के कारण मौसम बदलते रहते हैं  |  पृथ्वी की विशेष स्थिति 21 जून को होती है ,उस समय उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है तथा उत्तरी ध्रुव  सूर्य की ओर झुका होता है ,--इसलिए दिन रात की तुलना में अधिक लंबे होते हैं | उत्तरी ध्रुव के निकट तो दिन चौबीसो घंटे का होता है | इसके विपरीत उस समय दक्षिणी ध्रुव में सर्दियों का मौसम होता है ,क्योंकि दक्षिणी ध्रुव सूर्य के परे होता है और दिन रात  की तुलना में छोटे होते हैं  | 

----इसके अतिरिक्त इस अवधि  में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध की सतह पर सीधी पड़ती हैं | विशेष रूप से कर्क रेखा पर लंब रूप में होती हैं | मकर रेखा पर उन दिनों सूर्य की किरण सीधी लंब रूप में न पड़कर ,कोण बनाती हुई पड़ती हैं | इससे उनका ताप वहां पर कम मात्रा में पहुंचता है | 

----22 दिसंबर को उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों का मौसम और दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियों का मौसम होता है | इन दिनों उत्तरी ध्रुव सूर्य से हटा होता है ,जिस करण उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे और दक्षिणी गोलार्ध में दिन बड़े होते हैं | दक्षिण में मकर रेखा पर सूर्य की किरणें लंबाकार रूप में पड़ती हैं और उत्तर में कर्क रेखा पर कोण बनाती हुई !

----22 दिसंबर तथा 21 मार्च को उत्तरी गोलार्ध में बसंत ऋतु होती है | उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव दोनों ही सूर्य की ओर बराबर झुके होते हैं | इस प्रकार दिन और रात हरेक स्थान पर बराबर होती हैं | भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं | इस अवधि में दिन और रात की लंबाई बराबर होती है | 

---उम्मीद करता हूँ -मौसम की जानकारी सही समझ में आ गयी होगी --आगे सूर्य और काल की चर्चा करेंगें --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com




ज्योतिष कक्षा भाग -10 -अयन किसे कहते हैं -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


   सूर्य का आना -जाना "अयन " कहलाता है |  हिन्दू -धर्म की मान्यतानुसार अयन दो होते हैं ,जिनकी कालावधि "कालविधि " उत्तरायण -13 या 14 जनवरी से आरम्भ होकर ,जो संक्रमण 15 जुलाई को समाप्त होता है ,--उसे उत्तरायण कहते हैं | --इसी प्रकार 16 जुलाई से 12 जनवरी तक की कालावधि दक्षिणायन समझी जाती है | 

---उत्तरायण में शुभकार्य किये जाते हैं और दक्षिणायन में कोई भी शुभकार्य नहीं किया जाता है | उत्तरायण सूर्य में जन्म लेने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्नचित ,स्त्री और पुत्रादि से संतोष एवं सुख पाने वाला ,दीर्घायु ,श्रेष्ठ ,अचार -विचार वाला ,उदार व धैर्यशील होता है | ----जबकि दक्षिणायन सूर्य में जन्म लेने वाला व्यक्ति कृपण ,पंडित ,लोक प्रसिद्ध ,पशुपालक ,निष्ठुर ,दुराग्रही और उच्छृंखल होता है | 

----कुछ ज्योतिष -संहिता के ग्रंथों में उत्तरायण को देवता का दिन कहा है ,जबकि सूर्य विषुव वृत्त से उत्तर में रहता है | मेरु पर रहने वाले देवताओं को वो छह मास तक सतत दिखाई देता है ,--अतः इस कथन से भी सूर्य की युगल गतियों का  होना सिद्ध होता है | --'अयन "-शब्द का प्रयोग किस काल के लिए किया गया है --इसका उल्लेख वेदों में अन्यत्र नहीं मिलता है | 

-----सूर्य का आकाशीय नक्षत्रों और ग्रहों पर अमिट प्रभाव पड़ता है | एक प्रकार से सृष्टि का सञ्चालन ही सूर्य से होता है | ---ध्यान दें --कुण्डली निर्माण करते समय पत्रिका में उल्लेख करना होता है -बालक उत्तरायण में जन्म लिया या दक्षिणायन में ----आगे के आलेख में मौसम पर विचार रखेंगें --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -


khagolshastri.blogspot.com


शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

ज्योतिष कक्षा भाग -9 -सूर्य और आकाश -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


जन्मपत्री बनाते समय गणना तो बाद में होती है -पहले बहुत सारी चीजें लिखीं जातीं हैं --हमारा प्रयास है आप समझें -कुण्डली बनाते समय -संवत ,शाके ,मास ,पक्ष -सूर्य की स्थिति और भी बहुत चीजें हैं क्यों लिखी जाती है --क्रम से समझाने का प्रयास करेंगें | ---अस्तु --

---खगोल में जो रिक्तता है ,वो ही 'आकाश कहलाता है | यह रिक्त और शून्य क्षेत्र अति व्यापक और विस्तृत है | भूगोल शास्त्रियों ने इस खगोल को क्रमशः तीन भागों में विभाजित किया है --{1 }-उत्तरी क्षेत्र ,--{2 }-मध्य क्षेत्र ,{3 }--दक्षिण क्षेत्र --| ---इस प्रकार सूर्य ,गति संक्रमण को बांधा है | --उत्तरी क्षेत्र में एक कल्पित रेखा खींची है --जिसे "कर्क रेखा "की संज्ञा दी है | ---मध्य क्षेत्र में  "विषुवत रेखा '  दक्षिण क्षेत्र में "मकर रेखा "के नाम से विश्रुत हैं | --यह तीनों कटिबंध सूर्य की गति के आधारभूत है | जब सूर्य त्तर दिशा की ओर संक्रमण करता है ,तो उत्तरायण और दक्षिण में जानें से उसे दक्षिणायन का प्रारूप दिया जाता है | 

----जन्मपत्री बनाते समय --उत्तरायण या दक्षिणायन का जिक्र होता है ---इससे क्या लाभ और हानि होती है इसकी चर्चा आगे कहीं करेंगें | --जबसे नेट के माध्यम से कुण्डली बनने लगी ,तब से ज्योतिष की गणित सीमित हो गयी है --फलित भी संस्कृत ग्रन्थों के आधार पर नहीं होता है --मेरा एक छोटा सा प्रयास है --आप मेरे द्वारा लिखें तमाम लेखों को पढ़कर बढियाँ ज्योतिषी बन सकते हैं --इसके लिए केवल क्रम से निःशुल्क लेखों को पढ़ते जाएँ --अगले भाग में अयन शब्द पर प्रकाश डालने का प्रयास करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -पधारें --khagolshastri.blogspot.com



ज्योतिष कक्षा भाग -8 -सूर्य का महत्व -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


कोई भी लोक अथवा धरातल हो ,पृथ्वी के ऊपर हो या नीचे --सब स्थानों पर सूर्य -रश्मियों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है | ये सूर्य -रश्मियां रूप ,रस ,गंध ,माधुर्य एवं आकर्षण की विधायित्री ही नहीं ,अपितु जीवन परिपेक्ष्य में मानव को प्राणदायक विभूतियाँ भी प्रदान करती हैं | खनिज और धातु पदार्थों का निर्माण भी मार्तण्ड और विभाबसु सूर्य की क्षमा नामक रश्मि "किरण " से संस्पर्श से होता है | प्राचीन ऋषि -मुनियों ने सूर्य को वैद्यराज सिद्ध किया है | विटामिन "डी "-की कमी से होने वाले रोग सूर्य -रश्मियों में स्नान करने से पास नहीं फटकते | 

----निर्माण और संहारकारी गैस भी उत्पन्न करने वाली पूषन नामक सूर्य की किरणें ही हैं ,जो अणु -आयुध रूप में विनाशकारी महाभयावह संत्रास और विस्फोटन की महती और बलबती शक्तियां बनी हुई हैं | तेज और प्रकाश हमें सूर्य से ही प्राप्त होते हैं | यदि सूर्य न निकले , तो प्रकाश भी आविर्भूत न हो | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में  अंधकार व्याप्त रहे | सूर्य का प्रकाश जगत के  नेत्र हैं | वायु की निष्पत्ति भी सूर्य ही है | सूर्य की कलाएं ही वायु को गति देती हैं | 

----सूर्य अग्निपुंज है | उसकी तीव्रता जब तिगवांसु बन जाती है , तो उसमें शक्ति का उद्भव होता है और फैलती है ,विस्तार और प्रसार के लिए मचलती है --उस समय अवस्था बड़ी विकत और भयावह होती है | उसके इस उग्र रूप को बवंडर वात्यचक्र और प्रलयंकर का नाम दिया गया है | सूक्ष्म गति में भी इसका प्रवेश है और स्थूल रूप में भी ! कोई  गुण ,तत्व और पदार्थ ऐसा नहीं है --जहाँ इसका अंग समाविष्ट न हो | 

----मेरे ज्योतिष के पाठकगण --ज्योतिष का सम्राट सूर्य है --कोई ग्रह तो कोई भगवान कहता है | ज्योतिष का वास्तविक आधार सूर्यदेव ही हैं --आगे सूर्य और आकाश पर चर्चा करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -पधारें --khagolshastri.blogspot.com



खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...